भारत की कमजोर नब्ज अर्थव्यवस्था
है, सेना नहीं। यह बात चीन के एक सरकारी दैनिक में कही गई। इसमें कहा गया
कि भारत अपने सैन्य बल से अपनी सीमा को बचा सकता है लेकिन चीन के प्रभाव को
रोक नहीं सकता है। 'पीपुल्स डेली' के एक स्तम्भ में कहा गया है कि भारत के
पास आर्थिक विकास मंक तेजी लाने और पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन स्तर में
सुधार लाने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है।
वरिष्ठ
सम्पादक दियांग देंग ने कहा अपने स्तम्भ में लिखा है कि भारत अपनी सैन्य
शक्ति के बल पर चीन से लगी अपनी सीमा को बचा सकता है लेकिन चीन के प्रभाव
को चाह कर भी टाला नहीं जा सकता। भारत अभी इस प्रभाव के दबाव में है।
स्तम्भ में लिखा गया है कि भारत की कमजोर नब्ज अर्थव्यवस्था है, सैन्य
शक्ति नहीं।
स्तम्भ
में कहा गया कि 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के 50 साल बीत चुके हैं।
अधिकतर युवा चीनियों को इसकी धुंधली जानकारी ही है लेकिन भारतीयों को यह
अभी तक याद है। स्तम्भ में कहा गया है कि भारतीयों को अब भी इस बात की
चिंता सताती है कि चीन उससे वह क्षेत्र वापस ले लेगा जो उसने भारत से जीत
कर 50 साल पहले उसे लौटा दिया था।
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