Monday, March 11, 2013

सरकार ने मानी मांग,यमुना किनारे नहर बनाने को तैयार

यमुना की सफाई की मांग करने वाले यमुना रक्षक दल का दावा है कि सरकार और उनके बीच एक मुद्दे पर सहमति बन गई है। यमुना रक्षक दल का दावा है कि सरकार दिल्ली में यमुना किनारे 20 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की मांग पर राजी हो गई। एक मांग पूरी होने के बाद आंदोलनकारियों ने फिलहाल जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की योजना दोपहर 3 बजे तक के लिए टाल दी है।फिलहाल उन्हें सरकार के फैसले का इंतजार है। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। वहीं सुरक्षा के लिहाज से करीब 4 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
फिलहाल यमुना बचाओ पदयात्रा दिल्ली में दाखिल हो चुकी है। आंदोलनकारियों ने दक्षिण दिल्ली के सरिता विहार के पास डेरा डाल रखा है। यमुना बचाओ मुहिम के साथ दिल्ली आए इन आंदोलनकारियों का कहना है कि अपनी मांगें मनवाने के लिए वो जंतर मंतर पर धरना देंगे। इस बीच भीड़ को देखते हुए ट्रैफिक जाम की आशंका जताई जा रही है।
गंदे नाले में तब्दील हो चुकी यमुना नदी को नई जिंदगी दिलाने के संकल्प के साथ हजारों आंदोलनकारियों का ये काफिला सोमवार को दिल्ली में दाखिल हो गया। हालांकि ट्रैक्टर से आए आंदोलनकारियों को फरीदाबाद बॉर्डर पर ही रोक दिया गया और ट्रैफिक का हवाला देकर पुलिस ने एनएच 2 को भी बंद कर दिया, लेकिन इसके बावजूद आंदोलनकारी के हौंसले बुलंद हैं।
इनकी मांग है कि यमुना में हथिनीकुंड बराज से कम से कम 70 फीसदी पानी छोड़ा जाए ताकि इलाहाबाद तक यमुना का प्रवाह बना रहे और इसे गंदगी से बचाया जाए सके। साथ ही इनकी मांग है कि यमुना की सफाई के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। आंदोलनकारियों का कहना है कि जबतक मांगें नहीं मानी जाती, जंतर मंतर पर उनका धरना जारी रहेगा।
उधर संसद में भी सोमवार को यमुना का मुद्दा छाया रहा। बीजेपी ने यमुना की दुर्गति के लिए सीधे तौर पर सरकार और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का आरोप है कि इस नदी को बचाने के लिए सरकार भले ही करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करे लेकिन इस दावे की सच्चाई किसी से छुपी नहीं है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग की है।
हालांकि सरकार ने बीजेपी के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सरकार का कहना है कि वो गंगा और यमुना जैसी नदियों की सफाई पर गंभीर है और उसने ठोस पहल नहीं की होती तो इन नदियों का हाल और बुरा होता। सरकार का कहना है कि हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने का मामला राजनीतिक है और किसी राज्य पर बैराज से पानी छोड़ने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। बहरहाल जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने आंदोलकारियों से बातचीत की पहल की है और आंदोलनकारियों को सरकार की तरफ से जवाब का इंतजार है।

No comments:

Post a Comment