कोयला खदान आबंटन मामले में आज
सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। आज सीबीआई निदेशक के हलफनामे पर सुनवाई
होनी है। लेकिन इससे पहले एक चिट्ठी ने सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है।
एडिशनल सॉलिसीटर जनरल हरिन रावल ने अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती को चिट्ठी
लिखकर कहा है कि इस मामले में उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है।
अपनी
चिट्ठी में हरिन का दावा है कि अटॉर्नी जनरल स्टेटस रिपोर्ट के बारे में
सबकुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं। हरिन रावल का ये
खुलासा वाहनवती के उस दावे को झुठला रहा है जिसमें उन्होंने 12 मार्च को
कहा था कि वो स्टेटस रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं जानते थे।
कोयला
खदान आबंटन घोटाले में अहम सुनवाई से पहले सियासी गलियारों में काफी हलचल
रही। दरअसल सरकार की मुश्किल बढ़ाई है एक चिट्ठी ने। ये चिट्ठी एडिशनल
सॉलिसीटर जनरल हरिन रावल ने अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती को लिखी है। इस
चिट्ठी में हरिन ने लिखा है कि कोयला घोटाला केस में उन्हें बलि का बकरा
बनाया गया है। हरिन का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने जो हलफनामा
दाखिल किया था, उस पर अटॉर्नी जनरल की सहमति थी।
आपको
बता दें कि इस मामले में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने जो हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है, वो अदालत में एडिशनल सॉलिसीटर जनरल हरिन
रावल के दावे के एकदम उलट है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई निदेशक
रंजीत सिन्हा ने पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके
बताया कि-
1- 8 मार्च को जो स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई, उसे कानून मंत्री को दिखाया गया था।
2- उस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों ने भी देखा।
3-कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने सीबीआई से ये रिपोर्ट दिखाने की मांग की थी।
4-सुप्रीम
कोर्ट ने कहा था कि चूंकि ये जांच, सरकार के कामकाज को लेकर है, इसलिए
जांच रिपोर्ट किसी राजनेता को नहीं दिखाई जानी चाहिए, और अगर ऐसा हुआ है तो
सीबीआई निदेशक खुद हलफनामा देकर बताएं।
5.
लेकिन 12 मार्च 2013 को जब सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था, तब उस वक्त
कोर्ट में मौजूद एडिशनल सॉलीसीटर जनरल हरिन रावल ने जबानी बताया था कि
सीबीआई की जांच रिपोर्ट किसी को भी नहीं दिखाई गई है।
जाहिर
है सीबीआई का हलफनामा और हरिन रावल का दावा एक दूसरे के एकदम उलट हैं। इसी
वजह से हरिन कह रहे हैं कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। हरिन रावल तब
कोर्ट में सीबीआई की तरफ से वकील थे, लेकिन अब सीबीआई एक निजी वकील यू
ललित की सेवाएं ले रही है।
अब,
जब आज सीबीआई के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस होनी है, उससे ठीक एक
दिन पहले हरिन रावल की चिट्ठी ने विपक्ष को सरकार पर हमले का एक और मौका दे
दिया। बीजेपी ने इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मामला बताया है। बीजेपी
ने दो अहम सवाल उठाए हैं।
1. आखिर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल हरिन रावल ने कोर्ट में झूठ क्यों बोला।
2. सरकार के वकील एटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने सच क्यों नहीं बताया।
हरिन
की चिट्ठी के बाद पीएमओ ने एक अहम बैठक बुलाई जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट में
होने वाली सुनवाई और सरकार की तरफ से दी जाने वाली दलीलों पर चर्चा हुई।
इस बैठक में कानून मंत्री अश्विनी कुमार भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक
हो सकता है आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट में न तो हरिन रावल हों न ही
वाहनवती। इनके बजाय सॉलिसीटर जनरल मोहन परासरण और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल
पारस कुहद सरकार का पक्ष रख सकते हैं।