चैंपियंस
ट्रॉफी में टीम इंडिया के जीत के सिलसिला को वेस्टइंडीज दौरे पर हार के
सिलसिले में बदलने में ज़्यादा वक्त नहीं लगा। जिसकी वजह कप्तान महेंद्र
सिंह धोनी की कमी रही। धोनी के अनफिट होने के चलते किंग्सटन के पहले वन-डे
में तनाव वाले लम्हें में कैप्टन कूल की जबरदस्त कमी खली। इसके बाद दूसरे
वन-डे में श्रीलंका ने जो हाल बनाया वो भी काफी भयानक रहा। धोनी की फिटनेस
यूं तो बेमिसाल रही है। भारतीय क्रिकेट तो दूर की बात पूरी दुनिया में धोनी
की फिटनसे के आगे कोई खिलाड़ी टिक नहीं सकता है।
आंकड़ों
पर गौर करें तो 2011 से लेकर अब तक धोनी ने 25 टेस्ट में सिर्फ 1 टेस्ट
नहीं खेला क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऐडिलेड टेस्ट में उन पर बैन लगा था।
इस दौरान टीम इंडिया के 18 टी-20 मैचों में से 17 मैच में धोनी मौजूद रहे।
हालांकि, इस दौरान 64 वन-डे मैचों में धोनी ने 53 मैच ही खेले। धोनी ने इस
दौरान वेस्टइंडीज के खिलाफ दो वन-डे सीरीज के 10 मैचों में हिस्सा ना लेकर
आराम किया। जबकि श्रीलंका के खिलाफ एक मैच वो बैन की वजह से नहीं खेले।
टीम
के कप्तान, विकेटकीपर और एक अहम बल्लेबाज़ की तिहरी भूमिका निभाने वाले
धोनी को आराम करने का मौका बहुत कम मिल पाता है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया या
क्रिकेट साउथ अफ्रीका या फिर ईसीबी की तरह बीसीसीआई की कोई बेहतरीन रोटेशन
पॉलिसी भी नहीं है, जिससे इतने अहम खिलाड़ी को समय समय पर आराम दिया जा
सके।
अंतर्राष्ट्रीय
क्रिकेट के अलावा धोनी को 2011 से लेकर अब तक चेन्नई सुपर किंग्स के लिए
आईपीएल और चैंपिंयस लीग के 61 मैचों में भी शिरकत करनी पड़ी है। बदलाव के
दौर से गुजर रही टीम इंडिया को धोनी जैसे खिलाड़ी और कप्तान की जरूरत है।
2015 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए धोनी कितना क्रिकेट खेलें इस बात का
फैसला चयनकर्ताओं और बीसीसीआई को अब लेना होगा।
दिसंबर
2004 से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले धोनी ने मैदान पर
कुल 819 दिन बिताया है। इनमें से 352 दिन टेस्ट, 225 दिन वन-डे, टी-20 में
42 दिन, आईपीएल में 96 दिन. चंपियंस लीग में 14 दिन जबकि दूसरे मैचों में
90 दिन रहे हैं। इस दौरान धोनी ने मात्र 8 टेस्ट, 27 वन-डे, 3 टी 20 और 3
आईपीएल/चैंपिंयस लीग के मैचों में हिस्सा नहीं लिया है।
पिछले
एक दशक में सचिन तेंदुलकर के बाद धोनी टीम इंडिया के सबसे बड़ें क्रिकेटर
बनकर उभरे हैं। लेकिन अपने करियर के पहले 9 साल में तेंदुलकर को भी क्रिकेट
की ऐसी थकान का सामना नहीं करना पड़ा था। टेस्ट, वनडे और टी-20 को मिलाकर
तेंदुलकर ने 1989 से 1998 के बीच 269 मैच खेले। जबकि इसकी तुलना में धोनी
ने 2004 से लेकर 2013 के जून महीने तक ही 344 मैच खेल लिए हैं।
गौरतलब
है कि इस दौरान तेंदुलकर को ना तो आईपीएल खेलना पड़ा था और ना ही चैंपिंयस
लीग। पूरी दुनिया में किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी ने पिछले 9 साल में इतना
क्रिकेट नहीं खेला है। ऐसे में वेस्टइंडीज दौरे के बीच में धोनी का अनफिट
होकर लौटना किसी के लिए चौंकाने वाली बात नहीं है। अगर हैरानी है तो इस बात
पर कि आखिर ये खिलाड़ी बिना थके इतने दिन तक लगातार क्रिकेट कैसे खेलता
रहा।
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