महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित
पवार एक बार फिर विवाद में हैं। इस बार विवाद की जड़ बना है सूखे को लेकर
दिया गया उनका एक आपत्तिजनक बयान। महाराष्ट्र के इंदापुर में दिए गए इस
बयान में अजीत ने कह डाला कि बांधों में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करें।
हालांकि बाद में भद्द पिटने के बाद अजित पवार ने प्रेस रिलीज जारी कर माफी
मांगी है।
जनता
को एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए सूबे के उपमुख्यमंत्री और राज्य के
सिंचाई मंत्री अजित पवार ने सूखे से पीड़ित जनता की खिल्ली उड़ाई। ये वही
अजित पवार हैं जिन पर सूबे की सिंचाई की जिम्मेदारी है। आम जनता और किसानों
को पानी मुहैया कराने की जिम्मेदारी है। लेकिन अपनी जिम्मेदारी का अहसास
तो दूर पवार ने अपनी जवाब देही का भी मखौल बना दिया।
इन्ही
अजीत पवार ने कुछ दिन पहले कहा था कि पॉवर कट जनसंख्या बढ़ने का सबसे बड़ा
कारण है। अजीत पवार के बेशर्म बयान के बाद सियासी विरोधियों ने उन पर
हल्ला बोल दिया है। बीजेपी ने तो यहां तक कह डाला कि अजीत पवार अपना मानसिक
संतुलन खो चुके हैं। तो स्थानीय स्तर पर अजीत पवार को पार्टी से ही
बर्खास्त करने की मांग उठने लगी है।
बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री को संतुलन की जरूरत है। शरद पवार को ध्यान
देना चाहिए। लगता है वो संतुलन खो चुके हैं। ऐसे अनर्गल बयान की हम
भर्त्सना करते हैं। मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि क्या वो इससे इत्तेफाक
रखते हैं और वो क्या कार्रवाई करेंगे?
वहीं
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के मुताबिक अजीत पवार का दिमाग ठिकाने पर
नहीं हैं। शरद पवार खुद को किसान का बेटा कहते हैं और उनका भतीजा किसानों
का मजाक उडा रहा है। मालूम हो कि पिछले दिनों ही अजीत पवार को सिंचाई
घोटाले के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर ये भी आरोप लगे थे कि उन्होंने
खेती का पानी कॉर्पोरेट घरानों, मिलों और वाइन बनाने वाली कंपनियों को
दिया। बदले सियासी समीकरण के चलते पवार दोबारा गद्दी पर वापस तो आ गए हैं।
लेकिन बयानों से साफ है कि सूखे से त्रस्त किसानों और प्यासी जनता के प्रति
वो कितने संवेदनशील हैं।
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