आर्थिक मोर्चे पर चीन और भारत के बीच कांटे
की टक्कर मानी जाती है, लेकिन सामरिक मामलों में चीन कहीं आगे है। भारत न
सिर्फ हथियारों के मामले में काफी पीछे है बल्कि चीन से लगने वाली सीमा पर
ढांचागत विकास के मामले में भी भारत को बहुत कुछ करना बाकी है।
चीन
से जंग हुए आज पचास साल हो गए हैं। उस वक्त भारत हथियारों से लेकर
तैयारियों के मोर्चे पर मात खा गया था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अब
भारत की तैयारियां किस हाल में हैं क्योंकि जब भी भारत की सैन्य ताकत की
बात होती है तो मुकाबला चीन से ही होता है।
किसकी ताकत कितनी
- चीन के पास 23 लाख थल सैनिक हैं तो भारत के पास केवल 13 लाख थल सैनिक हैं।
- चीन की वायुसेना में 1800 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास करीब 1000 लड़ाकू विमान हैं
-
चीन ने हाल ही में देश में ही तैयार किया गया पांचवी पीढी का स्टेल्थ
लड़ाकू विमान दुनिया के सामने लाकर अपनी हवाई ताकत दिखाई। जबकि भारत के पास
इस श्रेणी का विमान 2022 से पहले नहीं आ पाएगा।
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चीन के पास 13 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली डांग फेंग-5 और इसी सीरीज
की दूसरी मिसाइलें हैं। भारतीय सेना के बेड़े में साढ़े सात हजार किलोमीटर
तक मार करने वाली मिसाइलें हैं।
- युद्धपोत के मामले में भी चीन काफी आगे है। चीन के पास 75 युद्धपोत हैं तो भारत के पास सिर्फ 27 युद्धपोत हैं।
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हाल ही में चीन ने अपना लियाओनिंग नाम का पहला लड़ाकू विमान वाहक पोत
नौसैनिक बेड़े में शामिल किया है जबकि इसी टक्कर का विक्रामादित्य पोत भारत
को अगले साल तक मिल पाएगा।
- परमाणु
हथियारों के मामले में भी चीन आगे ही है। चीन के पास 150 से 200 परमाणु
हथियार हैं जबकि भारत के पास 50 से 90 परमाणु हथियार हैं।
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भारत ढांचागत विकास के मोर्चे पर भी चीन से बहुत पीछे है। चीन ने भारत की
सीमा से लगे अपने इलाकों में बेहतरीन सड़कें बना दी हैं जबकि सरहद पर भारत
की तैयारियों पर जानकारों से लेकर रक्षा मामलों की संसदीय समिति भी सवाल
उठा चुकी है। हालांकि जानकार ये भी मानते हैं कि अब हालात 1962 से काफी अलग
हैं।
भारत
और चीन के बीच बीते कई सालों से सीमा विवाद सुलझाने को लेकर बातचीत चल रही
है। लेकिन तेरह दौर की विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के बावजूद निकट
भविष्य में किसी नतीजे की उम्मीद नहीं है।
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