सुप्रीम कोर्ट
में किशोर न्याय कानून में बदलाव के लिए दायर याचिका खारिज हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी कि मौजूदा कानून में कोई
बदलाव नहीं किया जाएगा। फैसले के मुताबिक बालिग होने की उम्र 18 साल ही
रहेगी।
गौरतलब है कि याचिका में बालिग की
उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने की मांग की गई थी। ये याचिका दिल्ली गैंगरेप
में शामिल नाबालिग आरोपी को ध्यान में रखकर दाखिल की गई थी। दरअसल, दिल्ली
गैंगरेप में शामिल नाबालिग आरोपी के खिलाफ किशोर न्याय प्राधिकरण में
मुकदमा चल रहा है। जिसके तहत उसे अधिकतम तीन साल की ही सजा हो सकती है।
वहीं
जानकारों का कहना है कि जिस समय कोई अपराध करता है, उस वक्त उसकी उम्र और
मानसिकता को देखते हुए फैसला किया जाता है। वहीं याचिकाकर्ता आमोद कंठ के
मुताबिक भारत में 18 साल से कम के बच्चे अपराध कम करते हैं। लड़कपन में
बच्चा कोइ गलत काम करता है तो परिवार उसे बच्चा ही मानता है।
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