Wednesday, April 3, 2013

अब तक पता नहीं चला दीपक भारद्वाज के मर्डर का मकसद

दीपक भारद्वाज हत्याकांड में पुलिस को अब तलाश है एक महंत प्रतिमानंद की। मंगलवार को कोर्ट में पुलिस ने इस महंत की हत्याकांड में अहम भूमिका होने का दावा किया और फिर पुलिस की टीम उसकी तलाश में खाक छानने लगी। सवाल ये कि क्या इस कत्ल का मास्टरमाइंड महंत प्रतिमानंद है या फिर वो भी सिर्फ प्यादा है।
पुलिस इस महंत की तलाश में हरिद्वार के कनखल में मौजूद आश्रम में भी पहुंची। हत्या से दो-चार दिन पहले महंत प्रतिमानंद हरिद्वार के आश्रम में रुका था। आईबीएन7 ने आश्रम के लोगों से बातचीत की। लेकिन उन्हें प्रतिमानंद के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है। वो ये तो बता रहे हैं कि वो अक्सर यहां आता रहता है लेकिन इस वक्त वो कहां है इसकी जानकारी इस आश्रम में किसी को नहीं है। दिल्ली पुलिस ने इस आश्रम में डेरा डाल दिया है क्योंकि पुलिस की पूछताछ में ये खुलासा हुआ है कि इस आश्रम में महंत प्रतिमानंद को कई बार हत्या के आरोपी शूटर पुरुषोत्तम के साथ भी देखा गया है।
अब तक पता नहीं चला दीपक भारद्वाज के मर्डर का मकसद
पुलिस के सामने सवाल ये है कि आखिर इस वक्त महंत प्रतिमानंद कहां है और अगर उसने पुरुषोत्तम को 2 करोड़ रुपये की सुपारी दी तो उसके पीछे उसका मकसद क्या था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रतिमानंद और दीपक भारद्वाज के बीच एक बेशकीमती जमीन को लेकर विवाद था। पुलिस सूत्र बता रहे हैं कि हो सकता है कि प्रतिमानंद ने इसी जमीन के लिए दीपक की हत्या की साजिश रची हो।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक 34-35 साल का ये महंत हरियाणा के करनाल का रहने वाला है लेकिन उसके गांव के लोग उसके बारे में कम ही जानते हैं। प्रतिमानंद और शूटर पुरुषोत्तम एक-दूसरे को चार साल से जानते थे। अरबपति कारोबारी दीपक भारद्वाज के कत्ल की साजिश इसी साल जनवरी में रची गई। जनवरी में ही महंत ने पुरुषोत्तम को कत्ल की सुपारी दी। पेशगी के तौर पर उसे दो लाख रुपये दिए गए।
इसके बाद पुरुषोत्तम ने कई बार दीपक के रिजॉर्ट की रेकी की। पुलिस के मुताबिक दीपक के कत्ल में दो देसी कट्टे का इस्तेमाल हुआ। पुलिस ने उस स्कोडा कार को भी हरियाणा के झज्जर से बरामद कर लिया है। साथ ही वो ये भी कह रही है कि शूटर पुरुषोत्तम और सुनील प्रोफेशनल नहीं है। अब सवाल ये है कि हत्या के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करने वाला हत्या की इतनी कमजोर साजिश क्यों रचेगा। वो ऐसे हत्यारे क्यों चुनेगा जो प्रोफेशनल नहीं हैं।
दीपक भारद्वाज की हत्या के आठ दिन बाद भी पुलिस मास्टरमाइंड के चेहरे से नकाब नहीं उठा सकी है। उसके पास दोनों शूटर हैं। शूटरों को कार मुहैया कराने वाला कार मालिक है। शूटरों को कार में लेकर भागने वाला ड्राइवर भी है। पुलिस के पास हथियार सप्लाई करने वाला शख्स भी है। लेकिन नहीं है तो मास्टरमाइंड और कत्ल का मकसद। सवाल ये है कि क्या अब महंत की गिरफ्तारी इस कत्ल के मास्टरमाइंड तक पहुंचाएगी।

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