Tuesday, July 9, 2013

मिशन 2050 पर तेजी से आगे बढ़ रहा है चीन!


चीन क्या अपने पड़ोसियों के साथ सद्भाव से रह सकता है। जापान, ताईवान, वियतनाम जैसे कई देश हैं जो चीन की बढ़ती दादागीरी से हैरान परेशान हैं। महज चार दिन पहले ही रक्षा मंत्री एके एंटनी की चीन यात्रा के दौरान एक चीनी जनरल का ये धमकी भरा बयान आया कि सीमा पर सैनिकों की तैनाती कर भारत उसे उकसाए नहीं। यही नहीं इस जनरल ने अरुणाचल प्रदेश पर भी चीन का दावा जताया। चीन का रक्षा बजट और लगातार बढ़ती सैनिक आक्रामकता इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आखिर उसकी महत्वाकांक्षा क्या है।
चीन, मिशन 2050 के की तैयारी में है। ये वो मिशन है जिस पर चलकर अगर चीन कामयाब होता है तो वो दुनिया की महाशक्ति बनने के ख्वाब को पूरा कर लेगा। यानि वो आर्थिक, सामरिक तौर पर दुनिया का सिरमौर हो जाएगा। इस योजना के तहत चीन लगातार अपना सामरिक बजट बढ़ा रहा है। 2010 में चीन ने अपने सेना का बजट 9 फीसदी बढ़ा दिया और ये 77 बिलियन डॉलर हो गया। 2012 में ये बढ़कर 106 बिलियन हो गया था।
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के रक्षा बजट का 17 फीसदी ही है। लेकिन लगातार भारी बजट बनाकर वो अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। रक्षा क्षेत्र में इस भारी-भरकम खर्च से चीन की महत्वाकांक्षा का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर भारत से तुलना करें तो चीन भारत से तीन गुनी से ज्यादा रकम सेना पर खर्च करता है। कुछ ऐसा ही हाल भारत और चीनी सेना के बीच भी है।
चीन के पास 23 लाख लड़ाकू सैनिक हैं तो वहीं भारत के पास करीब 13 लाख सैनिक हैं। चीन की वायुसेना में जहां 1762 लड़ाकू विमान हैं तो वहीं भारत के पास 950 लड़ाकू विमान है। चीन के पास भी जे-11, जे-10, सुखोई-30, और चौथी पीढ़ी के जेएच-7 लड़ाकू विमान हैं। तो भारतीय वायुसेना में सुखोई 30 एमकेआई, मिराज, मिग-29 ,मिग-21, मिग-27 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान हैं। इसके अलावा भारत के पास हवा में उड़ने वाली अवॉक्स रडार प्रणाली है जो इजराइल से खरीदी गई है। जबकि चीन के पास अपनी अवॉक्स प्रणाली है।
चीन ने उस वक्त दुनिया भर में सनसनी फैला दी, जब उसने अंतरिक्ष में 500 मील ऊपर उड़ते एक कबाड़ी सेटेलाइट को अपनी मिसाइल से टुकड़े टुकड़े कर दिया। दुनिया ने इसे देखा और इस पर अपनी चिंता दिखाई। चीन यही तो चाहता है। दुनिया उसकी ताकत देखे और उसपर चिंतित हो। चीन ने ये भी दिखा दिया कि वो जब चाहे किसी भी देश की संचार व्यवस्था को तहस नहस कर सकता है।
बहरहाल मिसाइलों की बात करें तो भारत के पास 5000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल है। चीन की डांग फेंग-5 मिसाइल 13000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। भारत के पास 27 युद्धपोत हैं, तो चीन के पास 75 के करीब। भारत के पास एमआईआरवी यानी मल्टिपल इंडेपेंडेंट रिकवरी व्हीकल है जो एक साथ कई टारगेट को हिट कर सकती है। लेकिन चीन के पास ऐसा व्हीकल नहीं है। चीन की कुछ मिसाइलें भले ही भारत के मुकाबले ज्यादा दूरी तक मार करने की क्षमता रखती हों। लेकिन अग्नि-5 की खायिसत ये है कि इसे कुछ ही पलों में लॉंच के लिए तैयार किया जा सकता है। फिलहाल ऐसी क्षमता चीन के पास नहीं है। इसके अलावा भारत की अपनी क्रूज मिसाइलें अब दुनिया की बेहतरीन मिसाइलें मानी जाती हैं।
रक्षा विशेषज्ञ एस कोंडापल्ली की माने तो परमाणु क्षमता के लिहाज से भी भारत कमजोर नहीं है। भारत की अग्नि मिसाइलें दुश्मनों के ठिकानों पर परमाणु हथियार गिराने की क्षमता है।
चीन की डीएफ-3, 16000 किमी तक परमाणु हथियार ले जा सकती है। भारत के पास जहां 50 से 90 परमाणु हथियार हैं तो वहीं चीन का दावा है कि उसके जखीरे में 150 से 200 परमाणु हथियार है। भारत की चिंता ये है कि चीन न सिर्फ अपनी सैन्य क्षमता को तेजी से बढ़ा रहा है बल्कि वो पाकिस्तान को भी भारत के खिलाफ खड़ा कर रहा है।

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