पहाड़ों पर एक
बार खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड में बीते तीन दिनों से हो रही बारिश के
बाद ज्यादातर नदियां उफान पर हैं। कई गांवों से संपर्क टूट गया है। सैकड़ों
लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं। गांवों तक राशन और दूसरी जरूरी चीजें नहीं
पहुंच पा रही हैं। उत्तराखंड सरकार खुद मान रही है कि लगातार हो रही बारिश
ने राहत और बचाव का काम ठप कर दिया है। ऐसे में लोगों को एक बार फिर 16 जून
जैसी तबाही का डर सताने लगा है।
उत्तराखंड
में बीते 2-3 दिनों से हो रही भारी बारिश के चलते भागीरथी, अलकनंदा,
असीगंगा और गंगा जैसी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। लगातार हो रही
बारिश से भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। 16 जून की तबाही देख चुके लोग बारिश
से खौफजदा हैं और सुरक्षित जगहों की ओर जाने लगे हैं। इस बारिश ने राज्य
सरकार की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
वहीं
भारी बारिश की वजह से जगह-जगह चल रहे राहत के काम ठप पड़ गए हैं।राहत
सामग्री पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं। राहत के काम में लगे हेलीकॉप्टर
बीते तीन दिन से उड़ान नहीं भर पाए हैं। केदारनाथ धाम में शवों के अंतिम
संस्कार नहीं हो पा रहा है। राहत के काम में जुटे अधिकारी और कर्मचारी भी
जहां-तहां फंसे हैं। दूसरी तरफ हालात बेकाबू होते देख मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और हालात से निपटने के उपायों पर चर्चा
की। काफी देर चली इस माथापच्ची के बाद भी ये फैसला नहीं हो पाया कि पीड़ित
लोगों तक मदद कैसे पहुंचाई जाए। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, ‘मेरी
अधिकारियों से बात-चीत हुई है। फ्लड कंट्रोल व फ्लड रिलीफ के लिए
पीएम से पांच सौ करोड़ रुपये मांगेंगे।
वहीं
बारिश ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। देहरादून में मकान गिरने से दो
महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई। चमोली के उरगम घाटी में 8 मकान बारिश
में ध्वस्त हो गए। गनीमत ये रही कि इन मकानों में रहने वाले लोग वक्त रहते
बाहर निकल गए थे।
भागीरथी के बढ़ते जलस्तर से उत्तरकाशी के तिलोथ और जोशियारा गांवों से संपर्क कटने जैसे हालात बन गए हैं।
जबकि
उत्तराखंड सरकार का कहना है खराब मौसम के चलते जगह-जगह फंसे स्थानीय लोगों
को सुरक्षित निकालने का काम भी ठप पड़ा है। पिथौरागढ़ और बद्रीनाथ में अभी
भी करीब 550 लोग फंसे हुए हैं। इनमें सरकारी अफसर, कर्मचारी, पुलिसकर्मी
और मंदिर समिति के लोग शामिल हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 16 जून की
त्रासदी के बाद लापता लोगों का नया आंकड़ा पेश किया है। मुख्यमंत्री के
मुताबिक त्रासदी के बाद 4000 से 4500 लोग लापता हैं। इनमें उत्तराखंड के
795 लोग शामिल हैं। सबसे ज्यादा 653 लोग रुद्रप्रयाग से लापता हैं। आपको
बता दें कि केदारनाथ, गौरीकुंड और रामबाड़ा रुद्रप्रयाग जिले में ही पड़ते
हैं। इन्हीं जगहों पर जल प्रलय ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी।
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