Tuesday, April 9, 2013

फॉरेंसिक एक्‍सपर्ट का दावा, घरवालों ने आरुषि को मारा

नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई ने फौरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (IFS) गांधीनगर, गुजरात के निदेशक डॉक्‍टर मोहेन्द्र सिंह दहिया को विशेष अदालत में बतौर गवाह पेश किया. डॉक्‍टर दहिया ने अदालत को बताया कि आरुषि और हेमराज की हत्‍या में किसी बाहरी व्‍यक्ति का हाथ नहीं है और इस हत्‍या का शक तलवार दंपत्ति पर ही है. दहिया ने बताया कि हत्‍या में गोल्‍फ स्टिक और सर्जिकल चाकू का इस्‍तेमाल किया गया है और आरुषि की हत्‍या उसके बिस्‍तर पर ही की गई.
डाक्टर सिंह ने अपने बयान में बताया कि आरुषि और हेमराज की हत्या में दो तरह के औजार प्रयुक्त किए गए थे. दोनों के सिर पर लगी चोट गोल्फ स्टिक की थी और गले पर कट का घाव सर्जिकल चाकू का था. दोनों पर आरुषि के बेड पर हमला किया गया था. उनके मरने के बाद या उससे कुछ समय पहले ही गले काटे गए थे. उन्होंने यह भी कहा कि इस हत्याकांड में कोई भी बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं था.
जिरह के दौरान उन्होंने कहा कि हत्याकांड का कारण दोनों का आरुषि के कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में पाया जाना रहा. उन्‍होंने अदालत को बताया कि 26 सितम्बर वर्ष 2009 को संयुक्त निदेशक सीबीआई के ई-मेल से इस संबंध में निर्देश प्राप्त हुआ था. इसके बाद वे 9 अक्‍टूबर वर्ष 2009 को सीबीआई की जांच टीम के साथ घटनास्थल पर गए. उस समय तक मकान की पुताई हो चुकी थी. इसके बाद मामले से संबंधित फोटोग्राफ, केस हिस्ट्री व अन्य दस्तावेज देखने के बाद 13 अक्‍टूबर वर्ष 2009 को अपनी रिपोर्ट तैयार की थी.
डाक्टर सिंह ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान उन्होंने पाया कि दोनों के गले उनकी मौत के बाद काटे गए. हेमराज की हत्या के बाद उसकी लाश को बेड कवर में डालकर छत पर ले जाया गया था और छत पर उसका गला काटा गया. जिस बेडकवर में लाश ले जाई गई थी उसे नीचे से खींचकर निकाल लिया गया था.
इस दौरान कातिल का पैर छत के दरवाजे के सामने पड़े पाईप में उलझ गया, जिसके चलते उसके खून से सना हाथ दरवाजे के बराबर वाली दीवार पर लगा. सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने यह पाया कि इस हत्याकांड में किसी बहारी व्यक्ति का हाथ नहीं है.


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