देश भर में
सरकारी बंगलों पर अवैध कब्जा जमाए बैठे नेताओं और अफसरों के रवैये पर
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि इस सिलसिले में
दिशानिर्देश बनाकर बंगलों से अवैध कब्जों को हटाया जाए। बंगलों में बनाए गए
स्मारकों को भी खत्म किया जाए।
दरअसल
दिल्ली का लुटियंस जोन यानी संसद और राष्ट्रपति भवन के नजदीक के बंगलों
में जो एक बार घुसा, वो फिर निकलने का नाम नहीं लेता। इनमें राजनीतिक दलों
के आला नेता और सरकार के बड़े अधिकारी रहते हैं। दिक्कत ये है कि पद से
हटने के बावजूद वे इन बंगलों में जमे रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे
दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कोर्ट ने शुक्रवार को इस बाबत एक दिशानिर्देश
जारी किया है।
सुप्रीम
कोर्ट के निर्देश के मुताबिक आवंटन की मियाद खत्म होने के एक महीने के
अंदर बंगला या घर खाली किया जाए। वाजिब वजह बताने पर एक महीने की मोहलत दी
जा सकती है। बंगला खाली न करने वालों पर बाजार भाव से जुर्माना लगाया जाए।
घर खाली न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बंगला खाली न
करने वाले सांसदों के खिलाफ लोकसभाध्यक्ष को शिकायत भेजी जाए। लोकसभाध्यक्ष
ऐसे मामलों पर कार्यवाही के लिए संसदीय समिति से कहें।
सुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि किसी भी सरकारी बंगले में कोई स्मारक नहीं बनना चाहिए। जो
स्मारक बन गए हैं, उन्हें खाली कराया जाना चाहिए। सरकार द्वारा सुप्रीम
कोर्ट में जमा किए गए आंकड़े के मुताबिक इस साल जनवरी में दिल्ली में ही
150 घरों और बंगलों पर अवैध कब्जा था। अब ये सरकार पर है कि वो इन
दिशानिर्देशों का पालन कितने सख्ती से करती है।
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