Wednesday, July 17, 2013

प्रकृति के प्रकोप से जंग जारी है: विजय बहुगुणा

एक महीना पहले 16 जून को उत्तराखंड के 13 जिले प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए थे। जबसे ज्यादा तबाही मची थी केदारनाथ इलाके में। गौरी कुंड, रामबाड़ा और केदारनाथ धाम पूरी तरह से तबाह हो गया था। आज भी 5748 गुमशुदा लोगों की तलाश जारी है। सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा भी दे रही हैं। लेकिन सरकार के सामने बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर केदारनाथ का इलाका कब तक ठीक हो पाएगा? कब केदारधाम में पूजा शुरु होगी?
उत्तराखंड सरकार सवालों से जूझ रही है। लेकिन ताजा हालात ये है कि केदारनाथ मंदिर तक अभी भी पहुंचने का रास्ता नहीं खोला जा सका है। यहां पड़े मलबे को भी हटाने में अभी काफी वक्त लगेगा। सरकार ने मंदिर की सफाई का काम शुरु करवाया है। लेकिन मंदिर के अंदर पड़ा हुआ चार फिट तक का मलबा अभी ज्यों का त्यों है। इसे पूरी तरह से पूजा लायक बनाने में अभी वक्त लगेगा। सरकार को आशा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही केदारनाथ में पूजा शुरु कर दी जाएगी।
राज्य सरकार का कहना है कि मंदिर समिति से बात कर वहां कुछ लोगों को भेजने की तैयारी कर रही है। ये लोग मंदिर में बचे हुए सामानों की लिस्ट बनाकर सरकार को देंगे। इसके बाद वहां जरुरी सामानों और मंदिर की साफ सफाई करके जल्द ही पूजा शुरु की जाएगी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के मुताबिक हम सामानों की लिस्ट बना रहे हैं।
सरकार का दावा है कि केदारनाथ धाम में साठ लोगों की टीम मौजूद हैं। इसमें एनडीआरएफ और पुलिस के लोग हैं। यहां लोगों के शव मिलने का सिलसिला जारी है। बचाव दल की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि अभी तक केदानाथ धाम जाने का रास्ता नहीं खोला जा सका है। राज्य सरकार के मुताबिक सेना रामाबाड़ा में रास्ता खोलने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन यहां रास्ते पर गिरी अस्सी फीट की चट्टान सबसे बड़ी मुश्किल बनी हुई है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक प्राकृति का बहुत बड़ा प्रकोप था। प्रकृति के प्रकोप से जंग जारी है। वहीं हरिद्वार में केदारनाथ यात्रा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए महायज्ञ किया गया। हर की पौड़ी पर मंत्रों के साथ उन लोगों की सलामती की भी दुआ मांगी गई जो अब तक नहीं मिले हैं।

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