Tuesday, July 9, 2013

चीन की दादागीरी, भारत में घुसपैठ कर तोड़फोड़

भारतीय जमीन में घुसकर चीन ने एक बार फिर दादागीरी दिखाई है। चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के लगाए गए कैमरों को तोड़ डाला है। ये कैमरे हाई रिजॉल्यूशन के थे। भारतीय सेना ने अप्रैल में इन कैमरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि LAC पर चीनी सैनिकों की निगरानी के लिए लगाया था। भारतीय सेना ने वहां पर जो अस्थाई ढांचे बनाए थे उन्हें भी चीनी सैनिकों ने गिरा दिया है। इतना ही नहीं, वहां मौजूद लोगों को चीनी सैनिकों ने हिंदी में इलाका खाली करने की धमकी भी दी। चीन की ताजा दादागीरी की ये घटना 17 जून की है। पिछले 3 महीने में इस जगह पर चीन की ये दूसरी घुसपैठ है।
चीन की ये ताजा घुसपैठ लद्दाख के उसी दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में हुई है जहां अप्रैल और मई में भारतीय सीमा के 19 किलोमीटर अंदर घुसकर चीन ने अपने टेंट गाड़ दिए थे। इतना ही नहीं भारतीय सीमा के अंदर बैनर लगाकर उसपर लिख दिया था कि ये इलाका चीन का है और आप चीन में हैं। 21 दिनों तक चला वो गतिरोध बड़ी मुश्किल से खत्म हुआ था और चीन तभी वापस हटने को तैयार हुआ था जब भारत ने इलाके से अपने बंकरों को नष्ट करने की बात मानी थी। ताजा घुसपैठ के बाद 3 जुलाई को दोनों देशों की सेना के बीच एक फ्लैग मीटिंग भी हो चुकी है। फ्लैग मीटिंग में भारतीय सेना के अधिकारियों द्वारा भी यह मुद्दा उठाया गया। सबूत के तौर पर भारत ने टूटे हुए कैमरे भी दिखाए। सरकार की ओर से एक बार फिर इस मामलों को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात कही गई है।
17 जून को चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की, यानि भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी के चीनी दौरे से पहले। मतलब ये कि उन्हें ये पता होगा कि कैसे चीन ने एक बार फिर लद्दाख में घुसपैठ की। लेकिन चीनी सेना की दादागीरी का आलम देखिए। एंटनी के दौरे से ऐन पहले एक बड़े चीनी सैन्य अधिकारी ने उलटा भारत पर ही सवाल खड़ा कर बातचीत को भटकाने की कोशिश की। चीन ने उलटा ये आरोप लगाया कि भारत के अधिकार क्षेत्र का 90,000 किलोमीटर का इलाका दरअसल उसका है। एंटनी के दौरे के ऐन पहले आए इस बयान से साफ है कि चीनी सेना की मंशा कितनी खतरनाक है। चीन का इरादा दरअसल क्या है।
इससे पहले 19 मई को चीन के प्रधानमंत्री ली कचीयांग तीन दिन के दौरे पर भारत आए थे और उससे पहले 10 मई को भारतीय विदेश मंत्री चीन गए थे। दोनों दौरों में बड़ी मीठी-मीठी बातें हुईं। आर्थिक सहयोग की बात हुई, सीमा विवाद सुलझाने के मसले पर बात हुई। लेकिन एंटनी के दौरे के पहले चीन ने जैसा चेहरा दिखाया दरअसल वही उसका असली चेहरा लगता है। वही उसकी मंशा लगती है।
पंचशील के बाद भारत पर चीन के हमले ने हमें एक सबक जरूर सिखाया कि चीन पर जल्द भरोसा मत करो। बार-बार चीनी घुसपैठ, चीनी सेना की नई 90 हजार किलोमीटर की रणनीति। इन हरकतों से साफ है कि भारत का शक गलत नहीं। ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के बहाव का मुद्दा हो। पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह हो, श्रीलंका का हंबनटोटा। बर्मा और बांग्लादेश में बढ़ता चीनी निवेश और प्रभाव। जाहिर है इसने भारत की चिंताएं और बढ़ाई हैं।
लेकिन जिस तरह से चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है उससे साफ है कि इस वक्त बड़ी जरूरत है कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जल्द कोई पुख्ता समझौता करें। जरूरत है कि चीन अपनी होशियारी और बाज़ीगरी से बाज आए। दोनों देश सीमा समझौते पर एक ऐसा ड्राफ्ट बनाएं जो दोनों को मंजूर हो, ताकि विवाद और अविश्वास को छोड़ तरक्की और सहयोग के दिशा में दोनों देश आगे बढ़ सकें।

No comments:

Post a Comment