Thursday, July 4, 2013

पहले ही लिख ली गई थी इशरत के एनकाउंटर की पूरी कहानी

इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई चार्जशीट में नए-नए खुलासे हुए हैं। लगता है जैसे स्क्रिप्ट पहले से तय थी, जिसमें किन लोगों को मारा जाएगा ये भी पहले से तय था, कैसे मारा जाएगा ये तक तय था। कथित आतंकवादी पहले से पकड़ लिए गए थे और उन्हें एक जगह लाकर उनमें 60 गोलियां झोंक दी गईं।
ये सब कुछ हुआ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में, इसमें शामिल थे राज्य के आला पुलिस अफसर। ये कहानी है इशरत जहां फर्जी इनकाउंटर की। आईबीएन 7 को सीबीआई की चार्जशीट मिली है, जिसमें कैद बातें वाकई में चौंका देती हैं। सीबीआई की जांच साफ करती है कि कैसे पुलिस के आला अफसरों ने तीन दिन में इस खूनी खेल की साजिश रची औऱ उसे अंजाम दिया। 19 साल की इशरत का बाकी 3 संदिग्ध आतंकवादियों के साथ खुद वर्दीधारियों ने कत्ल कर दिया।
इनकाउंटर के दो दिन पहले
तारीख 13 जून 2004 - तत्कालीन डीसीपी डी जी वंजारा ने एक बैठक बुलाई। जगह चुनी गई अहमदाबाद के दफनाला शाहीबाग का बंगला नंबर 15। शाम का कोई वक्त - बंगले के दरवाजे खुले और गुजरात पुलिस के कई वर्दीधारी दाखिल हुए। वंजारा के अलावा, तत्कालीन एडिशनल सीपी पी पी पांडेय, आईबी के अधिकारी राजिंदर कुमार ने पहले से पकड़े गए चार लोगों जीशान जौहर, अहमद अली, प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद गुलाम शेख और इशरत जहां रजा को मारने का प्लान तय किया। तय ये भी हुआ कि पहले से इस हत्याकांड को इनकाउंटर में बदलने वाली एफआईआर की कॉपी भी तैयार कर ली जाए। यानि एक संगीन फर्जी इनकाउंटर की स्क्रिप्ट लिखी जा रह थी।
बंगला नंबर 15
इनकाउंटर से एक दिन पहले
तारीख 14 जून 2004, दिन के 3 बजे। बंगले के दरवाजे फिर खुले और तत्कालीन डीसीपी डी जी वंजारा के अलावा जी एल सिंघल, पुलिस इंस्पेक्टर डी एस गोस्वामी मिले। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक वंजारा ने इन लोगों के सामने इनकाउंटर की स्क्रिप्ट रखी, एफआईआर की कॉपी रखी जिसमें कई जगहें खाली छोड़ी गई थीं। जैसे इनकाउंटर में मारे गए लोगों के नाम की जगह खाली थी। इनकाउंटर में चलाई गई गोलियों की तादाद की जगह भी खाली थी।
यानि सीबीआई की मानें तो वारदात से पहले ही एफआईआर लिख ली गई थी, इनकाउंटर से पहले ही फर्जी इनकाउंटर के निशाने तैयार थे, अब बस उसमें मारे जाने वालों के नाम और गोलियों की तादाद भरी जानी थी। ये दोनों होने के बाद पुलिस अपना रिकॉर्ड पूरा कर लेती। सीबीआई का दावा है कि इनकाउंटर के बाद अहमदाबाद के एक थाने में वही एफआईआर इनकाउंटर के नाम पर दर्ज कर ली गई।
आईबीएन 7 के हाथ आई सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक अहमदाबाद के इसी बंगला नंबर 15 में रात के 11 बजे एक और बैठक हुई। ये बैठक भी वंजारा ने ही बुलाई थी और इसमें अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच के वो सभी अफसर शामिल हुए जो इस वक्त फर्जी मुठभेड़ के कठघरे में खड़े हैं। इस बैठक में वंजारा ने पहले से तैयार FIR के हिसाब से ही चारों का इनकाउंटर करने को कहा।
बंगला नंबर 15 में ही ये बैठक रात के 11 बजे हुई थी। सीबीआई की चार्जशीट साफ कहती है कि उसी बैठक में ये भी तय कर लिया गया कि एडिशनल DGP पी पी पांडे और तत्कालीन DCP डी जी वंजारा के बॉडीगार्ड मोहनभाई नानजीभाई मेनत और मोहनभाई लालाभाई कलसवा को इस इनकाउंटर को अंजाम देना होगा। फर्जी इनकाउंटर का खेल खेला गया अहमदाबाद और गांधीनगर को जोड़ने वाली इस सड़क पर।
सीबीआई के मुताबिक आरोपी एन के अमीन और कमांडो मोहन नानजीभाई मेनत समेत पांच लोग कोटारपुर वॉटर वर्क्स की उसी सड़क की ओर तड़के 4 बजे रवाना हो गए। दो लोगों को 500 मीटर पहले उतार दिया गया। उसी वक्त दो कांस्टेबल मोहम्मद शफी और अवनीश ठाकुर इशरत जहां और जावेद को कोडियार फॉर्म हाउस से घटनास्थल की ओर एक नीले रंग की इंडिका कार MH 02-JA-4786 में लेकर आ रहे थे। मो. शफी खुद कार ड्राइव कर रहा था और तत्कालीन ACP नरेंद्र अमीन के आदेश के मुताबिक उसने कार को रोड डिवाइडर से लगाकर सड़क के दूसरी तरफ पार्क कर दिया, उसने जावेद को पीछे से उठा कर ड्राइवर की सीट पर बैठा दिया।
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक उसी वक्त इस इनकाउंटर के दूसरे किरदार भी अपनी जगह से चल चुके थे। तत्कालीन ACP जी एल सिंघल, इंस्पेक्टर तरुण बारोट, वंजारा के गनमैन मोहनभाई लालाभाई कलसवा, कमांडो अनाजू जीमन चौधरी सुबह 4 बजे मौके पर जा पहुंचे।
तत्कालीन ACP जी एल सिंघल के कहे मुताबिक एक सफेद क्वालिस गाड़ी में अरहार्म फॉर्म हाउस से अमजद अली को इनकाउंटर की जगह की ओर लाया जा रहा था। मौके पर पहुंचते ही तत्कालीन ACP नरेंद्र अमीन ने अमजद अली को रोड डिवाइडर के पास खड़ी इंडिका के पास खड़ा करवा दिया। उन्हें लाने वाले वापस लौट गए। सीबीआई की जांच कहती है चारों आरोपियों को मौके पर लाते ही खुद तत्कालीन ACP नरेंद्र अमीन, इंस्पेक्टर बारोट, जे जी परमार, गनर कलसवा, कमांडो अनाजू ने कार में बैठे लोगों पर अपने हथियारों से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। चारों मौके पर ही मार डाले गए। इतने पर ही ये लोग शांत नहीं हुए। बारोट और कलसवा ने आई के चौहान और वंजारा के गनर मेनत से उनके हथियार ले कर भी गिरे पड़े लोगों पर फिर फायरिंग की।
सीबीआई की जांच रिपोर्ट में गोलियों की संख्या तक दर्ज है। पहले से पकड़े लोगों को मोदी की हत्या की साजिश के लिए आए आतंकवादी बता कर किए गए इस फर्जी इनकाउंटर में जमकर गोलियां बरसाई गईं। कुल 60 गोलियां चलीं। इनमें एन के अमीन ने अपनी 9 एमएम की पिस्टल से 5 गोलियां चलाईं। जे जी परमार ने अपने रिवॉल्वर से 4, तरुण बारोट ने अपने रिवॉल्वर से 6 तो चौहान ने रिवॉल्वर से 3 गोलियां मारीं। गनर कलसवा ने अपनी एके-47 से 32 गोलियां दागीं तो कमांडो नानजी से एके-47 लेकर 10 औऱ गोलियां भी दागीं। कमांडो अनाजू ने अपनी स्टेनगन से 10 गोलियां चलाईं।
इसके बाद इस इनकाउंटर को असली बताने की एक और कोशिश हुई। खुद गनर कलसवा ने एक एके-56 राइफल से तत्कालीन ACP नरेंद्र अमीन की जिप्सी गाड़ी पर कई गोलियां चलाईं, ताकि लगे कि उन कथित आतंकवादियों ने जवाबी फायरिंग की थी। बाद में बड़ी सफाई से यही राइफल अमजद अली के शव के पास रख दी गई।
उस वक्त तक सुबह की पहली किरण दिखने लगी थी, वक्त हो चला था 5 बजे का। यानि एक घंटे में इस इनकाउंटर की पूरी कहानी को हकीकत में बदल डाला गया था। उस वक्त तक वायरलेस पर लगातार संदेशे भेजे जा रहे थे। आईबी की खुफिया सूचना के आधार पर अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में एक इनकाउंटर हुआ है, जिसमें चार सदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया गया है।

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