Saturday, October 27, 2012

'नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था विकसित कर सकते हैं भारत, अमेरिका'

भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्ते को असीमित बताते हुए एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि दुनिया के ये दो प्रमुख लोकतंत्र और सबसे प्रभावशाली ताकतें एक नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था विकसित करने में मदद कर सकती हैं।
विदेश उपमंत्री विलियम बर्न्सन ने सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस में 'द युनाइटेड स्टेट्स एंड इंडिया- अ वीटल पार्टनरशिप इन चेंजिंग वर्ल्ड' विषय पर शुक्रवार को कहा कि काफी कुछ संभव है क्योंकि हमने रणनीतिक सहयोग को गहरा बनाया है और अपने आर्थिक व आपसी सम्बंधों को मजबूत किया है। लेकिन हमें अपनी साझेदारी को सावधानीपूर्वक ढ़ालना है। आगे की प्रगति न तो स्वचालित है और न पूर्व निर्धारित।
बर्न्स ने कहा कि दो गर्वीले, मुखर लोकतंत्रों के बीच की साझेदारी को पटरी पर बनाए रखने के लिए दृष्टि और दृढ़ प्रतिबद्धता की जरूरत है। यह कुछ हदतक किसी साइकिल पर सवार होने जैसा है। जहां या तो आप पैडल चलाते रहिए, या गिरने के लिए तैयार रहिए।
बर्न्सक ने कहा कि ऐसा क्षण कभी नहीं रहा जब भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए ज्यादा मायने रखे हों। उन्होंने कहा कि ऐसा क्षण भी कभी नहीं रहा जब हमारे बीच की साझेदारी बाकी दुनिया के लिए मायने रखी हो।
बर्न्सु ने कहा कि दुनिया के दो प्रमुख लोकतंत्रों और सबसे प्रभावी ताकतों के रूप में भारत और अमेरिका एक नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था विकसित कर सकते हैं।
बर्न्सा ने कहा कि इस तरह की कोई व्यवस्था जिसमें अन्य लोकतांत्रिक देश फल-फूल सकें, मनुष्य की गरिमा बढ़ सके, गरीबी मिट सके, व्यापार में वृद्धि हो, हमारा पर्यावरण संरक्षित हो, हिंसक चरमवाद समाप्त हो, जनसंहार के हथियारों के फैलाव पर लगाम लगे, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नए मोर्चे तलाशे जाएं। यह क्षण और आशा हमारे सामने है।


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