Friday, July 5, 2013

पता नहीं कब मौत बनकर गिर जाए सिर की छत!

मुंबई में एक हजार से ज्यादा जर्जर इमारतों के खिलाफ आईबीएन 7 की मुहिम जारी है। आईबीएन7 दक्षिण मुंबई के लालबाग इलाके की तस्वीर दिखा चुका है। मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाकों का हाल भी इससे अलग नहीं है।
जोगेश्वरी ईस्ट में पारस नगर की उपाध्याय चाल 40 साल पुरानी है। ये दो मंजिला इमारत लोहे के खंभों और लकड़ी के बुंबुओं के सहारे खड़ी है। दीवारों के प्लास्टर उखड़ चुके हैं, दरारें पड़ गईं हैं। इसकी जर्जर दशा देखते हुए बीएमसी इसे खतरनाक घोषित कर चुकी है। 12 जून को बीएमसी के कर्मचारियों ने यहां के लोगों को मकान खाली करने का नोटिस भी दे दिया था लेकिन वो नोटिस बारिश के पानी में बह चुका है।
दरअसल ये इलाका जोगेश्वरी देवी की गुफा से 100 से 200 मीटर के दायरे में हैं इसलिए यहां कोई नया निर्माण कार्य कराने के लिए आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट की इजाजत जरूरी है। कुछ बिल्डर उपाध्याय चाल को तोड़कर नई इमारत बनाने को तैयार हैं लेकिन सरकारी मंजूरी नहीं मिलने से मामला लटका हुआ है और लोग जान खतरे में डालकर रहने को मजबूर हैं।
इसी तरह बांद्रा वेस्ट मुंबई का पॉश उपनगर है। यहां की बाजार रोड पर स्थित है मोतीवाला बिल्डिंग। बिल्डिंग के गेट पर ही बीएमसी ने बड़ा सा बोर्ड लगा रखा है। जिसपर साफ लिखा है कि ये बिल्डिंग बेहद खतरनाक है और लोगों से गुजारिश है कि वे इसमें ना रहें। भविष्य में ये इमारत कभी भी हादसे का शिकार हो सकती है। ऐसी हालत में जान-माल के नुकसान के लिए बीएसी जिम्मेदार नहीं होगी। इस नोटिस के बावजूग मोतीवाला बिल्डिंग में लोग रह रहे हैं। यहां के लोगों को भी बीएमसी से काफी शिकायत है।
मुंबई से सटे मीरा रोड इलाके में मीरा-भायंदर महानगर पालिका ने 68 इमारतों को खतरनाक घोषित किया है। यहां के काशीमीरा इलाके के गौरव एन्क्लेव में महज 14 साल पुरानी इमारत बीच में दो जगह से फट चुकी है। महानगर पालिका इस इमारत को खाली करने का आदेश दे चुकी है। यहां तक कि इमारत की बिजली पानी भी काटी जा चुकी है। खतरा बढ़ता देख कई परिवारों ने इमारत खाली कर दी है लेकिन अभी भी काफी लोग यहां रह रहे हैं। हालत ये है कि बेघर होने के डर से गौरव एन्क्लेव में रहने वाले कोहनेन अंसारी नाम की लड़की ने खुदकुशी कर ली। उसके पिता का कहना है कि वो इसे छोड़कर जाएं भी तो कहां जाएं।
आरोप हैं कि बिल्डर और महानगर पालिका के अधिकारीयों की मिलीभगत से मीरा-भायंदर में बनी इमारतों में जमकर घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। इसकी पुष्टि आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट ने भी की है। यही वजह है कि ये इमारतें समय से पहले ही जर्जर हो रही हैं।
खतरनाक घोषित होने के बावजूद लोग इमारतों में थोड़ी-बहुत मरम्मत करवाकर रह रहे हैं लेकिन वो नहीं जानते कि उनकी ये लापरवाही किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकती है। बीएमसी की दलील है कि वो जर्जर इमारतों में रहने वाले लोगों को जबरदस्ती नहीं निकाल सकती है। दूसरी ओर सरकार के पास ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं है।

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