Wednesday, April 3, 2013

...मुलायम के आडवाणी प्रेम का ये है पूरा सियासी गणित!

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव जो कहते हैं वो उनकी पार्टी की लाइन होती है और बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी व एनडीए की तारीफ की उनकी व उनकी पार्टी की लाइन बहुतों को हैरान कर रही है। हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो मुलायम के ये सुर स्वाभाविक हैं क्योंकि परिस्थितियां समझना और उसी के हिसाब से अपनी सियासी चालें चलना मुलायम से बेहतर कोई नहीं जानता है। सियासी समझ रखने वाले इसके पीछे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद को जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका मानना है कि जिस तरह से नरेंद्र मोदी बीजेपी की तरफ से पीएम पद की उम्मीदवारी पर ताल ठोंकते दिखाई दे रहे हैं उससे मुलायम को अपने वोट बैंक पर खतरा महसूस होने लगा है।
जानकारों का मानना है कि जैसे ही मोदी बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार बनेंगे मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हो जाएगा। समाजवादी पार्टी, बीएसपी या फिर जेडीयू में बंटने वाले मुस्लिम वोट एकजुट होकर कांग्रेस की तरफ चले जाएंगे। मुस्लिम वोट ही समाजवादी पार्टी का आधार है और अगर वही खिसक गया तो 2014 के आम चुनाव में मुलायम की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
...मुलायम के आडवाणी प्रेम का ये है पूरा सियासी गणित!
जानकारों की मानें तो आडवाणी की तारीफ कर मुलायम एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश कर रहे हैं। देश की ताजा सियासी स्थितियां इस बात की गवाही दे रही हैं कि तीसरे मोर्चे की सरकार केंद्र में बनाना फिलहाल संभव नहीं है। स्थितियां ये भी कह रही हैं कि बीजेपी में मोदी के अलावा फिलहाल किसी का नाम पीएम पद के लिए नहीं आ रहा है। स्थिति ये भी है कि मुलायम को जनता को ये भी बताना है कि वो कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ हैं। तो स्थिति जटिल है। जानकारों के मुताबिक मुलायम सिर्फ तीसरे मोर्चे पर ही नहीं बल्कि हर मोर्चे का दरवाजा अपने लिए खुला रखना चाहते हैं।
माना जा रहा है कि मुलायम बीजेपी को ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि आडवाणी के नाम पर वो पाला बदल सकते हैं। भले ही एनडीए की सरकार में शामिल ना हों लेकिन बाहर से समर्थन तो दे ही सकते हैं। वो बीजेपी में ऐसा तबका भी खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं जो मोदी राग छोड़ कर आडवाणी के नाम की चर्चा जोरशोर से करे। इस तर्क के साथ कि मुलायम जैसों का समर्थन भी सरकार बनाने के लिए जरूरी हो सकता है। मुलायम इस आडवाणी राग के साथ अपने अस्तित्व को बचाने का भी जुगाड़ कर रहे हैं। वो ये कोशिश कर रहे हैं कि 2014 में सरकार चाहे जिसकी बने लेकिन उसे बनाने में मुख्य भूमिका वही निभाएं।
फिलहाल यूपी में अखिलेश सरकार का प्रदर्शन और बीजेपी की तरफ से मोदी का नाम उनके इस रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है। मुलायम की चालें इस रोड़े को हटाने की कोशिश है। 27 फरवरी को भी उन्होंने संसद में ये कहकर सबको चौंका दिया था कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी एक जैसी है। बस बीजेपी अगर मुस्लिमों और कश्मीर पर अपनी राय बदल ले तो।

No comments:

Post a Comment