नई दिल्ली। यूपीए सरकार ने आज
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए एक बार फिर बड़े फैसले लिए। सरकार ने
कैबिनेट की बैठक में बीमा और पेंशन क्षेत्र से जुड़े दो अहम विधेयकों को
मंजूरी दे दी है। बीमा विधेयक में बीमा क्षेत्र में एफडीआई की वर्तमान सीमा
26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने को हरी झंडी दी गई है। पेंशन में भी
49 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है।
हालांकि
सरकार ने फैसले ले लिए हैं लेकिन उन्हें लागू करने के लिए संसद की मंजूरी
जरूरी है जो कि सरकार के संख्या बल को देखते हुए खासी मुश्किल नजर आती है।
सरकार का दावा है कि एफडीआई की सीमा बढ़ाने से बीमा क्षेत्र की हालत सुधरने
के साथ ही प्रतियोगिता भी बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ता को मिलेगा
जबकि इस विधेयक का विरोध कर रही तमाम पार्टियों का तर्क है कि बीमा एक
संवेदनशील मसला है। इसका सीधा वास्ता आम आदमी के जीवनमरण से है न कि बीमा
कंपनियों के नफे और नुकसान से।
इस बिल
का विरोध करने वालों में यूपीए की पूर्व सहयोगी ममता बनर्जी के साथ-साथ
लेफ्ट और बीजेपी भी शामिल हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस बिल का
विरोध कर रही है लेकिन बीजेपी की ही अगुवाई वाली एनडीए सरकार बीमा में 26
फीसदी एफडीआई लेकर आई थी। यही नहीं एनडीए सरकार तो एफडीआई की सीमा बढ़ाने
की भी वकालत कर रही थी। उधर पेंशन क्षेत्र से जुड़े पेंशन फंड नियामक
प्राधिकरण बिल में भी इस क्षेत्र को एफडीआई के लिए खोले जाने का निर्णय
लिया गया है। प्रस्तावित बिल के मसौदे में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी
निर्धारित की गई है।
बिल के मसौदे में एक कर्मचारी के लिए दो तरह की पेंशन की व्यवस्था की गई
है। पहली योजना में उसे नियमित पेंशन और दूसरी में पेंशन फंड के कुछ हिस्से
को बाजार में निवेश करने का प्रस्ताव है और इस योजना में मिलने वाला पैसा
बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगा। यह कर्मचारी पर निर्भर करेगा कि वो
दोनों योजनाओं में से कौन सा विकल्प चुनता है।
सरकार
का दावा है कि पेंशन नियामक प्राधिकरण बनाने से पेंशन क्षेत्र में होने
वाली गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा जबकि विरोध कर रही पार्टियों का कहना है
कि बुढ़ापे में मिलने वाली पेंशन को बाजार के हवाले करना ठीक नहीं है
क्योंकि इसका संबंध सीधे-सीधे बुढ़ापे के जीवनयापन से है।
कैबिनेट
ने इसके अलावा कंपनी बिल 2011 को भी मंजूरी दे दी है। ये बिल पिछले करीब
दो दशक से ठंडे बस्ते में पड़ा था। इस बिल के तहत कंपनियों के कामकाज,
डायरेक्टर और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के नियम तय होंगे। सोशल
रिस्पांसिबिलिटी के तहत कंपनियों को अपने मुनाफे का 2 फीसदी सोशल क्षेत्र
में खर्च करना होगा। साथ ही, इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की जिम्मेदारी और
भूमिका तय होगी। इसके अलावा सरकार ने वायदा कारोबार पर नियंत्रण बढ़ाने के
लिए बिल को भी मंजूरी दे दी है। इस बिल के पास होने से फारवर्ड मार्केट
कमीशन को ज्यादा अधिकार मिल जाएंगे और वो बाजार में अपनी पैनी नजर रख
सकेगी। साथ ही नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई भी कर पाएगी।
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