रोजगार अवसर के मामले में दिल्ली राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र 27 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ देश में पहले स्थान पर बना
हुआ है जबकि कोलकाता और बेंगलूरु क्रमशः 19 और 7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के
साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
उद्योग
संगठन एसोचैम की ओर से मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश में
रोजगार के अवसरों पर जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वर्ष की
पहली तिमाही में देश में कुल 1,25,000 नई नौकरियों के अवसर आए। रिपोर्ट के
मुताबिक दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही के
दौरान कुल 34 हजार नई नौकरियों के अवसर आए जो कि इसके पिछले वित्त वर्ष के
29 हजार के आंकड़ें से 16 प्रतिशत अधिक है।
क्षेत्र
विशेष के मामले में भी आईटी और हार्डवेयर उद्योग में सबसे ज्यादा 47
प्रतिशत रोजगार के अवसर दिल्ली एनसीआर में रहे। जबकि शिक्षा के क्षेत्र में
रोजगार के मामले में इसकी हिस्सेदारी 14 प्रतिशत और बैकिंग, बीमा और
वित्तीय क्षेत्र में यह 6 प्रतिशत रही। हालांकि आलोच्य अवधि में दिल्ली
एनसीआर में आधारभूत संरचना, आतिथ्य, मानव संसाधन, एफएमसीजी, निर्माण,
इंजीनियरिंग, ऑटो, टेलीकॉम और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों के अवसर कम
दिखे।
रिपोर्ट
के मुताबिक रोजगार के मामले में दक्षिण भारत की स्थिति अपेक्षाकृति काफी
कमजोर बनी रही। चेन्नई इसमें सबसे निचले स्थान पर रहा। पहली तिमाही में
यहां नौकरियों के अवसर 21 फीसदी घटे। पिछले वित्त वर्ष अप्रैल-जून में यहां
कुल 10,200 नई नौकरियों का सृजन हुआ लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की समान अवधि
में यह घटकर 8 हजार के स्तर पर पहुंच गया।
सूचना
प्रोद्योगिकी और फार्मा उद्योग का केन्द्र समझे जाने वाले हैदराबाद की
स्थिति भी इस मामले में अच्छी नहीं रही। समीक्षाधीन अवधि में यहां रोजगार
के अवसर में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। देश की वाणिज्यिक राजधानी
मुबंई की हालत भी खराब रही। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यहां नई
नौकरियों मे जहां 14 प्रतिशत की तेजी रही थी। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष की
समान अवधि में यह घटकर 10 प्रतिशत रह गई।
मंदी के कारण कम हुईं नौकरी
एसोचैम
के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारण भी रोजगार के
हिसाब से पहली तिमाही खराब रही हालांकि दूसरी तिमाही में इसका प्रर्दशन कुछ
बेहतर हो सकता है।
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