डीएलएएफ के साथ सौदे को लेकर विवादों में घिरे कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। अब कॉरपोरेशन बैंक ने वाड्रा की कंपनी के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें वाड्रा की कंपनी ने कहा था कि उसे हरियाणा के मानेसर में जमीन खरीदने के लिए ओवरड्राफ्ट मिले थे।
बैंक
ने एक अंग्रेजी दैनिक के सवाल पर जवाब देते हुए वाड्रा की कंपनी की बैलेंस
शीट को झुठला दिया है। वाड्रा ने साल 2007-08 के दौरान मानेसर में साढ़े
तीन एकड़ जमीन खरीदी थी। वाड्रा की कंपनी ने इस अवधि की बैलेंस शीट में
दिखाया गया है कि उसे कॉरपोरेशन बैंक से सात करोड़ 94 लाख रुपये ओवरड्राफ्ट
के जरिए मिले थे। इस पर बैंक ने सफाई देते हुए कहा है कि हमारे रिकॉर्ड
में स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी को ओवरड्राफ्ट के जरिए पैसा देने का कहीं भी
जिक्र नहीं है।
हालांकि, बैंक ने वाड्रा या उनकी कंपनियों के साथ कारोबारी संबंध होने से
इनकार भी नहीं किया है। मालूम हो कि बैलेंस शीट पर कंपनी के दोनों निदेशकों
रॉबर्ट वाड्रा और उनकी मां मौरीन वाड्रा के हस्ताक्षर भी हैं। इसके अलावा
एसआरसी भट एंड एसोसिएट्स के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस रामचंद्र भट ने भी इस पर
दस्तख्त किए हैं। स्काईलाइट की 2007-08 की ऑडिटर रिपोर्ट के पेज-5 पर
स्पष्ट रूप से इस ओवरड्राफ्ट की जानकारी दी गई है। ये दस्तावेज कंपनी
मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
वाड्रा
की बैलेंस शीट पर बैंक की सफाई के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर कॉरपोरेशन
बैंक या वाड्रा में से कौन झूठ बोल रहा है। अगर कॉरपोरेशन बैंक ने वाड्रा
को पैसा नहीं दिया, तो वह उनकी बैलेंस शीट में कैसे दिख रहा है। इसके अलावा
उन्होंने मानेसर में जमीन की पहली किस्त कैसे अदा की।
गौरतलब है कि वाड्रा ने मानसेर में इस जमीन के सौदे के साथ ही रियल एस्टेट कारोबार में कदम रखा था।
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