प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा
कि केंद्र सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हर संभव
प्रयास कर रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर जिस तरह की
नकारात्मकता और निराशा फैलाई जा रही है उससे कुछ भी अच्छा नहीं होगा।
केंद्रीय
जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो के 19वें
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार संबंधी
कानून में कमियों को दूर करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन
किए जाएंगे और इसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार बनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार प्रशासन
में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम
उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। भ्रष्टाचार को लेकर निराशा और नकारात्मकता का
माहौल बनाने की कोशिशों को बेतुका करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे कुछ
भी अच्छा नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री
ने कहा कि नकारात्मकता के बेतुके माहौल से सिर्फ राष्ट्र की छवि को ही
नुकसान होगा और सरकार का मनोबल प्रभावित होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि
भ्रष्टाचार के बड़े मामले अधिकतर वाणिज्यिक कंपनियों के संचालन से संबधित
हैं।
उन्होंने
कहा कि हमारी जांच एजेंसियों को अपना कौशल और तकनीक निरंतर उन्नत करने की
आवश्यकता है ताकि वो भ्रष्टाचार के नए तरीकों का पता लगा सकें। देश की
भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियां जिस तरह की कठिनाइयों का सामना कर रही हैं वे
आर्थिक विकास के स्तर से अलग हैं।
मनमोहन
सिंह ने कहा कि 1990 के दशक में नियंत्रण और लाइसेंस-परमिट राज के साथ
आर्थिक सुधार की प्रक्रिया शुरू की गई थी जिसके बाद भ्रष्टाचार के मामले कम
हुए थे। उन्होंने कहा कि तेज आर्थिक विकास ने भ्रष्टाचार के नए अवसर पैदा
किए जो कभी अर्थव्यवस्था के विशिष्टीकरण तथा विस्तार से जुड़े हुए थे।
No comments:
Post a Comment