Monday, July 8, 2013

कश्मीर का प्रवेशद्वार बनी पीर पंजाल रेल सुरंग


कश्मीर घाटी को जम्मू क्षेत्र से जोड़कर भारतीय रेलवे ने एक और महान उपलब्धि हासिल कर ली है। जम्मू और कश्मीर घाटी को जोड़ने वाली यह पहली रेल लाइन है और इसके लिए पीर पंजाल पहाड़ियों के नीचे से होकर रेल संपर्क मार्ग बनाया गया है, जो हर मौसम में खुला रहेगा। इस रेल लाइन के चालू हो जाने से दोनों क्षेत्रों के बीच की दूरी 35 किलोमीटर से घटकर 17.7 किलोमीटर रह गई है।
प्रधानमंत्री ने बनिहाल (जम्मू क्षेत्र) को काजीगुंड (कश्मीर घाटी) के बीच नई बनाई गई रेलवे लाइन का पीर पंजाल सुरंग से होकर जाने वाली एक प्रायोगिक रेलगाड़ी को बनिहाल में हरी झंडी दिखाकर पिछले दिनों रवाना किया। रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 'इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड' ने इस परियोजना के सभी निर्माण कार्यो को ठेके पर लेकर पूरा करवाया है।
कश्मीर घाटी रेलवे कुल 119 किलोमीटर लंबी है, जो अक्टूबर 2009 में तैयार हो गई थी। घाटी के दूसरे सिरे पर काजीगुंड है, जो पश्चिमी कश्मीर स्थित बारामूला को काजीगुंड से जोड़ता है। इस रेल लाइन को पीर पंजाल पहाड़ियों से होकर बढ़ा देने से जम्मू क्षेत्र काजीगुंड बनिहाल से जुड़ गया है। 28 दिसंबर 2012 को इस रेलखंड पर पहली बार परीक्षण के तौर पर ट्रेन चलाई गई। इस खंड की लंबाई 17.7 किलोमीटर है। यह रेल खंड 11.2 किलोमीटर लंबा है। इसके अंतर्गत पीर पंजाल पहाड़ियों से होकर टी-80 सुरंग बनाई गई है।
इस रेल खंड को बनाने के लिए लगभग 11.78, 500 घन मीटर मिट्टी काटनी और हटानी पड़ी। खंड पर सुरंग की अधिकतम गहराई 15.20 मीटर है, जबकि तटबंध 16.70 मीटर के हैं। इस खंड पर 39 पुल बनाए गए हैं, जिनमें दो बड़े पुल हैं, 30 मामूली, सात सड़के के ऊपर तथा नीचे बने अंडरब्रिज हैं। इस रेल खंड के निर्माण कार्य में कुल 1691.00 करोड़ रुपयों लगे। हर 62 मीटर की दूरी पर लायनीयर फायर दिशा में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो अत्याधुनिक तकनिक वाले हैं। रेलखंड पर हर 125 मीटर की दूरी पर आग बुझाने की व्यवस्था है और इसके लिए फायर हाइड्रेंट लगाए गए हैं।
इसके अलावा प्रत्येक 250 मीटर की दूरी पर आपातकालीन टेलीफोन केंद्र, आग बुझाने के यंत्र और आग की चेतावनी देने के यंत्र लगाए गए हैं। प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर वायु की गुणवत्ता की जांच करने की व्यवस्था है। प्रत्येक 50 मीटर की दूरी पर आपातकालीन बचाव द्वार की तरफ जाने के संकेत दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त आपातकालीन प्रकाश एवं सामान्य प्रकाश की व्यवस्था के साथ-साथ पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगाया गया है।
बचाव और रखरखाव के लिए तीन मीटर चौड़ी एक सड़क बनाई गई है, जिसकी लंबाई 772 मीटर है। प्रदूषित हवा निकालने के लिए सुरंग में 25 पंखे लगाए गए हैं। यह रेलखंड जम्मू और कश्मीर राज्य के पहाड़ी इलाके में पड़ता है। यहां से होकर गुजरना परिवहन प्रदान करने वालों के लिए हमेशा चुनौती रहा है। अन्य जो कारक इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवहन में मुश्किलें पैदा करते हैं, वे हैं भौगोलिक अस्थिरता, भूकंप का खतरा और दो पहाड़ियों के बीच गहरी खाई। ये किसी भी निर्माण प्रक्रिया को बहुत मुश्किल बना देती हैं।
भारी बारिश और लगातार होने वाली बर्फबारी के कारण अत्यंत कठिन भौगोलिक परिस्थिति में भी उत्तर रेलवे ने इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरा कर कश्मीर घाटी के लिए हर मौसम में परिवहन की सुविधा प्रदान करने वाली अत्याधुनिक रेल लाइन की सौगात दी है। यही कारण है कि क्षेत्र के निवासियों ने भी इस रेल खंड की सराहना की है। इस रेल खंड के चालू हो जाने से जम्मू क्षेत्र को कश्मीर घाटी से जोड़ने का 114 साल पुराना सपना पूरा हो गया है। सबसे पहले 1898 में महाराजा प्रताप सिंह ने जम्मू को कश्मीर घाटी से रेल लाइन के जरिए जोड़ने के बारे में छानबीन कराई थी।

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