आज शुरुआती
मजबूती के बाद रुपया फिर लुढ़ककर 60 के पार चला गया। ये हाल आरबीआई के कई
कदम उठाने के बाद हुआ है। ऐसे में निवेश में आई सुस्ती तोड़ने के लिए खुद
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बैठक बुलाई और उसमें कई फैसले किए।
डॉलर
की लगातार गिरती कीमत से परेशान सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के
लिए कुछ और कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली हाई लेवल कमेटी ने
मंगलवार को भारत में यात्री विमान बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट को मंजूरी दे
दी। इस प्रोजेक्ट पर कई सालों से काम चल रहा है। यह विमान छोटे रन-वे पर भी
आसानी से टेक-ऑफ कर सकेगा। इसके अलावा दिल्ली में बिजली और तेल से चलने
वाले टैक्सी-ऑटो और हाईब्रिड बसें बनाने का पायलट प्रोजेक्ट भी जल्द शुरू
हो जाएगा। कमेटी ने इस्पात का उत्पादन बढ़ाकर 3 अरब टन सालाना करने और
टैक्सटाइल क्षेत्र में आयात को 30 फीसदी बढ़ाने के लिए तुरंत फैसला लेने पर
भी मुहर लगा दी।
विदेशी
मामलों के विशेषज्ञ एवी राजवाडे का कहना है कि मुझे ऐसा लग रहा है कि हम
क्राइसिस के नजदीक आ गए है। पता नहीं बाहर कैसे निकल पाएंगे। सरकार को सही
चीजों की फिक्र करनी चाहिए। उत्पादन, नौकरियों की चिंता करनी चाहिए। हम लोग
दूसरे देशों में जॉब्स बना हैं। रुपए एक ऐसे स्तर पर लाना चाहिए जिससे
बाकी करेंसी के साथ मजबूती पर कड़े रहे।
आम
आदमी की भाषा में अगर रुपया के कम ज्यादा होने की बात की जाए तो इसके
मायने इतने ही होते हैं कि अगर रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है तो
महंगाई में कमी आती है और अगर इसमें गिरावट आती है तो महंगाई बढ़ती है।
लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर बहुत व्यापक होता है।
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