भारतीय राजनीति में भूचाल लाते
हुए अरविंद केजरीवाल ने आरोप मढ़ा है कि 50 लाख की पूंजी लगाकर वाड्रा की
कंपनियों ने सिर्फ तीन साल में 300 करोड़ की संपत्ति जुटा ली। आरोप लगा कि
इस काम में उनकी मदद की देश के सबसे बड़े और अमीर बिल्डर डीएलएफ ने की। इस
बीच कांग्रेस ही नहीं खुद सोनिया गांधी भी रॉबर्ट के बचाव में उतर पड़ी
हैं।
टीम केजरीवाल ने पहले से ही ऐलान कर
रखा था कि वो 5 अक्टूबर को एक बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं लेकिन दिल्ली
के कांस्टीट्यूशन क्लब में शायद ही किसी को अंदाजा हो कि वो गांधी परिवार
के दामाद पर ही सीधा हमला बोलेंगे। सीधा सपाट आरोप ये कि वाड्रा और उनकी
मां मौरीन वाडिया के पास सिर्फ 50 लाख की शुरुआती पूंजी थी लेकिन उन्होंने
मात्र तीन सालों में तीन सौ करोड़ की अकूत संपत्ति जुटा ली। सीधा सपाट आरोप
ये कि देश की सबसे अमीर और सबसे बड़े बिल्डर डीएलएफ ने वाड्रा की कंपनियों
को 65 करोड़ रुपए का का कर्ज दिया वो भी बिना ब्याज के। हैरत की बात ये कि
डीएलएफ का ये कर्ज वाड्रा की कंपनी ने डीएलएफ की संपत्ति ही खरीदने के लिए
इस्तेमाल किया।
टीम केजरीवाल ने
बाकायदा प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट
हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के दस्तावेज लहराते हुए ये आरोप मढ़े।
- राबर्ट वाड्रा को साकेत के डीएलएफ हिल्टन
गार्डन होटल में 50 प्रतिशत शेयर सिर्फ 32 करोड़ में मिले जबकि उसका बाजार
भाव 150 करोड़ से ज्यादा था।
- डीएलएफ अरालियास में 10 हजार वर्ग फीट का
अपार्टमेंट 2010 में वाड्रा को सिर्फ 89 लाख में मिल गया जबकि उसका बाजार
भाव 20 करोड़ रुपए था।
-
डीएलएफ ने वाड्रा को गुड़गांव के मैग्नोलिया अपार्टमेंट में 7 फ्लैट सिर्फ
5.2 करोड़ में दिए जबकि हर फ्लैट का बाजार भाव था करीब 5 करोड़, यानि सारे
फ्लैट्स का बाजार भाव 35 करोड़ था।
- 2007 से 2010 के बीच वाड्रा की संपत्ति 50 लाख से बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गई।
- डीएलएफ ने रॉबर्ट वाड्रा को 65 करोड़ का लोन बिना ब्याज के दिया।
गांधी
परिवार के दामन पर सवला जो उठाए जा रहे थे सो पूरी की पूरी कांग्रेस तो
बचाव में उतर ही पड़ी। खुद मोर्चा संभाला रॉबर्ट वाड्रा की सास सोनिया
गांधी ने। उन्होंने साफ कहा रॉबर्ट वाड्रा एक कारोबारी हैं और उन्होंने कोई
भी गड़बड़ी नहीं की है।
दूसरी
सफाई आई बिल्डर डीएलएफ की। विल्डर ने साफ कहा कि हमारे और रॉबर्ट वाड्रा
के बीच के कारोबारी रिश्ते पूरी तरह से पारदर्शी हैं और इसमें नैतिकता का
कोई उल्लंघन नहीं किया गया है।
टीम
केजरीवाल के मुताबिक ये सारी खरीद-फरोख्त राबर्ट वाड्रा की पांच कंपनियों
के जरिए हुईं जिसमें वाड्रा और उनकी मां डायरेक्टर हैं। प्रियंका गांधी भी
पहले डायरेक्टर के पद पर थीं, लेकिन अब उनका कंपनियों से कोई रिश्ता नहीं
है। ऐसे में सवाल पूछे गए कि
- डीएलएफ ने वाड्रा को बिना ब्याज के 65 करोड़ का कर्ज क्यों दिया?
- डीएलएफ ने वाड्रा को औने-पौने दाम में संपत्ति क्यों बेची ?
- डीएलएफ मैग्नोलिया प्रोजेक्ट, जिसमें वाड्रा को 7 फ्लैट दिए गए, उसे हरियाणा सरकार ने 350 एकड़ जमीन क्यों दी?
- क्या डीएलएफ राबर्ड वाड्रा को फायदा पहुंचाकर कांग्रेसी राज्यों में फायदा उठा रहा है?
- रॉबर्ट वाड्रा के धन का स्रोत क्या है?
- क्या इसमें काला पैसा तो इस्तेमाल नहीं किया गया?
सवाल
जवाब का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री भी
सक्रिय हए। हरियाणा में डीएलएफ को जमीन देने के मुद्दे पर सफाई दी गई।
हुड्डा ने कहा कि किसी का कोई फेवर नहीं किया है। हमने सबसे उंची बोली लगाने वाले को जमीन दी है।
मगर
टीम केजरीवाल ने इन तमाम सवालों के जवाब मांगते हुए सरकार से जांच कराने
की मांग की है। साथ ये सवाल भी उठाया है कि आखिर देश के सबसे शक्तिशाली
परिवार से जुड़े इन सवालों की जांच कौन सी एजेंसी कर सकती है। जाहिर है,
दिल्ली चुनाव में उतरने का फैसला कर चुकी टीम केजरीवाल ने बड़ा राजनीति
मोर्चा खोल दिया है। ये लड़ाई किस अंजाम तक पहुंचेगी, इस पर सबकी नजर है।
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