भारी कर्ज में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस का
लाइसेंस शनिवार को निलंबित कर दिया गया। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय
(डीजीसीए) ने किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा निर्धारित समय में नोटिस का जबाब
नहीं देने के बाद उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया।
डीजीसीए
के एक अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अचानक उडानें
रद्द कर देने के किंगफिशर के फैसले के मद्देजनर गत पांच अक्टूबर को कारण
बताओ नोटिस भेजा गया था। नोटिस का जवाब नहीं मिलने के बाद उसका लाइसेंस
निलंबित कर दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि किंगफिशर को शनिवार को
अपनी कंपनी की भावी योजनाओं के बारे रिपोर्ट देने के लिए बुलाया गया था
लेकिन किसी के नहीं आने के बाद उसका लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय लिया
गया। अधिकारी ने कहा कि अब डीजीसीए की अनुमति के बगैर किंगफिशर उड़ान नहीं
भर सकेगी।
दूसरी
ओर किंगफिशर एयरलाइंस की ओर से शुक्रवार को एक बयान में कहा गया कि
कर्मचारियों के काम पर नहीं आने के कारण उसे पांच नवंबर तक के लिए आंशिक
तालाबंदी का फैसला लेना पड़ा था। लेकिन अब वेतन भुगतान समेत सभी मुद्दों पर
कर्मचारियों के साथ हुई सकारात्मक बैठक के बाद ऐसी संभावनाएं बन रही है कि
तालाबंदी जल्दी खत्म करके उड़ानें छह नवंबर को बहाल कर दी जाएं।
किंगफिशर
ने कहा है कि ऐसा तभी संभव है जब डीजीसीए इस संबंध में कंपनी की ओर से
मांगी गई योजना रिपोर्ट को मंजूरी दे देता है। वेतन भुगतान नहीं होने की
स्थिति में कर्मचारियों और पायलटों के हड़ताल पर चले जाने के कारण कंपनी को
एक अक्टूबर से आशिंक तालाबंदी की घोषणा करनी पड़ी थी।
जाने
माने उद्योगपति विजय माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर का गठन 2005 में
हुआ था। अपने गठन के बाद से यह कंपनी लगातार घाटे में चल रही है और आज की
तारीख में इसका घाटा बढकर 8 हजार करोड़ रूपए तक पहुंच चुका है। इसमें 420
करोड़ रूपए का बकाया कर भुगतान भी शामिल था।
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