Thursday, March 7, 2013

खुलासा: जेटली की जासूसी के खेल में दिल्ली के दो ACP?

पैसे दो कॉल रिकॉर्ड लो। आईबीएन7 आपको अपनी तफ्तीश दिखाने जा रही है। असल में ये तफ्तीश मुंबई पुलिस की थी। लेकिन अब फाइलों में धूल खा रही है। जेटली जासूसी कांड के बाद मुंबई पुलिस की ये पुरानी जांच पर नजर डालना जरूरी हो गया है। मुंबई पुलिस की इस जांच की माने तो साल भर पहले उसने जो एक जासूसी कांड का पर्दाफाश किया था उसमें दिल्ली के दो एसीपी स्तर के अधिकारी भी शामिल थे। वो बकायदा पैसे लेकर वीवीआईपी शख्सियतों की कॉल रिकॉर्ड मुहैया कराते थे। लेकिन अचानक मुंबई पुलिस की इस जांच पर ब्रेक लग गया। आखिर क्यों। आखिर कौन थे दिल्ली पुलिस के ये एसीपी जो इस जासूसी कांड में शामिल थे।
बीजेपी नेता अरुण जेटली, नितिन गडकरी, विजय गोयल और सुधांशु मित्तल। क्या इनके फोन कॉल रिकॉर्ड हासिल करने का अहम किरदार सिर्फ दिल्ली पुलिस का एक कॉन्सटेबल ही है। क्या सिर्फ कॉन्सटेबल अरविंद डबास ने ही अपने एसीपी के मेल का इस्तेमाल कर जासूसों की मदद की। या फिर सच कुछ और है। 
29 फरवरी, 2012 को मुंबई पुलिस ने एक ऐसी डिटेक्टिव एजेंसी का पर्दाफाश किया जो नेता, वीवीआईपी, कारोबारी और सेलिब्रिटीज के फोन कॉल रिकॉर्ड्स की जासूसी कर रही थी। मुंबई पुलिस ने इस मामले में एंजेंसी के मालिक समेत चार लोगों को गिफ्तार किया। जांच शुरू हुई। पूछताछ शुरू हुई। और सामने आया एक चौंकाने वाला खुलासा। इस खुलासे के दस्तावेज आईबीएन7 के पास मौजूद हैं। और मुंबई पुलिस के इस जांच रिपोर्ट की माने तो दिल्ली पुलिस के दो एसीपी की मदद से ये डिटेक्टिव एजेंसी जासूसी का खेल चला रहा थी। मामले की जांच के बीच ही मुंबई पुलिस के अफसरों का तबादला तो कर दिया लेकिन उससे पहले इन अफसरों ने अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट फाइल कर दी। और इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के दो एसीपी स्तर के अधिकारियों की मेल आईडी भी चमक रही है। पहली मेल आईडी है acp-madhuvhr-dl@nic.in यानि दिल्ली के मधु विहार इलाके के थाने के एसीपी की मेल आईडी। दूसरी है acp-vivekvhr-dl@nic.in यानि दिल्ली के विवेक विहार थाने के एसीपी की मेल आईडी। मुंबई पुलिस की जांच रिपोर्ट की माने तो इन्हीं दोनों मेल आईडी का इस्तेमाल नेताओं, वीवीआईपी शख्सियतों, कारोबारी और नामी गिरामी लोगों के फोन रिकॉर्ड्स मंगाने के लिए किया गया। अब सवाल ये है कि क्या इन मेल आईडी का इस्तेमाल वो खुद एसीपी कर रहे थे या फिर कोई और। सवाल ये भी है कि आखिर कौन है वो पुलिस अधिकारी जो पिछले साल इस मेल आईडी का इस्तेमाल कर रहे थे।
मुंबई पुलिस की इस जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस जासूसी कांड में पकड़े गए लोगों ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। और इस खुलासे की माने तो दिल्ली पुलिस के ये दोनों एसीपी मुंबई के इन जासूसों की कॉल रिकॉर्ड्स का ब्यौरा निकालने में भरपूर मदद कर रहे थे। बदले में उन्हें लाखों रुपये भी दिए गए। मुंबई पुलिस की जांच रिपोर्ट्स की माने तो पिछले एक साल में इन दो एसीपी अधिकारियों की मेल आईडी से तकरीबन 21 वीवीआईपी नंबर के कॉल रिकॉर्ड्स मंगवाए गए।
इन वीवीआईपी कॉल रिकॉर्ड्स की कीमत प्रति कॉल रिकॉर्ड पांच से दस लाख रुपये थी। इसके अलावा सैकड़ों दूसरे लोगों को मोबाइल नंबरों के भी रिकॉर्ड निकलवाए गए। इसके लिए भी हर नंबर के रिकॉर्डस की कीमत 30 से 75 हजार रुपये लगी। मुंबई पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इन कॉल रिकॉर्ड्स के बदले दिल्ली पुलिस के इन दो एसीपी को लाखों रुपये दिए गए। सूत्रों का कहना है कि पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में ये खुलासा हुआ कि एक एसीपी को ही इन लोगों ने साल में 38 से 40 लाख रुपये हवाला के जरिए दिए। पुलिस को अपने छापे के दौरान बांद्रा में मौजूद इस डिटेक्टिव एजेंसी के दफ्तर से आरोपियों और दोनों एसीपी के बीच बातचीत का ब्यौरा भी मिला है।
जांच रिपोर्ट की ही माने तो मुंबई के ये चारों जासूस काफी वक्त से ये धंधा कर रहे थे। पुलिस ने इनके खिलाफ काफी सबूत भी इकट्ठा कर लिए है। मुंबई पुलिस की जांच इस मामले में काफी आगे बढ़ चुकी है। जांच रिपोर्ट में उन्होंने आरोपियों के बयान और कई सबूतों को शामिल किया है। लेकिन हैरत की बात है कि अभी तक उसने इस मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है। सवाल ये है कि आखिर मुंबई पुलिस की इस जांच को अचानक क्या हुआ।
आखिर क्यों नहीं गिरी दिल्ली पुलिस के उन अफसरों पर गाज जिनकी ईमेल आईडी से जासूसी का खेल चल रहा था। सूत्रों की माने तो इन दो एसीपी अफसरों में से एक का नाम जेटली जासूसी कांड में भी आया था। फिलहाल तो दिल्ली पुलिस इसके लिए अपने कॉन्सटेबल अरविंद डबास को ही जिम्मेदार ठहरा रही है। उधर मुंबई पुलिस की जांच भी अचानक रुक सी गई।
मुंबई पुलिस के ये अधिकारी अब इस मामले की जांच नहीं कर रहे हैं। लेकिन अब जो जांच हो रही है उसका कोई अता पता नहीं है। इतना संगीन मामला। सुरक्षा और निजी जिंदगी में ताकझाक का मामला। लेकिन आरोपों के कठघरे में खड़े एसीपी अफसरों के नाम तक सामने नहीं आ पाए। सवाल ये है कि आखिर क्यों।
मुंबई की डीएस जासूसी एजेंसी को चला रहे विजय सरोज, सुजल सोलंकी, जिगर मकवाना, सतीष मांगले और दीनानाथ सरोज पुलिस की गिरफ्त में हैं। पुलिस ने तब इन सभी आरोपियों को ये कहकर रिमांड पर लिया था कि उन्हें इन लोगों को जांच के लिए लेकर दिल्ली जाना है। उन्हें दिल्ली पुलिस के एसीपी स्तर के दो अफसरों से भी पूछताछ करनी है। लेकिन सालभर से उपर हो गए लेकिन आजतक ऐसा नहीं हुआ।
सवाल ये है कि आखिर मुंबई पुलिस ने ऐसा क्यों किया। सूत्रों की माने तो इस पूरे केस में मुंबई पुलिस ने अपने कदम काफी आगे बढ़ा दिए थे। दिल्ली पुलिस के एसीपी स्तर के इन दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी की तैयारी भी कर ली थी। लेकिन अचानक उसने अपने पांव पीछे खींच लिए। मामले की जांच को ही तकरीबन रोक दिया गया। सवाल ये है कि आखिर मुंबई पुलिस के खुलासे का मतलब क्या है। अगर दिल्ली पुलिस के दो अधिकारी शक के दायरे में हैं। अगर मुंबई में साल भर पहले हुई जासूसी में इन दोनों अफसरों की ई मेल आईडी का इस्तेमाल हुआ।
सूत्र बताता है कि एक बार फिर जेटली जासूसी कांड में भी इसी में से एक एसीपी का नाम शक के दायरे में है तो आखिर कार्रवाई कब होगी। आखिर पुलिस इसमें क्या छुपाना चाहती है। आखिर वो अपने इन अफसरों को क्यों बचाना चाहती है।

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