कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात के राजकोट में रैली करके चुनावी बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के दावों को हकीकत से काफी दूर बताते हुए पूछा कि गुजरात में किसान खुदकुशी क्यों कर रहे हैं?
सोनिया
ने गुजरात में लोकायुक्त न होने और वैट की ऊंची दर का सवाल भी उठाया।
लेकिन सोनिया ने नरेंद्र मोदी के उन बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं की जिसमें
सोनिया के विदेशी दौरों का हिसाब मांगा गया था। साफ है कि कांग्रेस बीजेपी
की उस चाल को लेकर चौकन्नी है जिसके जरिये वे गुजरात चुनाव को मोदी बनाम
सोनिया बनाने की कोशिश हो रही है।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी पिछले कई दिनों
से सोनिया के विदेशी दौरों पर हुए खर्च को मुद्दा बनाने में जुटे हैं लेकिन
सोनिया ने इस बयानबाजी में पड़ने के बजाय गुजरात के विकास को लेकर नरेंद्र
मोदी के दावों पर सवाल उठाए। उन्होंने सीधे पूछा कि गुजरात में किसान
खुदकुशी क्यों कर रहे हैं?
यही
नहीं, सोनिया ने भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर बीजेपी के रवैये को दोमुंहा
करार देते हुए पूछा कि आखिर गुजरात में लोकायुक्त का गठन क्यों नहीं किया
गया और गुजरात सरकार वैट कम क्यों नहीं करती ताकि महंगाई कम हो।
सोनिया
ने ये भी दावा किया कि रिटेल में एफडीआई से किसानों को फायदा मिलेगा।
जाहिर है, सोनिया ने नरेंद्र मोदी से सीधे उलझने के बजाय उनके विकास के
दावों को ही कसौटी पर कसा। ये कांग्रेस की सतर्क रणनीति का हिस्सा है।
कांग्रेस
का आरोप है कि मोदी ने 2002 में गुजरात में हुए दंगों से उपजी सांप्रदायिक
भावना को वोटों में बदला। उसे लगता है कि 2007 में सोनिया के मौत के
सौदागर वाले बयान को गुजरात की अस्मिता का सवाल बनाकर मोदी ने कामयाबी पाई।
कांग्रेस नहीं चाहती कि 2012 के चुनाव को मोदी बनाम सोनिया करने की कोशिश
कामयाब हो।
यही
वजह है कि सोनिया ने निजी हमले को मुद्दा बनाने के बजाय, बीजेपी की
राजनीतिक-वैचारिक घेरेबंदी की। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूपीए सरकार सुधार
कार्यक्रमों से पीछे नहीं हटेगी। बहरहाल, अब सबकी नजर मोदी पर टिकी हैं कि
वो सोनिया के सवालों का क्या जवाब देते हैं।
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