अब सिर्फ एक एसएमएस से भी अब इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि जिन दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है वह असली हैं या नहीं।
जानी
मानी ड्रग ऑथेंटिकेशन सेवा प्रदाता फार्मासिक्योर ने अब ऐसी अनूठी
टेक्नोलॉजी पेश की है जिसकी मदद से नुकसानदायक और नकली दवाओं से बचा जा
सकता है। ग्राहक एक विशिष्ट नंबर डॉयल कर या मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए दवा
के असली या नकली होने की पुष्टि कर सकते हैं। दवा के हर पैक पर
फार्मासिक्योर का दिया एक कोड होता है। कोड को सीधे पैक पर प्रिंट किया
जाता है। उपभोक्ता एसएमएस के जरिए कोड भेज कर संबंधित दवा निर्माता से दवा
की असलियत की पुष्टि कुछ ही सेकेंड में कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि फर्मासिक्योर द्वारा अब
तक भारत में दवाओं के 30 करोड पैकेटों पर कोडिंग की जा चुकी है और कंपानी
इस काम के लिए 150 से भी अधिक फॉर्मा ब्रांड्स के साथ मिलकर काम कर रही है।
विक्रय और विपणन उपाध्यक्ष किशोर कार ने कहा कि कंपनी को यकीन है कि इस
सेवा को काफी पसंद किया जाएगा। फिलहाल नकली या घटिया दवाओं की पैठ का पता
लगाने के लिए कोई पुष्टि आंकड़ें उपलब्ध नही हैं।
उन्होंने
बताया कि सरकार तथा उद्योग दोनों ही इस मामले में अलग अलग अनुमानों पर
निर्भर रहते हैं लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक राज्यों के औषधि
नियंत्रकों द्वारा 2011 से 2012 के दौरान जांचे गए 48000 दवा नमूनों में से
करीब पांच प्रतिशत नमूने जांच में नाकाम रहे जबकि तीन में से लगभग एक दवा
यानी 36 फीसदी घटिया पाई गई।
उन्होंने
कहा कि वर्तमान में देशभर में 15 हजार दवा निर्माताओं पर निगरानी के लिए
करीब 1200 औषधि निरीक्षक हैं जो कि नाकाफी हैं। भारत में नकली दवाओं की
हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है। हर साल दुनियाभर में इन नकली दवाओं की वजह से
करीब सात लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।
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