Friday, April 12, 2013

भुल्लर की अर्जी खारिज,फांसी उम्रकैद में नहीं होगी तब्दील

सुप्रीम कोर्ट ने देविंदर सिंह भुल्लर की याचिका को खारिज कर दिया है। भुल्लर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि वो फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और पांच जजों के फैसले को बरकरार रखा। दया याचिका में देरी से सुनवाई को लेकर ये याचिका दाखिल की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस फैसले का असर भारत में मौत की सजा पा चुके आतंकी देवेंद्र सिंह भुल्लर समेत 476 लोगों पर पड़ेगा।
दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद भुल्लर को लगभग 10 साल पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं हुआ। भुल्लर 1993 में दिल्ली में हुए एक कार बम धमाके के लिए दोषी पाया गया था। इसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य घायल हुए थे। हादसे के आठ साल बाद भुल्लर को 2001 में टाडा अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने उसके मौत की सज़ा को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में ही भुल्लर की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। उसकी भूल सुधार याचिका भी खारिज कर दी थी। साल 2003 में ही भुल्लर ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल की थी। लेकिन आठ सालों तक राष्ट्रपति ने दया याचिका पर कोई फैसला नहीं किया।
भुल्लर की अर्जी खारिज,फांसी उम्रकैद में नहीं होगी तब्दील
गौरतलब है कि साल 2011 में भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर ने फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने जब सरकार से इस बाबत जवाब तलब किया तो दो दिनों के अंदर भुल्लर की दया याचिका ठुकरा कर उसे फांसी चढ़ाने का रास्ता साफ कर दिया गया। हालांकि भुल्लर की पत्नी का कहना था कि वो मानसिक रोगी है, इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती। 
भुल्लर मामले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के तीन हत्यारों का मामला भी शामिल कर लिया था। वहीं कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि फैसले को पूरा देश कबूल करेगा। जबकि मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने कहा कि जजों ने मौत का कफन पहनकर फैसला सुनाया है। बिट्टा ने कहा कि इस लड़ाई के बाद वो दूसरी लड़ाई की हत्या मामले में लड़ेंगे। राजीव गांधी की सुरक्षा हटाने वाले कौन लोग थे? वो कौन अधिकारी थे। बिट्टा ने कहा कि फांसी का फैसला अहम फैसला है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। 

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