विजय गोयल के बाद आज शत्रुघ्न सिन्हा ने
आडवाणी को पीएम पद का सबसे माकूल उम्मीदवार बताया और उनके नेतृत्व में 2014
के चुनावों में जाने की वकालत की। इन बयानों से नाराज पार्टी अध्यक्ष
राजनाथ सिंह ने नेताओं को बेवजह बयानबाजी न करने की नसीहत दी है।
राजनाथ
सिंह की नई टीम की रविवार को दिल्ली में पहली बैठक हुई। एजेंडा था लोकसभा
चुनाव की रणनीति बनाना। आगामी विधानसभा चुनावों पर भी माथापच्ची हुई। लेकिन
इस बैठक पर पार्टी के अंदर नेतृत्व का सवाल हावी रहा। सवाल ये था कि 2014
में पार्टी किसकी अगुवाई में चुनावी मैदान में कूदेगी। पार्टी का चेहरा
नरेंद्र मोदी होंगे या लालकृष्ण आडवाणी।
दरअसल
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष विजय गोयल के बयान से लालकृष्ण आडवाणी एक बार फिर
पीएम पद की रेस में आ गए है। शनिवार को गोयल ने राजनाथ और आडवाणी की
मौजूदगी में कहा था कि 2014 के आम चुनाव के बाद लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी
सरकार का नेतृत्व करेंगे। रविवार को शत्रुघन सिन्हा ने गोयल की बात का
समर्थन करते हुए पीएम उम्मीदवारी के पद के लिए आडवाणी के पक्ष में कसीदे
काढ़े।
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह नरेंद्र मोदी को
दिल्ली लाने की सारी तैयारी कर चुके हैं। मोदी को संसदीय बोर्ड में जगह
देकर राजनाथ सिंह ने मोदी की पीएम की राह को आसान बनाया है। लेकिन पार्टी
में मोदी के बढ़ते कद से आडवाणी खेमा खुश नहीं हैं। लिहाजा आडवाणी खेमे की
और से पीएम पद की रेस में आडवाणी का नाम उछाला गया है। हालांकि पार्टी
अध्यक्ष राजनाथ सिंह पीएम उम्मीदवारी पर दिए जा रहे बयानों से नाराज है।
रविवार को बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक में भी राजनाथ सिंह ने नेताओं को
बयानबाजी से बचने की नसीहत दी।
मोदी
के बीजेपी में बढ़ते कद का नमूना पदाधिकारियों की बैठक में भी दिखा। मोदी
ने पदाधिकारियों को चुनावी जीत का मंत्र देते हुए लोकसभा चुनाव के लिए
आक्रामक रणनीति बनाने की वकालत की। यानि मोदी खुद को राष्ट्रीय नेता की तरह
प्रोजेक्ट करने में लग गए हैं।
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