Tuesday, October 23, 2012

हुड्डा की गैरहाजरी में घर में क्यों घुसे केजरीवाल


अरविन्द केजरीवाल और इंडिया अगेन्सट करप्शन के उनके सहयोगी पहले से ही जानते थे कि मकान नम्बर 9, पण्डित पंत मार्ग, नई दिल्ली हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा का सरकारी आवास नहीं बल्कि उनके सांसद पुत्र दीपेन्द्र सिंह हुड्डा का सरकारी निवास है। फिर भी जबरदस्ती प्रवेश करने का प्रयास किया जाना अत्यन्त निंदनीय, अलोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक नई ओछी हरकत है। यह कहना है कि हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला का। चंडीगढ़ में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दिल्ली में उपस्थित भी नहीं थे और वे अपने घोषित कार्यक्रम के अनुसार चंडीगढ़ में ही सरकारी कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे। निवास पर केवल पारिवारिक सदस्य ही मौजूद थे।
इस प्रकार गुण्डागर्दी करना, निवास में जबरदस्ती प्रवेश करने का प्रयास करना और पुलिस बैरियरस को तोडऩे की कोशिश करना न्यूनतम मानवीय शालीनता तथा संवेदनशीलता की कमी को ही नहीं दर्शाता बल्कि लक्षित व्यक्तियों के परिवारों के अधिकारों के पूर्ण हनन को भी दर्शाता है। सुरजेवाला ने कहा कि इंडिया अगेन्सट करप्शन के लगभग 150 कार्यकर्ताओं जिनमें से अधिकतर नरसंहार, आगजनी एवं एक मारूति कार्यकारी की हत्या के कारण मारूति उद्योग लिमिटेड द्वारा नौकरी से निकाले गए श्रमिक थे उन्होंने पुलिस बैरियर तोड़कर, बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई।
सुरजेवाला ने भी केजरीवाल से पूछे सवाल
पूर्व आईपीएस वाई.पी. सिंह, कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह और इंडिया अगेन्सट करप्शन की एक पूर्व कार्यकर्ता एनी कोहली के बाद अब सुरजेवाला ने भी केजरीवाल पर प्रश्नों की बौछार की है। उन्होंने कहा कि क्या लोकतंत्र को रौंदते हुए कुछ हजार कार्यकर्ताओं को केजरीवाल या उसके परिवार के सदस्यों के पारिवारिक आवासों में जबरदस्ती घुस जाना चाहिए? क्या इन नेताओं की सार्वजनिक चालबाजियों को उद्देश्य मुद्दों को उठाना है या फिर रोजाना धीरे-धीरे कम होती जा रही अपनी लोकप्रियता के कारण खबरों में बने रहना का प्रयास मात्र है? क्या एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में शालीनता एवं लोकतंत्र सार्वजनिक विरोध की कसौटी एवं सैद्घान्तिक आधार नहीं होने चाहिए? क्या सरासर गुंडागर्दी करके और घरों में जबरदस्ती प्रवेश करने का प्रयास करके नेताओं के परिवारों के अधिकारों को रौंदना उचित है? ये कुछ प्रश्न हैं, जिनका उत्तर अरविन्द केजरीवाल तथा उनके सहयोगियों को स्वयं को तथा आम आदमी को देना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि हमें विश्वास है कि लगातार किया जा रहा मीडिया प्रचार का यह प्रयास एक सच्चे आत्मनिरीक्षण के साथ समाप्त हो जाएगा।

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