Monday, July 29, 2013

ब्लॉगः गरीबी रेखा का राजनीतिक अर्थशास्त्र


पिछले दो साल में जिस दर से गरीबी कम हुई है उस हिसाब से आने वाले 10 साल में देश से गरीबी मिट जाएगी। अचरज की बात नहीं है। योजना आयोग के आंकड़े यही बताते हैं। 2004-05 से 2009-10 के बीच गरीबी 37 फीसदी से घटकर 29 फीसदी रह गई। इस दौरान करीब साढ़े 4 करो़ड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए। ये वो साल थे जब देश की विकास दर 8 से 9 फीसदी के बीच उड़ान भर रही थी। लेकिन उससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक आंकड़े 2009-10 के बाद के हैं। योजना आयोग के इस साल के आंकड़ों पर जरा ध्यान दीजिए। 2009-10 से 2011-12 के बीच सिर्फ दो साल में गरीबी 29 फीसदी से घटकर 22 फीसदी पर आ गई। इस दौरान रिकॉर्डतोड़ साढ़े 9 करोड़ लोगों ने गरीबी रेखा को मात दी। किसी भी देश के लिए इससे अच्छे आंकड़े क्या हो सकते हैं! ये बात अलग है कि दो साल के रिकॉर्डतोड़ आंकड़ों को अर्थशास्त्री भी समझा नहीं पा रहे। ये वो दो साल हैं जब अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी। विकास दर लगातार नीचे खिसकती जा रही है। यानी विकास दर जब कम है तब गरीबी सबसे ज्यादा कम हुई है। तो क्या विकास दर का गरीबी उन्मूलन से कोई लेना-देना नहीं है।
ये सारे सवाल शायद नहीं उठते अगर कांग्रेसी प्रवक्ताओं ने संयम बरता होता। उनके बड़बोलेपन की वजह से सरकार का दांव उल्टा पड़ गया। अर्थशास्त्रियों के भाषायी मकड़जाल से निकल कर ये सवाल सामान्य ज्ञान का हिस्सा बनते जा रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि योजना आयोग के आंकड़े सचमुच चौंकाने वाले हैं। लेकिन सरकार और पार्टी के प्रवक्ता अगर जरूरत से ज्यादा उत्साहित नहीं होते तो शायद ये संदेश दिया जा सकता था कि गरीबी उन्मूलन में यूपीए की नीतियों का असर दिख रहा है। मगर क्या करें आंकड़ों से ज्यादा शोर ने काम बिगाड़ दिया। 5 रुपये, 12 रुपये और 1 रुपये की थाली ने सरकार की रणनीति पर पानी फेर दिया। लोग सवाल उठाने लगे। 32 और 26 रुपये का जिन्न फिर जिंदा हो गया।
सरकार का दांव इसलिए कह रहा हूं क्योंकि दो साल के भीतर एनएसएसओ सर्वे सामान्य बात नहीं है। आमतौर पर ये हर पांच साल पर होता है। यानी 2004-05 और 2009-10 के बाद ये सर्वे 2014-15 में होना चाहिए था। लेकिन तब तक आम चुनाव खत्म हो गए होते और फिर इन आंकड़ों का कोई महत्व नहीं रह जाता। इसलिए सरकार ने इसे आनन-फानन में करवा लिया। आंकड़े भी आधे अधूरे या यूं कहें सेलेक्टिव इकट्ठे किए गए। 2009-10 के सर्वे के बाद जारी किया गया योजना आयोग का प्रेस नोट इस बात की भी जानकारी देता है कि अलग-अलग समुदायों में गरीबी के आंकड़े क्या रहे। उदाहरण के तौर पर 2009-10 में 50 फीसदी कृषि मजदूर गरीबी रेखा से नीचे थे। 42 फीसदी अनुसूचित जाति और 47 फीसदी अनुसूचित जनजाति भी गरीबी रेखा से नीचे थे। इसी तरह विधवाएं बड़ी संख्या में गरीब थीं। यूपीए की योजनाओं का इस समुदायों पर क्या असर हुआ? इनमें से कितने लोग गरीबी रेखा तोड़ कर बाहर आ पाए? असली परीक्षा तो यही थी। लेकिन ये तब पता चलता जब नए सर्वे में ये आंकड़े उपलब्ध कराए जाते। इस साल के प्रेस नोट से ये जानकारियां गायब हैं।
एक तर्क ये है कि ताजा सर्वे दरअसल अंतरिम सर्वे है और इसे चुनिंदा मापदंडों पर ही कराया जा सका। बाकी आंकड़े तब उपलब्ध होंगे जब पूरा सर्वे कराया जाएगा। फिर भी कांग्रेसी नेता बात मनवाने से नहीं चूकते कि कम से कम इससे ये तो साबित होता है कि यूपीए के दौरान गरीबी कम हुई है। बिल्कुल हुई है लेकिन अगर इस तर्क को मान भी लिया जाए तो ये शक और पुख्ता होता है कि पूरी कसरत चुनाव के नजरिए से की गई। ऐसे आंकड़े सामने रखे गए जो कांग्रेस और यूपीए के मनमाफिक हैं। वो आंकड़े जानबूझकर छोड़ दिए गए जिनका जवाब देना मुश्किल हो जाता। वैसे भी सामान्य बहस में इतना ही तो दिखाना था कि एनडीए के शासनकाल में गरीबी उन्मूलन 0.75 फीसदी के दर से हुआ था और यूपीए के शासनकाल में 2 फीसदी की दर से। लेकिन वो कौन लोग हैं जो गरीबी रेखा तोड़कर बाहर आए।
32 रुपये के आंकड़े पर छिछालेदर होने के बाद सरकार ने नई गरीबी रेखा खींचने के लिए रंगराजन कमेटी का गठन कर दिया। नुकसान कम करने के लिए ये भी कहा गया कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का तेंदुलकर की गरीबी रेखा से कोई लेना-देना नहीं होगा। राज बब्बर, राशिद मसूद और फारुख अब्दुल्ला के थाली विवाद के बाद डैमेज कंट्रोल में लगा कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यही तर्क आगे बढ़ा रहा है। बात भी कुछ हद तक सही है। खाद्य सुरक्षा योजना देश के 67.5 फीसदी लोगों को पौष्टिक भोजन देने की बात करती है। ऐसे ही गरीबों की पहचान के लिए जो सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना चल रही है उसकी परिधि से भी सिर्फ 35 फीसदी लोगों को बाहर रखा जाएगा। लेकिन ये तब होगा जब खाद्य सुरक्षा योजना लागू हो जाए और जनगणना का काम खत्म हो जाए। या कम से कम रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट आ जाए। इन सभी कार्यों को पूरा होने में अभी वक्त लगेगा। वैसे भी अगर खाद्य सुरक्षा बिल की बात करें तो गरीबों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ी गई है। नई जनगणना के आने तक ज्यादातर राज्य पुराने बीपीएल आंकड़ों पर ही भरोसा करेंगे।
सवाल ये भी है कि खाद्य योजनाओं को छोड़ दें तो राइट-टू-एजुकेशन जैसी योजनाएं कैसे लागू होंगी। खासकर निजी और पब्लिक स्कूलों में। क्या इसमें भी गरीबी रेखा का महत्व नहीं रह जाएगा। जाहिर है ऐसा नहीं है। गरीबी रेखा अब भी व्यावहारिक कारणों से अहम है। जरूरत है इस रेखा को नए तरीके से पारिभाषित करने की। दरअसल कई अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि जिस गरीबी रेखा पर हम चल रहे हैं वो दरअसल भुखमरी रेखा है। इस रेखा के नीचे आत्म-सम्मान के साथ स्वस्थ जिंदगी जीना नामुमकिन है। तो अगर सरकार खुद मान रही है कि गरीबी रेखा सिर्फ अकादमिक कसरत है तो उसका नाम बदल कर उसे ज्यादा संवेदनशील और व्यावहारिक क्यों न बना दिया जाए। आंखें मूंदने से गरीबी भले ही दिखना बंद हो जाए लेकिन खत्म नहीं होगी।

सौ करोड़ में बिकती है राज्यसभा सीट: बीरेंद्र सिंह


हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह ने खुलासा किया है कि राज्यसभा की सीटें बिकती हैं। बीरेंद्र सिंह ने दावा किया कि एक राज्यसभा सासंद ने उन्हें बताया कि उसने 100 करोड़ रुपये देकर राज्यसभा की सीट खरीदी थी। बाद में विवाद बढ़ता देख बीरेंद्र ने अपने बयान का खंडन कर दिया।
सिंह ने कहा कि जो 100 करोड़ में राज्यसभा की सीट खरीदते हैं, वो देश के गरीबों के लिए क्या कर सकते हैं! ये सोचने वाली बात है। सिंह ने ये साफ नहीं किया है कि उनसे ये बातें किस पार्टी के सांसद ने कही थी। बीरेंद्र सिंह की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने उनसे सफाई मांगी है। कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा कि राज्यसभा में कई सांसद ऐसे भी हैं जो एक लाख रुपये तक नहीं दे सकते। वो पार्टी में अपने काम की बदौलत सांसद बनते हैं।
बीजेपी ने भी बीरेंद्र सिंह के खुलासे पर कहा है कि चुनाव आयोग को इस मामले में उनसे पूछताछ करनी चाहिए। बीजेपी नेता कीर्ति आजाद ने कहा है कि चुनाव आयोग को इस मामले में पूछताछ करनी चाहिए और पता लगाना चाहिए। वहीं बीजेपी नेता माया सिंह ने कहा है कि बीरेंद्र सिंह इस मामले में अब तक खामोश क्यों थे? वो जो कह रहे हैं उनको उसे सिद्ध करना चाहिए।
बाद में विवाद बढ़ता देख बीरेंद्र ने अपने बयान का खंडन कर दिया। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जो भी मीडिया में चल रहा है वो तथ्यों से परे है। मैंने ऐसी कोई बात नहीं कही है। मेरा कहना सिर्फ ये था कि लोकतंत्र में पैसों के बढ़ते इस्तेमाल से जनता की आवाज मंद पड़ जाएगी।

Friday, July 19, 2013

कर्ज से अमेरिका का ये शहर हो गया दिवालिया!


क्या एक शहर इस कदर बर्बाद हो सकता है कि उसे खुद को दिवालिया घोषित करना पड़े। उसके सिर पर इतना कर्ज हो कि वो चुका ही न पाए और वो भी अमेरिका में। सुनकर चौंक गए न आप। अमेरिका का डेटरॉयट शहर ऐसी ही बर्बादी के कगार पर है। मोटर सिटी के नाम से मशहूर इस शहर ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए अर्जी दी है। डेटरॉयट नाम के इस शहर पर 18 अरब डॉलर का कर्ज है।
शहर की तरफ से नियुक्त इमरजेंसी मैनेजर केविन ओर ने अदालत के सामने डेटरॉयट शहर के दिवालिया होने की अर्जी दी है। अगर अदालत में अर्जी मंजूर हो जाती है तो फिर प्रशासन अपनी संपत्ति को बेचकर कर्जदारों का पैसा चुका पाएगा।
डेटरॉयट प्रशासन ने कर्जदाताओं से बातचीत भी की थी कि वो अपने प्रति डॉलर कर्ज के बदले 10 सेंट्स ले लें क्योंकि शहर के पास पैसा नहीं बचा है लेकिन दो पेंशन फंड इस शर्त के लिए तैयार नहीं हुए। प्रशासन के खिलाफ एक दूसरी अदालत में अब सुनवाई होनी है। इस अदालत से शहर के खिलाफ दरख्वास्त की गई है कि नगर प्रशासन को खुद को दिवालिया घोषित करवाने की इजाजत न दी जाए।
डेटरॉयट शहर के इमरजेंसी मैनेजर केविन ओर ने मुताबिक शहर के दिवालिएपन की अर्जी शहर की बेहतरी के लिए उठाया गया पहला कदम है। वहीं शहर के मेयर देव बिंग ने कहा कि डेटरॉयट शहर के लोगों को एक नई शुरुआत करनी होगी। उन्होंने प्रशासन के साथ काम कर रहे लोगों से कहा है कि उनकी तनख्वाहें जरूर मिलेंगी। वहीं व्हाइट हाउस भी इस पूरे मामले पर अपनी नजर बनाए हुए है।
दरअसल इस शहर की ये हालत यहां की जनसंख्या के लगातार कम होने की वजह से हुई। वहीं दूसरी तरफ दुनिया भर में छाई ऑटो इंडस्ट्री पर मंदी ने इस शहर को कंगाली की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। कभी फोर्ड, डाज और दूसरे बड़े नामों वाली ऑटो इंडस्ट्री के लिए मशहूर ये शहर आज अपनी खस्ता हो चुकी आर्थिक हालत के कारण अपने दिवालिया होने की गुहार लगा रहा है।

सल्लू की कार में कैट को रणबीर का तोहफा!


अजमेर जाने से ठीक 1 दिन पहले कटरीना अपने बॉयफ्रेंड के साथ सलमान की ही कार में रोमांस करती हुई नजर आईं। जी हां, यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन सच्चाई तो ये है कि अपने जन्मदिन के मौके पर कटरीना, सलमान के साथ बल्कि नहीं किसी और के साथ लॉन्ग ड्राइव पर चली गईं।
दरअसल हुआ यूं कि 16 जुलाई की रात आमिर ने फिल्म शिप ऑफ थीसियस की स्क्रीनिंग रखी। कई सितारों को न्योता भेजा। कटरीना रणबीर को भी बुलाया। प्लान था फिल्म के बाद आमिर के घर पर कटरीना का जन्मदिन मनाने का। रणबीर-कटरीना आमिर के बुलावे पहुंचे। लेकिन फिल्म खत्म होते ही बाकी सितारे तो आमिर के घर पहुंच गए। लेकिन रणबीर-कैट रास्ते से गायब हो गए। दोनों एक साथ तो निकले। लेकिन आमिर के घर नहीं पहुंचे।
लेकिन जब गए तो कैमरों ने इन्हें एक साथ कैद कर लिया। वो भी किसी और की गाड़ी में, जानना चाहेंगे वो गाड़ी किसकी थी। वो गाड़ी सलमान के मैनेजर की थी। जो आजकल कटरीना के काम को भी हैंडल कर रहे हैं। कहानी में ट्विस्ट सिर्फ यही नहीं, इसी सफेद गाड़ी में बैठकर रणबीर-कटरीना एक पांच सितारा होटल गए। और वहां मौजूद शॉपिंग ऑर्केड से उन्होंने कैट के लिए एक झुमके खरीदे। यही नहीं, गिफ्ट के बाद रणबीर-कटरीना ने एक साथ खाना खाया। और तकरीबन रात 12:30 बजे दोनों होटल से निकल कर रणबीर के घर की तरफ निकल गए। देखने वालों ने तो यहां तक बताया कि कैट रणबीर के घर पर ही उतर गईं। और खाली गाड़ी कैट के घर पर भिजवा दी गई।

..जब जज ने किया सलमान को कटघरे में खड़ा


हिट एंड रन मामले में सलमान खान की कोर्ट में पेशी के दौरान जज सख्त नजर आए। सलमान जब कोर्ट पहुंचे तो अपनी बहनों अलवीरा और अर्पिता के साथ बेंच पर बैठे थे। लेकिन जज ने उन्हें आरोपियों की तरह कटघरे में खड़े होने का आदेश सुनाया। इसके बाद सलमान बहनों का साथ छोड़कर आरोपियों की तरह कटघरे में खड़े हो गए।
बहरहाल, इस केस में सलमान की मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही है। लापरवाही का केस अब गैरइरादतन हत्या के मामले में तब्दील हो चुका है। सलमान के रुख से ये मामला लंबा खिंचता चला गया। सलमान हर बार पेशी से बचते रहे, लेकिन अब कोर्ट का रुख सख्त है। सलमान पर मामले को लटकाए रखने की वजह से जुर्माना भी लग चुका है।
वकील आभा सिंह ने बताया कि अब 228 सीआरपीसी के तहत ट्रायल शुरू होगा और सलमान को कोर्ट आना होगा। जज साहब आरोप सुनाएंगे उन्हें स्वीकार करना होगा या नकारना होगा।
यानि साफ है कि सलमान के सामने मुश्किलें ही मुश्किलें हैं। सलमान पर 24 जुलाई को आरोप तय होंगे और इस दौरान उन्हें कोर्ट में हाजिर रहना होगा। ये दिन सलमान के लिए सबसे अहम दिन साबित हो सकता है। बता दें कि इस मामले में सलमान को 10 साल तक की जेल भी हो सकती है।
क्या है मामला?
आपको बता दें कि मुंबई के सेशंस कोर्ट में अब सलमान खान पर गैर-इरादतन हत्या का मामला चल रहा है। इससे पहले कई सालों तक सलमान के ऊपर लापरवाही का मामला मुंबई के बांद्रा कोर्ट में चला। लेकिन सबूतों को देखते हुए कोर्ट ने सलमान के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला चलाने का आदेश दिया।
आरोप है कि सितंबर 2002 में सलमान खान शराब के नशे में धुत होकर काफी तेज रफ्तार में कार चला रहे थे। इसी दौरान गाड़ी का संतुलन बिगड़ने की बजह से सलमान खान की कार ने 5 लोगों को कुचल दिया था। जिसमें एक की मौत हो गई थी। हादसे में चार लोग घायल हो गए थे।
मिल सकती है 10 साल की सजा
जानकारों के मुताबिक अगर सलमान खान इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें दस साल तक की सजा हो सकती है। शुरुआत में सलमान के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला दर्ज हुआ, लेकिन बाद में मिले कई सबूतों के बाद गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया गया। बांद्रा कोर्ट ने 17 गवाहों के बयान सुनने के बाद सलमान के खिलाफ ये आदेश दिया। इन बयानों में सलमान खान के खिलाफ सबसे अहम गवाही साबित हुई सरकारी पक्ष के गवाह रविंद्र पाटील की। रविंद्र पाटील पुलिस कर्मचारी थे जो सलमान खान की सुरक्षा में तैनात किए गए थे।
हादसे के वक्त रविंद्र पाटील सलमान खान के साथ थे। पाटील ने अदालत में कहा कि हादसे के वक्त सलमान नशे में थे। उन्होंने बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी। उन्हें हादसे को लेकर आगाह भी किया गया, लेकिन सलमान ने सारी बातें अनसुनी कर दी। पाटील ने कहा कि शराब के नशे में बेहद तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने की वजह से ही हादसा हुआ।
हादसे के बाद जांच एजेंसी ने सलमान के खून के नमूने लिए। रिपोर्ट में सलमान के खून में शराब की मात्रा तय मानक से बहुत ज्यादा निकली। गवाहों के बयानों के बाद ही बांद्रा कोर्ट ने सलमान खान पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलाने के आदेश दिए। चूंकि गैर इरादतन हत्या के आरोपों के मामले में सेशन कोर्ट में मुकदमा चल सकता है, इसलिए बांद्रा कोर्ट ने मामले को सत्र अदालत के पास भेज दिया था। लेकिन सलमान ने याचिका दायर कर बांद्रा कोर्ट के इस आदेश को रद्द करने की अपील की, पर उन्हें सेशंस कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली और उन पर गैरइरादतन हत्या का मामला चलाने का आदेश दिया गया।
सलमान पर पहले धारा 304(A) के तहत मामल चल रहा था। इस धारा के तहत दोषी साबित होने पर महज 2 साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन सेशन कोर्ट के फैसले के बाद सलमान पर धारा 304(2) के तहत केस चलेगा। ये गैर इरादतन हत्या की धारा है और इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा हो सकती है।

मोदी का दावे पर हिचक क्यों रहे हैं उद्धव ठाकरे?

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी पर शिवसेना ने सवाल उठा दिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुताबिक एनडीए में प्रधानमंत्री पद के लिए कई विश्वसनीय चेहरे हैं। इशारा साफ है कि शिवसेना फिलहाल एनडीए के पीएम उम्मीदवार पर अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती। उधर बीजेपी इस नई मुसीबत पर कुछ भी बोलने से बच रही है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि देश का नेतृत्व करने के लिए कोई भरोसेमंद चेहरा नजर नहीं आ रहा। क्या मोदी भरोसेमंद चेहरा नहीं हैं, ये सवाल बार-बार पूछने पर भी उद्धव ने सीधा जवाब नहीं दिया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि चेहरे बहुत हैं हमारे पास। मैं और राजनाथ जी साथ हैं। आपको भरोसेमंद चेहरे और सरकार देंगे, क्यों आप अधीर हो रहे हैं। धैर्य रखिए।
शिव सेना प्रमुख की इस टिप्पणी को नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा धक्का माना जा रहा है। साफ है कि वो मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की संभावना को लेकर खास उत्साहित नहीं हैं। मोदी को एनडीए का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने को लेकर शिव सेना जब तब आपत्ति जताती आई है।
बाल ठाकरे ने भी कहा था कि सुषमा स्वराज प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
उद्धव ने शुक्रवार को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ भी घंटे भर की मुलाकात की। गौरतलब है कि पिछले दिनों आडवाणी ने मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर उम्मीदवारी का खुला विरोध किया था। इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी मुंह खोलना नहीं चाहती। पार्टी महासचिव अनंत कुमार शाम को प्रेसवार्ता में सामने आए तो कहा कि मैं यहां कमेटियों के बारे में बताने आया हूं। दूसरे मुद्दे पर नहीं बोलूंगा।
दरअसल बीजेपी को हिंदुत्व के मुद्दे पर कायम रहने की नसीहत दे चुकी शिवसेना के कुछ सरोकार हैं। शिवसेना को लगता है कि मोदी के नाम पर मुहर लगाना, हिंदुत्व की अपनी जमीन पर कुदाल चलाने जैसा होगा। मोदी की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे से नजदीकियां हैं और उद्धव की राज ठाकरे से दूरियां जगजाहिर हैं। हालांकि उद्धव ने ये साफ कहा है कि शिवसेना बीजेपी के साथ मिलकर ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय करेगी। लेकिन उनके रुख ने मोदी की स्वीकार्यता पर नया सवाल खडा कर दिया है।

कश्मीर में बवाल, अमरनाथ यात्रा रोकी गई

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में गुरुवार को हुई गोलीबारी के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। कश्मीर घाटी में कर्फ्यू के बावजूद स्थिति सामान्य नहीं हुई है तो जम्मू के डोडा में गुस्साई भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। उधर, गोलीकांड में मारे गए 5 लोगों के परिजनों को सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। तनाव को देखते हुए जम्मू से अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है।
जम्मू-कश्मीर के हर जिले में शुक्रवार को रामबन गोलीकांड के खिलाफ आक्रोश नजर आया। कर्फ्यू के बावजूद कश्मीर घाटी तनाव से भरी रही। गांदरबल, बारामुला, सोपोर, पट्टन, पल्हालन, काजीगुंड , आछावाल , मट्टन , बदरवाह में नमाज के बाद लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनों को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कईं लोग घायल भी हुए। तनाव को देखते हुए जम्मू से अमरनाथ की यात्रा रोक दी गई।
इस दौरान जम्मू के डोडा में भी जमकर प्रदर्शन हुआ। बड़ी तादाद में लोग सड़कों पर उतरे और तब तक धरना-प्रदर्शन करते रहे,जब तक पुलिस ने गोलीकांड को लेकर मामला दर्ज नहीं कर लिया। हालात को देखते हुए धर्मा से बीएसएफ कैंप हटा दिया गया जहां ये घटना हुई थी। गोलीकांड में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उधर,अलगाववादियों ने बंद और प्रदर्शन की मियाद रविवार तक के लिए बढ़ा दी है, जिससे घाटी में हालात सुधारने की उम्मीद कम है।

यूपी पुलिस का खुलासा, नेता खेल बिगाड़ते हैं!

आखिर वो कौन सी वजह है जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन को इतना मजबूर कर दिया कि वो अपराध और अपराधियों पर लगाम ही नहीं लगा पा रही है। न्यूज चैनल सीएनन आईबीएन ने कुछ दिनों पहले यूपी पुलिस का एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। ये स्टिंग ऑपरेशन ये जानने के लिए किया गया था कि आखिर महिलाओं को लेकर पुलिस वाले कितने संवेदनशील हैं।
इसी स्टिंग ऑपरेशन पर पुलिस वालों ने कई खुलासे किए थे। उन्होंने बताया था कि उनपर नेताओं का दबाव है। अगर किसी ने अच्छा काम करने की कोशिश भी की तो उसे भुगतना पड़ा। सोचिए ऐसी बेबस और मजबूर पुलिस भला लोगों की क्या सुरक्षा कर पाएगी।

स्कूल के सामने ही दफना दिए जिगर के टुकड़े को!


छपरा के धर्मसती गांव के नक्शे में अचानक एक कब्रिस्तान उभर आया है। ये दर्द का कब्रिस्तान है, जहां वो मासूम दफन हैं जिन्हें खाने के बदले मौत मिली। कल तक ये गांव अपने बच्चों की शरारतें देखकर खुशी चहचहाता अब इस गांव में मुर्दानगी का बसेरा है। एक हादसे ने समूचे गांव की खुशियां कैसे छीन ली। आईबीएन7 संवाददाता प्रभाकर ने कैमरे में इस दर्द को कैद किया है। एक गांव की बर्बादी की ये दास्तां भीतर तक झकझोर देने वाली है।
ये गुस्से में निकली भड़ास नहीं है। यहां के लोगों ने जो कहा वहीं किया। छपरा के मिड-डे मील हादसे का शिकार बच्चे बने हैं। अब उन्हें उसी स्कूल में दफना दिया गया है जहां वो पढ़ते थे, जो उनके खेलने का मैदान था। ये हम लोगों ने गुस्से में किया है, आक्रोश में किया है। बच्चों के खेल के मैदान से बच्चों का कब्रिस्तान बन गए इस मैदान में क्रिकेट पिच अपनी जगह पर कायम है। यहां खेलने वाले बच्चे भविष्य में धोनी और सचिन बनने का सपना देखा करते थे। जो टीम यहां खेला करती थी अब वो बिखर गई है। टीम के आधे खिलाड़ी अपने ही मैदान में दफन किए जा चुके हैं। बाकी बचे खिलाड़ी सदमे में हैं। क्रिकेट की साझेदारी टूट चुकी है।
हादसे को झेलने वाला समूचा धर्मसती गांव भी सदमे में है। हादसे के चार दिन बाद भी यहां चूल्हे नहीं जले हैं। हादसे में आशा राय की पांच साल की बेटी हमेशा के लिए उससे दूर हो गई। बेटी की मौत के बाद आशा ने अभी तक एक शब्द भी नहीं बोला है। उदय अभी भी बदहवास है। उसके आंसू नहीं थम रहे। उस बदनसीब दिन उदय की बेटी क्लास छोड़कर स्कूल से भाग आई थी। स्कूल में मिलने वाले दोपहर के भोजन के लिए, उदय ने बेटी को दोबारा स्कूल भेज दिया। मिड डे मील खत्म होने के बाद उदय को बेटी की लाश लेकर लौटना पड़ा। उदय खुद को माफ नहीं कर पा रहे।
हादसे के बाद जिसे जो समझ आ रहा है, उसे दोषी ठहरा रहा है। लेकिन लाल बहादुर राय समझ नहीं पा रहा है कि वो किसे दोष दे। लाल बहादुर पूरी तरह बरबाद हो गया है। जिस खाने को खाकर बच्चों की मौत हो गई, उसे उसकी पत्नी ने ही बनाया था। उसने वो खाना बाकी छात्रों को ही नहीं अपने भी तीन बच्चों को खिलाया था। तीनों बच्चों में से 2 मर चुके हैं, तीसरा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। लाल बहादुर तय नहीं कर पा रहा कि उसकी पत्नी इस आरोपी है या हादसे की पीड़ित।
दिल दहला देने वाली वाली ऐसी दास्तां इस गांव के हर पीड़ित परिवार की है। अपने बच्चों को खो देने वाले माता-पिता दुख और सदमे में डूबे हैं। बच्चे समझ नहीं पा रहे कि उनके दोस्त एकसाथ अचानक कहां चले गए। अब उनके साथ कौन खेलेगा।

तैनाती से नाराज मेजर जनरल ने की खुदकुशी


राजधानी दिल्ली में शुक्रवार रात सेना के एक बड़े अफसर ने खुदकुशी कर ली। सेना के मेजर जनरल राजपाल सिंह ने द्वारका में अपने फ्लैट में फांसी लगा ली। राजपाल सिंह बिहार और झारखंड में NCC में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर तैनात थे। उनके घरवालों का कहना है कि वो अपनी इस पोस्टिंग से नाखुश थे।
शुक्रवार रात दिल्ली में द्वारका के सेक्टर-2 में वीआईपी गाड़ियों का तांता लग गया यहां पहुंचने वाला हर शख्स सीधे इसी फ्लैट की ओर बढ़ रहा था। ये घर था सेना के मेजर जनरल राजपाल सिंह का। शुक्रवार रात मेजर जनरल राजपाल सिंह ने अपने ही घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस के मुताबिक राजपाल ने अपनी पगड़ी का फंदा बनाया और पंखे से लटक कर जान दे दी।
घरवालों का कहना है कि वो दिल्ली में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने आए थे। इस फ्लैट में राजपाल अपनी पत्नी के साथ रहते थे। 55 साल के राजपाल सिंह बिहार और झारखंड में NCC के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर तैनात थे। राजपाल सिंह के करीबी लोगों का कहना है कि वो बिहार में अपनी पोस्टिंग से खुश नहीं थे। बताया जा रहा है कि वो काफी समय से अपना तबादला कराने की कोशिश कर रहे थे। और जब वो अपना तबादला नहीं करा पाए तो उन्होंने खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर लिया।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में भी इस बात का जिक्र है कि वो बिहार में अपनी तैनाती से खुश नहीं थे और पिछले कुछ समय से परेशान चल रहे थे। सुसाइड नोट की हकीकत परखने लिए पुलिस हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की भी मदद ले रही है। पुलिस ने मेजर जनरल का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस बीच सेना ने भी मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।सेना के सूत्रों के मुताबिक अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले में कोर्ट ऑफ इनक्वायरी के आदेश भी दिए जा सकते हैं।

जज पर लगा पत्नी की हत्या का आरोप, मामला दर्ज


गुड़गांव में जज की पत्नी की रहस्यमय मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। गीतांजलि नाम की महिला की लाश मिलने के दो दिन बाद उसके घरवालों ने सीजेएम रवनीत गर्ग और उनके परिजनों पर दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया है। गुड़गांव पुलिस ने इस मामले में सीजेएम रवनीत गर्ग और उनके परिजनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। गीतांजलि के पिता का आरोप है कि रवनीत के परिजन उसे प्रताड़ित करते थे। और उसे पूरी साजिश के तहत मारा गया है।
गीतांजलि के पिता का कहना है कि उसके शरीर से तीन गोलियां मिली हैं कोई भी शख्स आत्महत्या करने के लिए तीन गोलियां कैसे मार सकता है। इससे पहले गुरुवार को अंतिम संस्कार के मौके पर दोनों परिवारों के बीच जमकर कहासुनी भी हुई थी। गीतांजलि का शव गुड़गाव की पुलिस लाइन के पार्क में मिला था। गीतांजलि के शरीर पर गोली लगने के जख्म थे। और शव के पास ही पिस्तौल भी पड़ी थी।

Wednesday, July 17, 2013

मिस्रः मिलिट्री पुलिस चीफ बने पहले डिप्टी PM

मिस्र में सशस्त्र बल प्रमुख ने प्रथम उप प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। उप प्रधानमंत्री के साथ रक्षा मंत्रालय भी उनके अधीन होगा। बीते तीन जुलाई को मोहम्मद मुरसी सरकार का तख्ता पलटने वाली जनरल अब्दुल फतह अल सीसी की सेना के समर्थन से नई अंतरिम सरकार का गठन हुआ है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस नए पद से सभी राजनीतिक निर्णयों पर सेना का प्रभाव होगा। उदारवादी इसाई नेता मुनीर फख्री अब्दुल नूर ने अंतरिम उद्योग एवं व्यापार मंत्री पद की शपथ ली। इस बीच मोहम्मद मुर्सी की मुस्लिम ब्रदरहुड ने नए मंत्रिमंडल को अवैध बताया है।
ब्रदरहुड के प्रवक्ता गेहद अल हद्दाद ने मंत्रिमंडल की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार, प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिमंडल सभी अवैध है। हम उन्हें सरकार के प्रतिनिधि के रूप मान्यता नहीं देते।

12 करोड़ बच्चों को रोज मिलता है मिड-डे मील!


मिड डे मील बच्चों को स्कूल में मुफ्त खाना देने वाली दुनिया की सबसे बड़़ी योजना है। इसका सीधा फायदा भारत के 13 लाख सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 12 करोड़ बच्चों को मिल रहा है। इसके तहत दिन का खाना स्कूल में ही पका कर बच्चों को परोसा जाता है, लेकिन अक्सर ये योजना खराब क्वालिटी वाले खाने के लिए विवादों में घिरती रही है। अक्सर ही खाना पकाने में लापरवाही के चलते नन्हे मुन्ने मारे जाते हैं।
मीड डे मिल यानि दोपहर का भोजन, जिसकी वजह से बेहद गरीब लोगों के बच्चे भी पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल में एक बार का खाना मुफ्त देकर बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ही 15 अगस्त 1995 को मिड डे मील की बेहद महत्वाकांक्षी योजना की नींव पड़ी। मिड डे मील बच्चों को खाना खिलाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। इसका सीधा फायदा देश के 12 करोड़ बच्चों को मिल रहा है। ये 12 करोड़ बच्चे करीब 13 लाख सरकारी स्कूलों में पढ़ने आते हैं। और सरकार उन्हें दिन का पौष्टिक भोजन मुहैया करवाती है। पैसा केंद्र देता है और इस योजना को लागू करती हैं राज्य सरकारें। लेकिन अक्सर ये मिड-डे मील भ्रष्टाचार, लापरवाही और मौत का सबब बन जाता है।
खाना बनाने में भयानक लापरवाही बरतने के अनगिनत मामले सामने आ चुके हैं। कभी बच्चों के खाने में छिपकली, कभी सांप, कभी कोई दूसरा कीड़ा-मकौड़ा, कभी खराब क्वालिटी का खाना, कभी सड़ा भोजन, नन्हे मुन्ने बच्चों को खिला दिय़ा जाता है।
बिहार के छपरा में हुई ये घटना नई नहीं है। पिछले कई सालों से देश के तमाम राज्यों में कई बच्चे जहरीले मिड-डे मील की बलि चढ़ चुके हैं। भारत में मिड डे मील के नाम की शुरुआत 1925 में हुई। मद्रास म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने गरीब बच्चों के लिए मिड डे मील नाम की योजना शुरू की थी। अस्सी के दशक में गुजरात, केरल, तमिलनाडु और पॉन्डिचेरी में मिड डे मील शुरू हुआ। इन राज्यों ने अपने खर्चे पर ये सुविधा देनी शुरू की। नब्बे के दशक में ये सुविधा 12 राज्यों ने शुरू कर दी।
1995 में ये योजना देश के सभी जिलों में लागू कर दी गई। उस वक्त बच्चों को हर दिन 100 ग्राम अन्न मुफ्त दिया जाता था। 2004 में बदलाव किया गया और प्राइमरी क्लास यानि क्लास 1 से 5 तक के बच्चों बच्चों को पका हुआ खाना खिलाना शुरू हुआ। अक्टूबर 2007 में मिड डे मील योजना का दायरा और बढ़ाया गया। इसकी जद में प्राइमरी ही नहीं बल्कि अपर प्राइमरी सरकारी स्कूलों को भी शामिल कर लिया गया। यानि अब हिंदुस्तान में मिड डे मील का फायदा कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलता है।
2008 में एक और बदलाव हुआ। मिड डे मील योजना में सरकारी, स्थानीय निकायों और सरकारी सहायता प्राप्त प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के अलावा मदरसा और मकतब को भी कुछ शर्तों के साथ शामिल किया गया। लक्ष्य था हर बच्चे को खाने की शक्ल में रोजाना 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन रोज मिले। उसकी सेहत ठीक रहे और वो पढ़ने के लिए सरकारी स्कूलों की ओर आएं। बाकायदा खाना पकाने का काम एक हजार रुपए प्रति माह की दर पर स्थानीय रसोई को दिया गया। जिस इलाके में स्कूल है उसी इलाके से ही रसोइया हो। बीच में इस योजना में ठेकेदारों का भी दखल हुआ, लेकिन कुछ ही वक्त बाद उसका विरोध शुरू हो गया। क्योंकि ये कहा गया कि ठेकेदारों का दखल भ्रष्टाचार को जन्म देगा और इस योजना के उद्देश्य को ही झटका लगेगा। इस वक्त करीब 26 लाख रसोइये मिड डे मील पका रहे हैं। लेकिन दिक्कत इस विशाल योजना की निगरानी में है। इस योजना के लिए आने वाले पैसे के सुचारू उपयोग में है और एफसीआई से योजना के लिए अनाज खरीदने में है। इस योजना के लिए केंद्र ने अपना खजाना खोला हुआ है।
जहां 2007 में बजट में इस योजना के लिए 7324 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया था वहीं 2013-14 में ये बढ़कर 13215 करोड़ रुपए कर दी गई है। इतना पैसा खर्चने के बाद भी जहरीले मिड डे मील से मौत के हादसे मिड डे मील की मौजूदा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। हर बार जांच का ऐलान होता है और जांच रिपोर्ट कही ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है, जवाबदेही न तय की जाती है न उसे पालन न करने पर सख्त सजा ही मिलती है।

प्रकृति के प्रकोप से जंग जारी है: विजय बहुगुणा

एक महीना पहले 16 जून को उत्तराखंड के 13 जिले प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए थे। जबसे ज्यादा तबाही मची थी केदारनाथ इलाके में। गौरी कुंड, रामबाड़ा और केदारनाथ धाम पूरी तरह से तबाह हो गया था। आज भी 5748 गुमशुदा लोगों की तलाश जारी है। सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा भी दे रही हैं। लेकिन सरकार के सामने बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर केदारनाथ का इलाका कब तक ठीक हो पाएगा? कब केदारधाम में पूजा शुरु होगी?
उत्तराखंड सरकार सवालों से जूझ रही है। लेकिन ताजा हालात ये है कि केदारनाथ मंदिर तक अभी भी पहुंचने का रास्ता नहीं खोला जा सका है। यहां पड़े मलबे को भी हटाने में अभी काफी वक्त लगेगा। सरकार ने मंदिर की सफाई का काम शुरु करवाया है। लेकिन मंदिर के अंदर पड़ा हुआ चार फिट तक का मलबा अभी ज्यों का त्यों है। इसे पूरी तरह से पूजा लायक बनाने में अभी वक्त लगेगा। सरकार को आशा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही केदारनाथ में पूजा शुरु कर दी जाएगी।
राज्य सरकार का कहना है कि मंदिर समिति से बात कर वहां कुछ लोगों को भेजने की तैयारी कर रही है। ये लोग मंदिर में बचे हुए सामानों की लिस्ट बनाकर सरकार को देंगे। इसके बाद वहां जरुरी सामानों और मंदिर की साफ सफाई करके जल्द ही पूजा शुरु की जाएगी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के मुताबिक हम सामानों की लिस्ट बना रहे हैं।
सरकार का दावा है कि केदारनाथ धाम में साठ लोगों की टीम मौजूद हैं। इसमें एनडीआरएफ और पुलिस के लोग हैं। यहां लोगों के शव मिलने का सिलसिला जारी है। बचाव दल की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि अभी तक केदानाथ धाम जाने का रास्ता नहीं खोला जा सका है। राज्य सरकार के मुताबिक सेना रामाबाड़ा में रास्ता खोलने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन यहां रास्ते पर गिरी अस्सी फीट की चट्टान सबसे बड़ी मुश्किल बनी हुई है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक प्राकृति का बहुत बड़ा प्रकोप था। प्रकृति के प्रकोप से जंग जारी है। वहीं हरिद्वार में केदारनाथ यात्रा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए महायज्ञ किया गया। हर की पौड़ी पर मंत्रों के साथ उन लोगों की सलामती की भी दुआ मांगी गई जो अब तक नहीं मिले हैं।

‘13 साल से कम बच्चों पर रोक लगाए फेसबुक’


दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक से अपनी साइट के मुख्य पेज पर यह चेतावनी जारी करने के लिए कहा कि 13 साल से कम उम्र के बच्चे यहां अपना खाता नहीं खोल सकते। कोर्ट की कार्यकारी मुख्य जज बी डी अहमद और जज विभु बाखरू की पीठ ने फेसबुक से 13 साल से कम उम्र के बच्चों को खाता खोलने की इजाजत न देने के लिए कहा।
फेसबुक की तरफ से कोर्ट के सामने उपस्थित वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि साइट अपने मुख्य पेज पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों के खाता न खोलने से संबंधित चेतावनी जारी करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी यह बताने के लिए कहा कि बच्चों को ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर होने वाली अभद्रता से बचाने के लिए उसके पास क्या कानून है।

केदारनाथ मंदिर में हुए नुकसान पर रिपोर्ट तैयार


उत्तराखंड में कुदरत के कहर को एक महीने पूरे हो गए हैं। इस बीच पुरातत्व विभाग ने केदारनाथ मंदिर को हुए नुकसान पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केदारनाथ मंदिर में दरारें पड़ गई हैं। हालांकि मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है। सरकार ने केदारनाथ मंदिर को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को ही सौंपी है। विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान मंदिर के मंडप के पूर्वी हिस्से को हुआ है।
दरअसल जब पहाड़ों पर बादल फटा और तबाही का सैलाब नीचे आया तो वो अपने साथ बड़े-बड़े पत्थर भी लेकर आया जिनकी जद में जो आया तबाह हो गया। हालांकि मंदिर के पीछे मौजूद इस बड़े चट्टान की वजह से मंदिर बच तो गया। लेकिन फिर भी मंदिर और मंदिर परिसर को अच्छा खासा नुकसान हुआ है। तबाही के बाद मंदिर की जांच के लिए गई पुरातत्व विभाग की टीम के मुताबिक भूस्खलन के बाद मंदिर में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। मंदिर के पूर्वी हिस्से में मंडप को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। बाढ़ में ईशान मंदिर पूरी तरह बह गया है। मंदिर के पश्चिमी दरवाजे पर बड़े पत्थरों ने चोट पहुंचाई है। गर्भगृह के बाहरी हिस्से में भी पत्थर जमा है। मंदिर के आसपास अब भी 2 से 6 फीट मलबा है।
पुरातत्व विभाग का कहना है कि मंदिर को हुए नुकसान का अंदाजा मलबा हटाए जाने के बाद ही लग सकेगा। विभाग की मानें तो मंदिर को ठीक करने में कितना वक्त लगेगा ये कहना भी बेहद मुश्किल है। इस काम में विदेशी मदद लिए जाने से भी पुरातत्व विभाग ने इनकार किया है। सरकार ने नुकसान का जायजा लेने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग के तीन अफसरों की एक टीम 11 जुलाई को केदारनाथ मंदिर भेजी थी। इस टीम ने मंदिर की जो तस्वीरें जमा की थीं, उससे भी केदारनाथ में हुए नुकसान का साफ पता लगा।
केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया था और ये कितना पुराना है इसका कोई दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं, लेकिन गढ़वाल विकास निगम के मुताबिक मंदिर को आठवीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने बनवाया था। उस वक्त मंदिर के निर्माण में मजबूती का पूरा ख्याल रखा गया था। केदारनाथ मंदिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बनाया गया। 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है केदारनाथ मंदिर। इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं और बेहद मजबूत पत्थरों से बनाई गई हैं। मंदिर को इंटरलॉकिंग तकनीक के जरिए बनाया गया है ताकि ये मंदिर वक्त के थपेड़े सह सके। लेकिन 16 जून को आई तबाही ने इस मजबूत निर्माण को भी हिला दिया।

दिल्ली में 99 पिस्तौलों के साथ 2 गिरफ्तार

राजधानी दिल्ली में मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने दो व्यक्तियों को 99 पिस्तौलों के साथ गिरफ्तार किया। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने कहा कि दो लोग बिहार के मुंगेर जिले से 99 पिस्तोलों की खेप लेकर दिल्ली में बेचने आए थे। बिहार का मुंगेर जिला अवैध हथियारों के निर्माण के लिए कुख्यात है।

टेलीकॉम सेक्टर में 100% एफडीआई को मंजूरी


देश में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी है। फिलहाल टेलीकॉम सेक्टर में 74 फीसदी एफडीआई की मंजूरी है। सरकार ने कुल 20 में से 13 सेक्टरों में एफडीआई सीमा बढ़ाने को मंजूरी दी है। वहीं सरकार ने डिफेंस सेक्टर में शर्तों के साथ 49 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि सरकार ने एविएशन सेक्टर में 74 फीसदी एफडीआई को मंजूरी नहीं दी है। वहीं गैस रिफाइनरीज, कमोडिटी एक्सचेंज और पावर ट्रेडिंग-स्टॉक एक्सचेंज में एफआईपीबी के जरिए एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
देश में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार पुरजोर कोशिश कर रही है। एफडीआई, इंफ्रा और पावर सेक्टर को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह काफी गंभीर नजर आ रहे हैं। इसी सिलसिले में आज 20 सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर बैठक हुई। सरकार के इन कदमों का मकसद साफ है कि बिगड़े सेंटिमेंट सुधारे जाएं और खराब माहौल के बीच थोड़ी उम्मीद जगाई जाए।

छपरा: मिड डे मील बना जहर, 20 बच्चों की मौत


बिहार के छपरा के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 20 बच्चों समेत 21 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 50 बच्चे अभी भी अस्पताल में हैं। इनमें से 10 की हालत नाजुक है। गंभीर रूप से बीमार बच्चों को इलाज के लिए पटना भेजा गया है। इस हादसे में स्कूल में खाना बनाना वाली महिला की भी मौत हो गई है। इस घटना ने नीतीश सरकार के सुशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वहीं सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं छपरा में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था इंतजाम किए गए हैं।
छपरा के मसरख इलाके के सरकारी स्कूल में खिचड़ी परोसी गई थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने खिचड़ी खाई। बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। तुरंत ही बच्चों को नजदीक के अस्पताल ले जाया गया। जब तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो बच्चों को छपरा के जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक छपरा के सरकारी स्कूल में करीब ढाई सौ बच्चों को एक साथ खिचड़ी परोसी गई थी। खिचड़ी खाने के बाद करीब 60 बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। खाना बनाने वाली रसोईया मीना की भी तबीयत खराब हो गई। मीना ने बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया,हालांकि खिचड़ी खाकर स्कूल के सभी बच्चे बीमार नहीं पड़े। कुछ बच्चे ठीक भी हैं।
सरकार ने फोरेंसिक एक्सपर्ट की एक टीम छपरा भेजी है जो मिड-डे मील में दी गई खिचड़ी का सैंपल लेगी। वहीं पूरे मामले की जांच के औपचारिक आदेश भी दे दिए गए हैं। सरकार ने मरने वाले बच्चों के परिवारों को दो लाख रुपया मुआवजा देने का भी ऐलान किया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मोदी के चलते दिल्ली BJP का बड़ा मुस्लिम चेहरा बागी

दिल्ली बीजेपी में मोदी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दिल्ली बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष आमिर रजा हुसैन ने मोदी के कुत्ते वाले बयान पर कहा है कि किसी भी कम्युनिटी को कुत्ते का पिल्ला कहना सही नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि जब पार्टी में लाल कृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे नेता हैं तो मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार क्यों बनाया गया? हुसैन ने दिल्ली बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है।
गौरतलब है कि हुसैन ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि पार्टी में एल.के. आडवाणी और सुषमा स्वाराज जैसे नेता हैं तो मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाना जरूरी नहीं था। वहीं दिल्ली बीजेपी ने सफाई देते हुए कहा है कि हुसैन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने आमिर रजा हुसैन के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है।
वहीं आमिर रजा हुसैन ने कहा है कि वो अपने स्टैंड पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी कोई तानाशाही वाली स्थिति में नहीं है, न मुझसे किसी ने इस्तीफा मांगा, न दबाव बनाया है। पार्टी में मेरे दोस्त हैं और उन दोस्तों को शर्मिंदगी से बचाने के लिए मैंने खुद ही इस्तीफा दे दिया।
हुसैन ने कहा कि केवल नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हर पार्टी में होता किसी के भी खिलाफ बोलेंगे तो पार्टी से निकाले जाएंगे। चाहे बीजेपी हो या मायावती की पार्टी हो। हुसैन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मोदी को जिस चीज के लिए दोष देना था, मैंने दे दिया। ये सारी दुनिया को मालूम है कि उन्होंने क्या किया। किसी भी कम्युनिटी को कुत्ते का पिल्ला कहना सही नहीं है। प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
हुसैन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं पार्टी में अल्पसंख्यक की आवाज नहीं हूं। मैं एक उदार पंथी नेता हूं। उन्होंने कहा कि दिल्ली बीजेपी में मोदी से असहमति रखने वाले कुछ कुछ लोग हैं जो मेरे बयान का इस्तेमाल पार्टी के खिलाफ करना चाहते हैं। मोदी मेरे नेता कभी नहीं रहे हैं।

18 का ही कहलाएगा बालिग, बदलाव की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट में किशोर न्याय कानून में बदलाव के लिए दायर याचिका खारिज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी कि मौजूदा कानून में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। फैसले के मुताबिक बालिग होने की उम्र 18 साल ही रहेगी।
गौरतलब है कि याचिका में बालिग की उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने की मांग की गई थी। ये याचिका दिल्ली गैंगरेप में शामिल नाबालिग आरोपी को ध्यान में रखकर दाखिल की गई थी। दरअसल, दिल्ली गैंगरेप में शामिल नाबालिग आरोपी के खिलाफ किशोर न्याय प्राधिकरण में मुकदमा चल रहा है। जिसके तहत उसे अधिकतम तीन साल की ही सजा हो सकती है।
वहीं जानकारों का कहना है कि जिस समय कोई अपराध करता है, उस वक्त उसकी उम्र और मानसिकता को देखते हुए फैसला किया जाता है। वहीं याचिकाकर्ता आमोद कंठ के मुताबिक भारत में 18 साल से कम के बच्चे अपराध कम करते हैं। लड़कपन में बच्चा कोइ गलत काम करता है तो परिवार उसे बच्चा ही मानता है।

मोदी प्रेम पड़ा भारी, बीएसपी सांसद पार्टी से बाहर

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कुत्ते वाले बयान पर बचाव करने वाले सांसद विजय बहादुर सिंह को बीएसपी से निकाल दिया गया है। गौरतलब है कि बीएसपी सांसद ने मोदी के बयान का यह कहते हुए समर्थन किया था कि 'कुत्ते के बच्चे' वाली उनकी टिप्पणी से यह साबित होता है कि वह संवेदनशील व्यक्ति हैं। जो लोग उन पर हमला कर रहे हैं वे राष्ट्रविरोधी हैं। मेरी उनसे अपील है कि वोटों के लिए ऐसा न करें।
वहीं बीएसपी से विजय बहादुर सिंह को निकाले जाने पर बीजेपी के विजय सोनकर शास्त्री ने कहा है कि ये बीएसपी का मामला है। लेकिन जिस तरह से मोदी के विकास मॉडल की चर्चा चल रही है तो ऐसे में विजय बहादुर सिंह ने राजनीतिक शुचिता के चलते उनकी तारीफ की। पहले भी ऐसा होता रहा है।
वहीं बीजेपी नेता कलराज मिश्र ने विजय बहादुर सिंह के पार्टी से निकाले जाने पर कहा है कि राजनैतिक दृष्टि से किसी व्यक्ति ने अपने राज्य के विकास के लिए मोदी का नाम लिया तो कुछ गलत नहीं है। ये उनकी व्यक्तिगत राय थी। ये बीएसपी की संकुचित मानसिकता है, लेकिन उनका ये अंदरुनी मामला है। लेकिन मोदी ने जो विश्वसनीयता स्थापित की है उससे विरोधियों को भी लगने लगा है कि मोदी जैसे व्यक्तित्व को आना चाहिए।

Tuesday, July 9, 2013

चीन की दादागीरी, भारत में घुसपैठ कर तोड़फोड़

भारतीय जमीन में घुसकर चीन ने एक बार फिर दादागीरी दिखाई है। चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के लगाए गए कैमरों को तोड़ डाला है। ये कैमरे हाई रिजॉल्यूशन के थे। भारतीय सेना ने अप्रैल में इन कैमरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि LAC पर चीनी सैनिकों की निगरानी के लिए लगाया था। भारतीय सेना ने वहां पर जो अस्थाई ढांचे बनाए थे उन्हें भी चीनी सैनिकों ने गिरा दिया है। इतना ही नहीं, वहां मौजूद लोगों को चीनी सैनिकों ने हिंदी में इलाका खाली करने की धमकी भी दी। चीन की ताजा दादागीरी की ये घटना 17 जून की है। पिछले 3 महीने में इस जगह पर चीन की ये दूसरी घुसपैठ है।
चीन की ये ताजा घुसपैठ लद्दाख के उसी दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में हुई है जहां अप्रैल और मई में भारतीय सीमा के 19 किलोमीटर अंदर घुसकर चीन ने अपने टेंट गाड़ दिए थे। इतना ही नहीं भारतीय सीमा के अंदर बैनर लगाकर उसपर लिख दिया था कि ये इलाका चीन का है और आप चीन में हैं। 21 दिनों तक चला वो गतिरोध बड़ी मुश्किल से खत्म हुआ था और चीन तभी वापस हटने को तैयार हुआ था जब भारत ने इलाके से अपने बंकरों को नष्ट करने की बात मानी थी। ताजा घुसपैठ के बाद 3 जुलाई को दोनों देशों की सेना के बीच एक फ्लैग मीटिंग भी हो चुकी है। फ्लैग मीटिंग में भारतीय सेना के अधिकारियों द्वारा भी यह मुद्दा उठाया गया। सबूत के तौर पर भारत ने टूटे हुए कैमरे भी दिखाए। सरकार की ओर से एक बार फिर इस मामलों को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात कही गई है।
17 जून को चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की, यानि भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी के चीनी दौरे से पहले। मतलब ये कि उन्हें ये पता होगा कि कैसे चीन ने एक बार फिर लद्दाख में घुसपैठ की। लेकिन चीनी सेना की दादागीरी का आलम देखिए। एंटनी के दौरे से ऐन पहले एक बड़े चीनी सैन्य अधिकारी ने उलटा भारत पर ही सवाल खड़ा कर बातचीत को भटकाने की कोशिश की। चीन ने उलटा ये आरोप लगाया कि भारत के अधिकार क्षेत्र का 90,000 किलोमीटर का इलाका दरअसल उसका है। एंटनी के दौरे के ऐन पहले आए इस बयान से साफ है कि चीनी सेना की मंशा कितनी खतरनाक है। चीन का इरादा दरअसल क्या है।
इससे पहले 19 मई को चीन के प्रधानमंत्री ली कचीयांग तीन दिन के दौरे पर भारत आए थे और उससे पहले 10 मई को भारतीय विदेश मंत्री चीन गए थे। दोनों दौरों में बड़ी मीठी-मीठी बातें हुईं। आर्थिक सहयोग की बात हुई, सीमा विवाद सुलझाने के मसले पर बात हुई। लेकिन एंटनी के दौरे के पहले चीन ने जैसा चेहरा दिखाया दरअसल वही उसका असली चेहरा लगता है। वही उसकी मंशा लगती है।
पंचशील के बाद भारत पर चीन के हमले ने हमें एक सबक जरूर सिखाया कि चीन पर जल्द भरोसा मत करो। बार-बार चीनी घुसपैठ, चीनी सेना की नई 90 हजार किलोमीटर की रणनीति। इन हरकतों से साफ है कि भारत का शक गलत नहीं। ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के बहाव का मुद्दा हो। पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह हो, श्रीलंका का हंबनटोटा। बर्मा और बांग्लादेश में बढ़ता चीनी निवेश और प्रभाव। जाहिर है इसने भारत की चिंताएं और बढ़ाई हैं।
लेकिन जिस तरह से चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है उससे साफ है कि इस वक्त बड़ी जरूरत है कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जल्द कोई पुख्ता समझौता करें। जरूरत है कि चीन अपनी होशियारी और बाज़ीगरी से बाज आए। दोनों देश सीमा समझौते पर एक ऐसा ड्राफ्ट बनाएं जो दोनों को मंजूर हो, ताकि विवाद और अविश्वास को छोड़ तरक्की और सहयोग के दिशा में दोनों देश आगे बढ़ सकें।

गिरता रुपया, PM ने दी कई प्रोजेक्ट को मंजूरी

आज शुरुआती मजबूती के बाद रुपया फिर लुढ़ककर 60 के पार चला गया। ये हाल आरबीआई के कई कदम उठाने के बाद हुआ है। ऐसे में निवेश में आई सुस्ती तोड़ने के लिए खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बैठक बुलाई और उसमें कई फैसले किए।
डॉलर की लगातार गिरती कीमत से परेशान सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कुछ और कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली हाई लेवल कमेटी ने मंगलवार को भारत में यात्री विमान बनाने के ड्रीम प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। इस प्रोजेक्ट पर कई सालों से काम चल रहा है। यह विमान छोटे रन-वे पर भी आसानी से टेक-ऑफ कर सकेगा। इसके अलावा दिल्ली में बिजली और तेल से चलने वाले टैक्सी-ऑटो और हाईब्रिड बसें बनाने का पायलट प्रोजेक्ट भी जल्द शुरू हो जाएगा। कमेटी ने इस्पात का उत्पादन बढ़ाकर 3 अरब टन सालाना करने और टैक्सटाइल क्षेत्र में आयात को 30 फीसदी बढ़ाने के लिए तुरंत फैसला लेने पर भी मुहर लगा दी।
विदेशी मामलों के विशेषज्ञ एवी राजवाडे का कहना है कि मुझे ऐसा लग रहा है कि हम क्राइसिस के नजदीक आ गए है। पता नहीं बाहर कैसे निकल पाएंगे। सरकार को सही चीजों की फिक्र करनी चाहिए। उत्पादन, नौकरियों की चिंता करनी चाहिए। हम लोग दूसरे देशों में जॉब्स बना हैं। रुपए एक ऐसे स्तर पर लाना चाहिए जिससे बाकी करेंसी के साथ मजबूती पर कड़े रहे।
आम आदमी की भाषा में अगर रुपया के कम ज्यादा होने की बात की जाए तो इसके मायने इतने ही होते हैं कि अगर रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है तो महंगाई में कमी आती है और अगर इसमें गिरावट आती है तो महंगाई बढ़ती है। लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर बहुत व्यापक होता है।

मिशन 2050 पर तेजी से आगे बढ़ रहा है चीन!


चीन क्या अपने पड़ोसियों के साथ सद्भाव से रह सकता है। जापान, ताईवान, वियतनाम जैसे कई देश हैं जो चीन की बढ़ती दादागीरी से हैरान परेशान हैं। महज चार दिन पहले ही रक्षा मंत्री एके एंटनी की चीन यात्रा के दौरान एक चीनी जनरल का ये धमकी भरा बयान आया कि सीमा पर सैनिकों की तैनाती कर भारत उसे उकसाए नहीं। यही नहीं इस जनरल ने अरुणाचल प्रदेश पर भी चीन का दावा जताया। चीन का रक्षा बजट और लगातार बढ़ती सैनिक आक्रामकता इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आखिर उसकी महत्वाकांक्षा क्या है।
चीन, मिशन 2050 के की तैयारी में है। ये वो मिशन है जिस पर चलकर अगर चीन कामयाब होता है तो वो दुनिया की महाशक्ति बनने के ख्वाब को पूरा कर लेगा। यानि वो आर्थिक, सामरिक तौर पर दुनिया का सिरमौर हो जाएगा। इस योजना के तहत चीन लगातार अपना सामरिक बजट बढ़ा रहा है। 2010 में चीन ने अपने सेना का बजट 9 फीसदी बढ़ा दिया और ये 77 बिलियन डॉलर हो गया। 2012 में ये बढ़कर 106 बिलियन हो गया था।
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के रक्षा बजट का 17 फीसदी ही है। लेकिन लगातार भारी बजट बनाकर वो अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। रक्षा क्षेत्र में इस भारी-भरकम खर्च से चीन की महत्वाकांक्षा का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर भारत से तुलना करें तो चीन भारत से तीन गुनी से ज्यादा रकम सेना पर खर्च करता है। कुछ ऐसा ही हाल भारत और चीनी सेना के बीच भी है।
चीन के पास 23 लाख लड़ाकू सैनिक हैं तो वहीं भारत के पास करीब 13 लाख सैनिक हैं। चीन की वायुसेना में जहां 1762 लड़ाकू विमान हैं तो वहीं भारत के पास 950 लड़ाकू विमान है। चीन के पास भी जे-11, जे-10, सुखोई-30, और चौथी पीढ़ी के जेएच-7 लड़ाकू विमान हैं। तो भारतीय वायुसेना में सुखोई 30 एमकेआई, मिराज, मिग-29 ,मिग-21, मिग-27 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान हैं। इसके अलावा भारत के पास हवा में उड़ने वाली अवॉक्स रडार प्रणाली है जो इजराइल से खरीदी गई है। जबकि चीन के पास अपनी अवॉक्स प्रणाली है।
चीन ने उस वक्त दुनिया भर में सनसनी फैला दी, जब उसने अंतरिक्ष में 500 मील ऊपर उड़ते एक कबाड़ी सेटेलाइट को अपनी मिसाइल से टुकड़े टुकड़े कर दिया। दुनिया ने इसे देखा और इस पर अपनी चिंता दिखाई। चीन यही तो चाहता है। दुनिया उसकी ताकत देखे और उसपर चिंतित हो। चीन ने ये भी दिखा दिया कि वो जब चाहे किसी भी देश की संचार व्यवस्था को तहस नहस कर सकता है।
बहरहाल मिसाइलों की बात करें तो भारत के पास 5000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल है। चीन की डांग फेंग-5 मिसाइल 13000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। भारत के पास 27 युद्धपोत हैं, तो चीन के पास 75 के करीब। भारत के पास एमआईआरवी यानी मल्टिपल इंडेपेंडेंट रिकवरी व्हीकल है जो एक साथ कई टारगेट को हिट कर सकती है। लेकिन चीन के पास ऐसा व्हीकल नहीं है। चीन की कुछ मिसाइलें भले ही भारत के मुकाबले ज्यादा दूरी तक मार करने की क्षमता रखती हों। लेकिन अग्नि-5 की खायिसत ये है कि इसे कुछ ही पलों में लॉंच के लिए तैयार किया जा सकता है। फिलहाल ऐसी क्षमता चीन के पास नहीं है। इसके अलावा भारत की अपनी क्रूज मिसाइलें अब दुनिया की बेहतरीन मिसाइलें मानी जाती हैं।
रक्षा विशेषज्ञ एस कोंडापल्ली की माने तो परमाणु क्षमता के लिहाज से भी भारत कमजोर नहीं है। भारत की अग्नि मिसाइलें दुश्मनों के ठिकानों पर परमाणु हथियार गिराने की क्षमता है।
चीन की डीएफ-3, 16000 किमी तक परमाणु हथियार ले जा सकती है। भारत के पास जहां 50 से 90 परमाणु हथियार हैं तो वहीं चीन का दावा है कि उसके जखीरे में 150 से 200 परमाणु हथियार है। भारत की चिंता ये है कि चीन न सिर्फ अपनी सैन्य क्षमता को तेजी से बढ़ा रहा है बल्कि वो पाकिस्तान को भी भारत के खिलाफ खड़ा कर रहा है।

चीन ने सिखों को हराकर हथियाए लद्दाख-लेह!


आखिर भारत और चीन सरहद के मुद्दे पर एक-दूसरे पर भरोसा क्यों नहीं कर पाते? आखिर क्यों दोनों मुल्क बार-बार बातचीत के बावजूद किसी एक रेखा को अपनी सरहद मानने को तैयार नहीं होते? एक या दो नहीं दोनों देशों के बीच कई-कई बार नक्शे पर सरहद की लकीरें खींची गई हैं लेकिन कभी अक्साई चिन तो कभी अरुणाचल प्रदेश या सिक्किम का मुद्दा इन लकीरों को नए विवाद में घसीट लेता है। इस विवाद की जड़ काफी पहले, 1834 में ही पड़ गई थी।
भारत का आरोप है कि चीन ने जम्मू-कश्मीर की 41180 वर्ग किलोमीटर जमीन पर गैर कानूनी कब्ज़ा कर रखा है। इसमें 5180 वर्ग किलोमीटर अक्साई चीन का लद्दाखी क्षेत्र है। चीन, सीमा का निर्धारण करने वाली मैकमोहन रेखा को नहीं मानता। चीन अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अपना दावा करता रहा है।
17 हजार फीट की ऊंचाई पर अक्साई चिन के भौगोलिक हालात ऐसे हैं कि यहां इंसान रह नहीं सकता लेकिन गुस्से और तनातनी के बीज यहां बखूबी पनपते रहे हैं। भारत के जम्मू कश्मीर से सटा है ये अक्साई चिन तो चीन के जिनजियांग प्रांत से सटा हुआ है यही अक्साई चिन। इसी अक्साई चिन से होकर गुजरता है जिनजियांग-तिब्बत हाइवे। वो सड़क जो चीन की है। वो सड़क जो इस इलाके में चीन के आधिपत्य की कहानी लिखती है। अक्साई चिन का ये इलाका दरअसल सदियों पुराना व्यापारिक रास्ता भी है। मौजूदा दौर में यहां चीन का कब्जा है।
भारत और चीन के बीच सरहद के झगड़े का दूसरा मोर्चा है भारत के पूर्वोत्तर में। ये वो इलाका है जहां से काल्पनिक मैकमोहन लाइन गुजरती है और दोनों मुल्कों को अलग करती है। नक्शे पर उकेरी गई यही लकीर दरअसल 1996 में LAC यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा के तौर पर देखी गई। जिसे भारत चीन के साथ अपनी सरहद मानता है। पहले इस इलाके को नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी कहा जाता था यानि आज का अरुणाचल प्रदेश। लेकिन चीन अरुणाचल प्रदेश को भी अपना इलाका करार देता है और सिक्किम में भी दखलंदाजी करता रहता है। 1962 में इसी इलाके में भारत-चीन की जंग भी हुई थी।
भारत-चीन सीमा विवाद की जड़ सालों पहले पड़ी थी। ये दौर था 1834 का। पंजाब में सिखों का राज था। 1834 में वो लद्दाख तक जा पहुंचे और लद्दाख को जम्मू में मिलाने का ऐलान कर दिया। सिखों की फौज ने बाकायदा तिब्बत पर हमला कर दिया, लेकिन चीन की सेनाओं ने उन्हें हरा दिया और खदेड़ते हुए लद्दाख और लेह पर कब्जा कर लिया। सिख और चीनियों के बीच 1842 में एक समझौता हुआ जिसमें तय हुआ कि एक-दूसरे की सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
अंग्रेजों ने 1846 में सिखों को हरा दिया और लद्दाख पर ब्रिटिश राज कायम हो गया। उन्होंने चीन के अधिकारियों से मिलकर सरहद का मुद्दा सुलझाने की कोशिश की। तय हुआ कि प्राकृतिक चिन्हों के जरिए ही सरहद तय की जाएगी और सीमा पर बाड़ की जरूरत नहीं है। यहीं से असली सरहद गायब हो गई और कई लकीरों में दोनों देश उलझ कर रह गए।
नक्शे पर बनी सरहद की पहली लकीर -जॉनसन लाइन है। 1865 में सर्वे ऑफ इंडिया के अफसर डब्लू एच जॉनसन ने एक दिमागी रेखा खींची जिसके मुताबिक अक्साई चिन का इलाका जम्मू कश्मीर में आता है। जॉनसन ने नक्शे पर उकेरी ये रेखा जम्मू कश्मीर के महाराजा को दिखाई। लेकिन जॉनसन के काम की आलोचना हुई। उसे ब्रिटिश राज ने नौकरी से निकाल दिया, चीन ने कभी इसे नहीं माना और भारत ने हमेशा अपनाया।
नक्शे पर बनी सरहद की दूसरी लकीर - जॉ़नसन-आरदाग लाइन है। 1897 में ब्रिटिश फौज के अफसर सर जॉन आरदाग ने कुनलुन पहाड़ों से गुजरती हुई एक और सरहद खींची। ये वो दौर था जब ब्रिटिश राज को रूस के बढ़ते प्रभुत्व से खतरा लगने लगा था। चीन कमजोर था। आरदाग ने ब्रिटिश राज को समझाया कि ये सरहद फायदेमंद होगी। लेकिन ये लकीर सिर्फ किताबों तक रह गई।
नक्शे पर बनी सरहद की तीसरी लकीर - मैक्कार्टनी-मैक्डॉनल्ड लाइन है। 1890 में ब्रिटेन और चीन दोस्त बन गए, ब्रिटेन को चिंता सता रही थी कि कहीं अक्साई चिन का इलाका रूस न कब्जा ले। 1899 में चीन ने अक्साई चिन के इलाके में दिलचस्पी दिखाई सो ब्रिटेन ने सरहद में बदलाव का इरादा बनाया। ये बदलाव सुझाया जॉर्ज मैककार्टनी ने और अक्साई चिन का ज्यादातर इलाका चीन में डाल दिया। चीन ने इसपर खामोशी लगा ली, ब्रिटिश राज ने इसे चीन की सहमति समझ ली। ये लाइन ही मौजूदा वास्तविक नियंत्रण रेखा है।
नक्शे पर बनी सरहरद की चौथी लकीर - मैकमोहन लाइन है। 1913-14 में ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधि शिमला में मिले और सरहद पर बातें हुईं। ब्रिटिश अफसर हेनरी मैकमोहन ने समझौते के साथ एक नक्शा पेश किया। जो तिब्बत और भारत की पूर्वी सरहद तय कर रहा था। चीन को ये मंजूर नहीं हुआ, वो समझौते के लिए तैयार न हुआ। मैकमोहन लाइन का आधार हिमालय था, हिमालय के दक्षिणी हिस्से भारत से जोड़े गए।
1947 में भारत की आजादी के बाद से ही सरकार ने जॉनसन लाइन को ही आधिकारिक सरहद माना जिसमें अक्साई चिन भारत का हिस्सा था। उधर, चीन ने जिनजियांग और पश्चिमी तिब्बत को जोड़ने वाला 1200 किलोमीटर लंबा हाइवे बना डाला, इसका 179 किलोमीटर का हिस्सा जॉनसन लाइन के दक्षिणी हिस्से को काटते हुए अक्साई चिन से होकर गुजरता था। 1957 तक तो भारत को ये तक पता नहीं चल सका कि चीन ने अक्साई चिन के इसी विवादित हिस्से में सड़क तक बना ली है। 1958 में चीन के नक्शे में पहली बार ये सड़क प्रकट हुई।

डिलीवरी के लिए गूंगी-बहरी बनी थी लादेन की बीवी!

अपनी मौत से पहले आतंक का सबसे बड़ा सरगना ओसामा बिन लादेन नौ साल तक पाकिस्तान में छुपा रहा। दुनिया मानती है कि उसे कहीं न कहीं सरकार के किसी हिस्से की मदद मिली लेकिन इस मामले की जांच करने वाला एबटाबाद कमीशन इसे पाकिस्तान के सुरक्षाकर्मियों की "सामूहिक अयोग्यता और लापरवाही" मानता है। इस रिपोर्ट के मीडिया में लीक होने से पाकिस्तान में हंगामा मचा है। रिपोर्ट लीक कैसे हुई सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन रिपोर्ट से साफ है कि 9 साल तक ओसामा कितनी आसानी से अपनी पनाहगाह बदलता रहा। परिवार के साथ लादेन ने कैसे गुजरा अपना अज्ञातवास।
लादेन पाकिस्तान में कैसे छुपा रहा ये जांच करने वाले पाकिस्तान के एबटाबाद कमीशन ने वहां की सेना और खुफिया एजेंसियों को लादेन को छुपाने के शक से लगभग बरी कर दिया है। एबटाबाद कमीशन की ये रिपोर्ट कतर के एक न्यूज चैनल को लीक हुई है। रिपोर्ट का यकीन करें तो करीब 9 साल तक लादेन पाकिस्तानी एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब रहा। 201 गवाहों, स्रोत और दूसरे जरियों से जुटाई गई जानकारी के आधार पर तैयार 336 पेज की रिपोर्ट के मुताबिक लादेन 2002 से ही पाकिस्तान में छुपा था। 9 साल के दौरान उसने करीब 6 बार ठिकाने बदले। पाकिस्तान को उसकी भनक नहीं लगी। रिपोर्ट के इस नतीजे पर सवाल उठने लाजिमी हैं।
एबटाबाद कमीशन की रिपोर्ट ने भले ही पाकिस्तान की सेना, खुफिया एजेंसियों को क्लीन चिट दे दी हो। इस क्लीनचिट पर सवाल भी हैं क्योंकि कयास हैं कि बिना सेना, आईएसआई की मिलीभगत के ओसामा पाकिस्तान में 9 साल तक नहीं छुपा रह सकता था। सच जो भी हो लेकिन सेना, आईएसआई इस शर्म से मुंह नहीं चुरा सकती कि उनके रहते ओसामा पाकिस्तान में 9 साल तक छुपा रहा। ये वो कहानी है जो आज से 12 साल पहले शुरू हुई थी।
दिसंबर 2001 में अफगानिस्तान के तोराबोरा की पहाड़ियों पर 9-11 के आतंकी हमले के गुनहगारों को सजा देने के लिए अमेरिका ने भयंकर बमबारी की। विशालकाय डेजी कटर बम से लेकर बमों की कालीन बिछा देने वाले क्लस्टर बम तक बरसाए लेकिन न लादेन मिला और न ही उसकी लाश। साल 2002 में अमेरिका लादेन को अफगानिस्तान में तलाश रहा था, लेकिन एबटाबाद रिपोर्ट के मुताबिक 2002 के शुरुआती महीनों में लादेन सबको चकमा देते हुए पाकिस्तान आ गया। खुफिया अफसरों से पूछताछ के आधार पर ये रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान में शुरुआती दिनों में लादेन दक्षिणी वजीरिस्तान और बाजौर के इलाके में छुपा था। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ वक्त पेशावर में बिताने के बाद 2002 के मध्य में वो स्वात घाटी आ गया। अब उसके साथ उसके कुरियर और बॉडीगार्ड इब्राहिम अल कुवैती और अबरार अल कुवैती और उनका परिवार भी था।
एबटाबाद कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक स्वात घाटी में ही लादेन की तीसरी बीवी अमल-अल-सदा अपनी बेटी के साथ उसके साथ रहने आ गई। लादेन के कुरियर इब्राहिम अल कुवैती की बीवी मरियम के मुताबिक जब बिना दाढ़ी वाला ऊंचे कद का अरब उनके साथ रहने आया था तो उसके साथ एक ड्राइवर और पुलिसवर्दी में एक शख्स भी था। पुलिस की वर्दी वाला वो शख्स कौन था रिपोर्ट इस बारे में कुछ नहीं कहती।
एबटाबाद कमीशन की पूरी रिपोर्ट में पुलिसवर्दी वाले सिर्फ एक मददगार का ही जिक्र है, लेकिन कमीशन का कहना है कि उसे पता नहीं चला कि वो कौन था। वो बहरुपिया था या असली पुलिसवाला कोई नहीं जानता, लेकिन पाकिस्तान के कमीशन की इस रिपोर्ट पर यकीन करना मुश्किल है। दुनिया भर के सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि लादेन को छुपाने में कहीं न कहीं पाकिस्तान का हाथ जरूर था।
पाकिस्तान को लादेन के बारे में पता था, दुनिया भर के जानकारो का ये शक एबटाबाद रिपोर्ट में जिक्र कई घटनाओं से पुख्ता होता है। ऐसी ही एक घटना साल 2003 में हुई। रिपोर्ट के मुताबिक साल की शुरुआत में 9-11 हमले का मास्टरमाइंड खालिद शेख मुहम्मद परिवार समेत स्वात में लादेन से मिलने आया। दो हफ्ते बाद वो लौट गया। एक ही महीने बाद मार्च में टीवी देखते हुए लादेन को पता चला कि रावलपिंडी में खालिद शेख सीआईए-आईएसआई के साझा ऑपरेशन में पकड़ा गया। इस खबर के तीन दिन बाद लादेन स्वात की अपनी पनाहगाह से निकलने में कामयाब रहा। इसके तीन महीने बाद अलग-अलग जगहों पर छुपा लादेन का परिवार एबटाबाद से 35 किलोमीटर दूर हरिपुर की नई पनाहगाह में फिर इकट्ठा हो गया।
ओसामा बिन लादेन 9 साल तक पाकिस्तान में रहा। उसने 6 बार ठिकाने बदले लेकिन आतंकी गुटों से नजदीकी रिश्ते रखने के लिए बदनाम आईएसआई या पाकिस्तानी फौज को उसका पता नहीं चला। खुद एबटाबाद कमीशन ने भी कहा है कि इतने वक्त में किसी भी बेहतरीन खुफिया एजेंसी को ओसामा का नेटवर्क भेदने में कामयाब हो जाना चाहिए था। या तो ओसामा खुशकिस्मत था कि वो किसी ईमानदार के चक्कर में नहीं फंसा या ये मामला स्थानीय प्रशासन की नाकामी का सबूत है।
सच जो भी हो लेकिन ओसामा बिन लादेन हर बार ठिकाने बदलने में कामयाब रहा। हरिपुर में भी वो ज्यादा दिन नहीं टिका। अगस्त 2005 में वो एबटाबाद की उस पनाहगाह में पहुंच गया, जहां अमेरिकी खुफिया नेटवर्क ने उसे खोज निकाला। एबटाबाद कमीशन की रिपोर्ट तफ्सील से लादेन के उन हथकंडों का जिक्र करती है जिससे वो 9 साल तक एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब रहा लेकिन एक गलती उसपर भारी पड़ गई।
एबटाबाद कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक लादेन एक बार पुलिस की पकड़ में आते-आते भी बचा। स्वात घाटी में एक पुलिसवाले ने उसे तेज ड्राइविंग के लिए पकड़ लिया था, लेकिन पुलिसवाले को समझा-बुझाकर लादेन वहां से निकलने में कामयाब रहा। एबटाबाद से पहले लादेन ने वहां से 35 किलोमीटर दूर हरिपुर के नसीम टाउन में पनाह ली थी। इसमें तीन बेडरूम और लॉन था। यहां लादेन के दोनों कुरियर और खुद उसका परिवार रहता था। खास बात ये है कि लादेन की दूसरी बीवी सिहम सबर भी अब अपने बच्चों के साथ रहने लगी थी। इसी दौरान लादेन की तीसरी बीवी अमल ने स्थानीय क्लीनिक में दो बार बच्चों को जन्म दिया-फिर भी किसी को शक नहीं हुआ।
9 साल तक लादेन कैसे बचा, एबटाबाद कमीशन की रिपोर्ट में अमल की प्रेगनेंसी की कहानी भी ये बताती है। दो बार अमल की डिलिवरी के दौरान स्थानीय डॉक्टरों से लादेन के कुरियर अबरार और उसकी बीवी बुशरा ने ही बात की। डॉक्टरों को बताया गया कि अमल गूंगी और बहरी है। खास बात ये है कि कुरियर और लादेन के परिवारों में भी आपस में बहुत ज्यादा संपर्क नहीं था। लादेन इसलिए भी बच गया क्योंकि उसके कुरियर मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते थे। अलकायदा तक लादेन का पैगाम पहुंचाने के लिए दोनों पेशावर या रावलपिंडी पहुंचकर पीसीओ का इस्तेमाल करते थे। लादेन जब एबटाबाद में रहने लगा तब भी बाहर का सारा काम संभालने की जिम्मेदारी दोनों कुरियर की ही थी।
एबटाबाद कमीशन को इब्राहिम अल कुवैती की पत्नी मरियम ने बताया कि लादेन का परिवार उनके परिवार से कट कर रहता था। मरियम की 9 साल की बेटी रहमा ने एक दिन अपने पिता इब्राहिम से पूछा कि ऊपर के मंजिले में रहने वाले अंकल उनकी तरह बाजार क्यों नहीं जाते। जवाब में उसके पिता ने बताया कि वो अंकल गरीब हैं। इस पर रहमा लादेन को मिस्कीन बाबा यानी गरीब बाबा कहने लगी।
रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद एक बार गलती से लादेन रहमा के सामने आ गया। रहमा ने उसे मिस्कीन बाबा कह कर पुकारा लेकिन इसके बाद रहमा को हमेशा के लिए मुख्य बंगले की तरफ जाने से मना कर दिया गया। दरअसल, एबटाबाद के बंगले में रह रहे किसी भी शख्स की लादेन की असलियत जानने की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाती थी। रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2011 में रहमा ने न्यूज चैनल पर लादेन की तस्वीर देखी। उसने फौरन पहचान लिया कि ये मिस्कीन बाबा ही हैं। यही वो वक्त था जब मरियम को भी पता लगा कि इतने साल से वो जिस अरब शेख के साथ जगह-जगह रहती आ रही थी वो और कोई नहीं लादेन था। मरियम के मुताबिक इब्राहिम इस घटना से इतना नाराज हुआ कि उसने परिवार की सभी औरतों के टीवी देखने पर पाबंदी लगा दी।
अपनी पहचान छुपाने को लेकर ओसामा बहुत चौकन्ना था। रिपोर्ट के मुताबिक लादेन बड़ी काऊ-ब्वॉय टोपी लगा कर लॉन में टहला करता था, ताकि ऊपर मौजूद कोई भी जासूसी सैटेलाइट, या विमान उसकी तस्वीर न ले सके। वो बीमारियों से परेशान था लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि कोई डॉक्टर उसका इलाज कर रहा था इसके सबूत नहीं मिले और ये लगभग तय है कि लादेन कभी एबटाबाद की पनाहगाह से बाहर नहीं गया।
लादेन का ये चौकन्नापन काम नहीं आया। दरअसल, अपने कुरियर के जरिए वो अभी भी अलकायदा के संपर्क में था। कुरियर जिन पीसीओ से फोन करते थे, सीआईए को उसकी भनक लग गई। रिपोर्ट में तत्कालीन आईएसआई चीफ लेफ्टीनेंट जनरल शुजा पाशा की गवाही के हवाले से कहा गया है कि 2001 के बाद से सीआईए-आईएसआई को भी अंधेरे में रख रही थी। सीआईए ने 4 गलत शहर सरगोधा, लाहौर, सियालकोट और गिलगिट में लादेन के होने का शक जताया, दूसरी तरफ उसने एबटाबाद मिशन की तैयारी पूरी कर ली। आखिरकार 1 मई 2011 को ऑपरेशन किल लादेन ने 9 साल की लुकाछुपी का खेल खत्म कर दिया।

'नमो' ने रथ खींचकर की यात्रा की शुरुआत

अहमदाबाद में आज ऐतिहासिक जगन्नाथ यात्रा निकाली जा रही है। अहमदाबाद में रथयात्रा के 16 किलोमीटर लंबे रास्ते की सुरक्षा के लिए पुलिस और मंदिर प्रशासन ने पूरी तैयारियां की हैं। आतंकी हरकत पर नजर रखने के लिए यूएवी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे आसमान से यात्रा की निगरानी की जा सके। पूरे रास्ते में जगह-जगह सीसीटीवी लगाए गए हैं। साथ ही रथ में जीपीआरएस भी लगाया गया है। सुरक्षा में 20 हजार जवान लगाए गए हैं।
अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 136वीं रथयात्रा निकाली जा रही है। तड़के 4 बजे भगवान जगन्नाथ की महाआरती की गई। सुबह 7 बजे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा की और रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ चल रहे हैं। इन रथों के आगे 18 हाथी, 101 ट्रक, 30 अखाड़े, 18 भजन मंडली शामिल हैं। रथ को खींचने के लिए 12 सौ खलासी जुटे हुए हैं। यात्रा में हिस्सा लेने के लिए देश भर से 3000 से ज्यादा साधु-संत यहां पहुंचे हैं।
दूसरी तरफ खुफिया एजेंसियों ने आतंकी हमले की चेतावनी दी है। लिहाला गुजरात पुलिस और सरकार जगन्नाथ यात्रा की सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। रथयात्रा के पूरे रूट पर 20 हजार जवान तैनात हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश से पुलिस टीम मंगाई गई है। भगवान जगन्नाथ के रथ की सुरक्षा क्राइम ब्रांच और एटीएस के हवाले है। गुजरात के डीजीपी अमिताभ पाठक के मुताबिक हमने रथयात्रा की पूरी तैयारी कर ली है अहमदाबाद पुलिस के आलावा बाहर से भी भारी पुलिस बल को तैनात किया जाएगा। रथयात्रा अहमदाबाद के कई संवेदनशील इलाकों से गुजरेगी। इसलिए पुलिस पूरी तरह चौकन्नी है। महाबोधि मंदिर में हुए हमले के बाद सुरक्षा किसी तरह का कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती हैं।

मुंबई में गंदा पानी पीने को मजबूर लोग

बारिश के मौसम में भी मुंबई के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। ज्यादातर इलाकों में गंदा पानी सप्लाई हो रहा है, जिससे बड़ी तादाद में लोग बीमार पड़ रहे हैं। बीएमसी की बेरुखी से परेशान लोगों ने अब सोशल नेटवर्किंग साईट्स का सहारा लिया है। बीएमसी की सप्लाई पाईप से इन दिनों मुंबई के ज्यादातर इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई की जा रही है।
गौरतलब है कि इस पानी को पीना तो दूर नहाने में भी उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन मुंबईवासी इसी पानी को पीने को मजबूर हैं। मुंबई महापालिका मुख्यालय से महज कुछ दूरी पर स्थित डोंगरी इलाके में हालात और खराब है। कहने को तो बीएमसी यहां नियमित पानी की सप्लाई करती है, लेकिन पानी पीने योग नहीं है। ऐसे ही हालात आसपास के ज्यादातर इलाकों का है। पानी की इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय लोग हर मुमकिन कोशिश कर चुके हैं। लेकिन जब कोई फायदा होता नहीं दिखा तो लोगों ने सोशल नेटवर्किंग एप्लिकेशन का सहारा लेना शुरु किया और अब इसका फायदा भी दिखने लगा है।
स्थानीय निवासी नंदकुमार के मुताबिक हमने सभी को बताया है कि व्हाटसअप पर वॉर्ड ऑफिसर, डीएमसी को मैसेज भेजें। हमने मैसेज भेजा और तुरंत उन्होने समस्या दूर की। दूसरी तरफ गंदा पानी पीने के चलते लोगों को कई तरह की जलजनित बीमारियां होने लगी है। बीएमसी के आंकड़ो पर ही नजर डाले तो मॉनसून के शुरु होने से लेकर 2 जुलाई तक अलग-अलग बीमारियों की वजह से 765 लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इनमें से अकेले 523 मरीज गैस्ट्रो के थे। निजी अस्पतालों के आंकड़े को जोड़ ले तो ये संख्यां और भी बढ़ सकती है।
सोशल साइटों के जरिए शुद्ध पानी की तलाश में मुंबईकरों का ये प्रयास भले ही सार्थक दिख रहा हो, लेकिन सही मायने में इस समस्या का निदान तब तक नहीं हो सकता जबतक बीएमसी द्वारा पुरानी पड़ चुकी पाईपलाइन को नहीं बदला जाता।

लखनऊ में बच्ची की चाकू से गोदकर हत्या

लखनऊ के गोमती नगर में 4 साल की एक बच्ची की हत्या कर दी गई। सड़क किनारे सो रही बच्ची पहले तो गायब हो गई। बाद में ढूंढने पर उसकी लाश मिली। पहले तो स्थानीय थाने की पुलिस ने ये तक कह दिया कि बच्ची को कुत्ते उठा ले गए। लेकिन बाद में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि बच्ची को चाकू से गोदा गया और उसे इतनी यातनाएं दी गईं जिससे उसकी मौत हो गई। फिलहाल पुलिस के आला अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं।
मामला रविवार रात का है जब सड़क किनारे अपनी मां के साथ सो रही एक बच्ची अचानक लापता हो गई। सुबह पता चलने पर लोगों ने जब खोजबीन शुरू की तो थोड़ी ही दूरी पर बच्ची की लाश मिली। स्थानीय थाने की पुलिस ने बच्ची की लाश का पोस्टमॉर्टम तक नहीं कराया और ये कह दिया कि बच्ची को आवारा कुत्तों ने मार डाला। लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ लिया तो आला अफसरों ने आनन फानन में बच्ची का अंतिम संस्कार रोककर उसका पोस्टमॉर्टम कराया। रिपोर्ट आने के बाद इस बात की तस्दीक हो गई कि ये किसी कुत्ते का काम नहीं है। बल्कि बच्ची को बेरहमी से चाकू से गोदा गया। बच्ची के निजी अंग पर भी चोट के निशान थे।
रिपोर्ट आने के बाद बड़े अधिकारी भी ये मान रहे हैं कि मामला क्रूरता से की गई हत्या का है। मगर अभी तक हत्यारा अज्ञात है। अगर स्थानीय पुलिस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश नहीं करती तो हो सकता था कि उसे मौके से कोई सुराग मिलता। लेकिन अपनी लापरवाही से पुलिस ने शायद वो सुराग हासिल करने का मौका भी गंवा दिया। सवाल यही है कि क्या पुलिस अब उस शख्स को ढूंढ पाएगी जिसने 4 साल की एक बच्ची को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।

पुरी में भारी सुरक्षा के बीच जगन्नाथ यात्रा शुरू


पुरी में भी जगन्नाथ यात्रा निकाली जा रही है। महाबोधि मंदिर में धमाके के बाद खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जगन्नाथ यात्रा को भी निशाना बनाया जा सकता है। ये देखते हुए ओडिशा पुलिस ने पूरी यात्रा की सुरक्षा सख्त कर दी है। माना जा रहा है कि इस यात्रा में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
पुरी में भगवाना जगन्नाथ राजसी ठाठ-बाट के साथ अपने रथ में विराजमान हैं। बीच में भगवान का रथ है और उसके चारों तरफ हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ है। हर शख्स भक्ति के रस में सराबोर है, लेकिन आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा की सुरक्षा में रैपिड एक्शन फोर्स, एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड और कोस्ट गार्ड के जवानों को तैनात किया है। पूरे रास्ते में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जगन्नाथ मंदिर में आने पर हर शख्स को पूरी पड़ताल के बाद ही अंदर आने दिया जा रहा है।
पुरी के एसपी अनूप साहू के मुताबिक बोधगया में हुए हमले के बाद सुरक्षाबलों को अलर्ट कर दिया है कि वो पूरी तरह चौकन्ने रहे। साथ ही स्थानीय लोगों और दुकानदारों से अपील की गई है कि अगर उन्हें कुछ भी संदिग्ध नजर आता है तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। वहीं कड़ी सुरक्षा और आतंकी हमले की आशंका के बावजूद भक्तों का जोश कम नहीं हुआ है। यात्रा शुरू होने के पहले से ही लाखों की तादाद में श्रद्धालु जुट चुके हैं।
एक श्रद्धालु मणि के मुताबिक जान का खतरा तो हर जगह है, आप हवाई सफर करते हैं या सड़क से। ऐसे आतंकी हमले हमें भगवान से दूर नहीं कर सकते हैं। हमारे लिए भगवान में आस्था किसी भी खौफ से ज्यादा बड़ी है। वहीं श्रद्धालु श्रीराम के मुताबिक भगवान जगन्नाथ को रथ पर देखने की खुशी का कोई मुकाबला नहीं हैं। और इस खुशी के आगे हर एक चीज छोटी पड़ जाती है।

सोनिया और शिंदे का बोधगया दौरा आज


बोधगया महाबोधि मंदिर में सीरियल धमाकों के 3 दिन बाद भी जांच एजेंसिया अब तक कुछ भी पुख्ता बताने की स्थिति में नहीं हैं। बीती रात पुलिस ने चार लोगों से पूछताछ शुरू की, लेकिन जांच एजेंसियों के हाथ कुछ भी ठोस नहीं लगा है। पकड़े गए लोग धमाकों में संदिग्ध हैं या नहीं इसकी पुष्टि पूछताछ के बाद ही तय हो पाएगी। जांच एजेंसियों को एक महिला समते छह संदिग्ध लोगों की तलाश है। वहीं आज कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी आज बोधगया के दौरे पर जाने वाले हैं।
हालांकि बोधगया के महाबोधि मंदिर में सबकुछ पहले जैसा हो गया है। रविवार को हुए दस बम धमाकों के बावजूद कोई सहमा नहीं। बौद्ध भिक्षुओं के चेहरे पर वही शांति। बस अब वो खुद को सुरक्षाकर्मियों से घिरे पाते हैं। वैसे बीच बीच में यहां थोड़ी हलचल बढ़ जाती है। जब राजनेताओं का काफिला पहुंचता है।
बहरहाल तमाम संभावनाओं और शंकाओं के बीच एक सवाल कायम है। आखिर किसने कराए बोधगया में धमाके? किसके निशाने पर था महाबोधि मंदिर? जांच एजेंसियों को इस वक्त छह संदिग्धों की तलाश है। सूत्रों के मुताबिक ये सभी छह संदिग्ध धमाके से कुछ घंटे पहले मंदिर के आसपास देखे गए थे। धमाके से कुछ घंटे पहले रात तकरीबन 2 बजे के करीब एक ऑटो में बैठकर तीन लोग मंदिर परिसर के पास आए थे। ऑटो में बैठे लोगों में एक महिला भी शामिल थी। इसी के तकरीबन एक घंटे 20 मिनट बाद एक इंडिका कार भी मंदिर परिसर के पास पहुंची थी। इंडिका में भी तीन लोग सवार थे। जांच एजेंसियां पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर ये छह लोग इतनी रात को मंदिर परिसर के करीब क्यों आए थे। और आखिर ये अब कहां हैं।
जांच एजेंसियों की माने तो इस धमाके के तार इंडियन मुजाहिदिन के संदिग्ध आतंकी अनवर हुसैन से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने अनवर को शनिवार रात यानि धमाके से एक दिन पहले नादिया से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इसके पास से बरामद विस्फोटक भी जांच के लिए भेजा हैृ। सूत्रों के मुताबिक इसके पास से बरामद विस्फोटक गया में इस्तेमाल हुए विस्फोटक से मिलाया जाएगा। अनवर से एनआईए, बिहार पुलिस और बेंगलुरू पुलिस की टीम भी पूछताछ करेगी। इसके अलावा जांच एजेंसी उस दुकान की तलाश में भी है जहां से विस्फोटक में इस्तेमाल हुए सिलेंडर खरीदे गए। धमाकों कराने वालों ने सभी 13 बमों को सिलेंडर में रखा था।

श्रीलंका को हराकर फाइनल में पहुंची टीम इंडिया

ट्राई सीरीज में टीम इंडिया ने शानदार जीत हासिल कर फाइनल में जगह पक्की कर ली है। वेस्टइंडीज में खेली जा रही ट्राई सीरीज में भारत ने श्रीलंका को हराकर फाइनल में जगह बना ली है। बारिश से प्रभावित मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को 81 रन से हराते हुए बोनस प्वाइंट के साथ जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही मेजबान वेस्टइंडीज की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। अब फाइनल में गुरुवार को भारतीय टीम एक बार फिर श्रीलंका से भिड़ेगी।
श्रीलंका के खिलाफ आखिरी लीग मैच में भारत को हर हाल में जीत चाहिए थी और टीम इंडिया ने ये कर दिखाया। बारिश से प्रभावित मैच में भारत ने श्रीलंका को 81 रन से करारी शिकस्त दी। पोर्ट ऑफ स्पेन में बारिश की संभावना को देखते हुए टॉस जीतने के बाद श्रीलंका ने पहले गेंदबाजी का फैसला किया। श्रीलंका का ये फैसला उस समय सही साबित होता नजर आया, जब शिखर धवन 15 रन बनाकर ही पवेलियन लौट गए। इसके बाद कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा ने पारी को संभालने की कोशिश की। दोनों बल्लेबाज स्कोर को 76 रन तक तो ले गए, लेकिन श्रीलंका ने रन रेट को ज्यादा नहीं बढ़ने दिया। दबाव में कप्तान कोहली ने खराब शॉट खेला और अपना विकेट गंवा बैठे।
इसके बाद 111 रन के स्कोर पर भारत ने दिनेश कार्तिक का विकेट भी खो दिया। हालांकि दूसरे छोर पर खड़े रोहित शर्मा शुरुआत से ही भाग्याशाली रहे और दो जीवनदान पाकर क्रीज पर डटे रहे। रोहित जब अर्धशतक से सिर्फ दो रन दूर थे, तभी मैच में बारिश आ गई। बारिश के समय भारत का स्कोर 3 विकेट पर 119 रन था।
बारिश के चलते करीब साढ़े 4 घंटे का खेल बर्बाद हुआ। ऐसे में अंपायरों ने भारत की पारी को खत्म करने का फैसला लिया और श्रीलंका के सामने डकवर्थ लुईस नियम से नया लक्ष्य रख दिया। श्रीलंका के सामने 26 ओवर में 178 रन का लक्ष्य रखा गया।
फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को कम से कम 10 रन से श्रीलंका को मात देनी थी। भुवनेश्वर कुमार ने उपुल थरंगा को आउट कर भारत को पहली सफलता दिलाई। अगली ही गेंद पर कुमार संगाकारा को भी भुवनेश्वर ने पवेलियन भेजकर भारत की उम्मीद जगा दी। लगातार दो सफलता के साथ भारतीय गेंदबाजों ने श्रीलंका पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया। इसमें सबसे बड़ा रोल रहा भुवनेश्वकर कुमार का। श्रीलंका के शुरुआती 4 विकेट भुवनेश्वर ने ही लिए और मैन ऑफ द मैच भी बने। भुवनेश्वकर ने 6 ओवर में सिर्फ 8 रन दिए और 4 विकेट झटके।
भुवनेश्वर के बाद बाकी गेंदबाजों ने भी दम दिखाया। भारत का कोई भी गेंदबाज खाली हाथ नहीं रहा। रवींद्र जडेजा ने 2 विकेट झटके और वो इस साल वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। ईशांत शर्मा ने भी दो विकेट हासिल किए। आखिर में श्रीलंका की पूरी टीम सिर्फ 96 रन पर सिमट गई। 81 रन से बड़ी जीत के साथ टीम इंडिया ने न सिर्फ फाइनल में प्रवेश किया, बल्कि बोनस प्वाइंट हासिल कर अंक तालिका में भी पहले नंबर पर कब्जा कर लिया। जीत के रथ पर सवार टीम इंडिया अब अगर फाइनल में भी श्रीलंका को मात देती है तो 20 दिन के भीतर ये दूसरी खिताबी जीत होगी।

1.5 लाख ने देखे मेट्रो MMS, DMRC बेखबर!


दिल्ली की मेट्रो ट्रेन में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन इन कैमरों में कैद कई प्रेमी जोड़ों की अश्लील हरकत अब दुनिया भर की पोर्न वेबसाइट्स और यूट्यूब पर है। मेट्रो में लगे सीसीटीवी फुटेज को देखने और सुरक्षित रखने का जिम्मा सीआईएसएफ और डीएमआरसी के पास है। अब दोनों संस्थाएं अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं।
जानकारों की मानें तो तकरीबन 13 पॉर्न वेबसाइट्स और दूसरी साइट्स पर ये तस्वीरें अपलोड की गई हैं। इन सभी वीडियो में प्रेमी जोड़े अश्लील हरकतें करते नजर आ रहे हैं। मेट्रो की इन तस्वीरों के अश्लील वेबसाइट पर आने की खबर जैसे ही मीडिया में आई दिल्ली सन्न रह गई। लोग हैरान हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। आखिर कोई क्यों मेट्रो की सुरक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद ऐसे वीडियो इंटरनेट पर डालेगा।
किसी भी सार्वजनिक जगह पर ऐसी हरकतें करना भारतीय समाज में जायज नहीं माना जाता। हमारा कानून भी सार्वजनिक स्थल पर इस तरह की हरकत की इजाजत नहीं देता। भले ही कुछ लोग कहें कि ये प्राइवेट लाइफ है लेकिन बड़ी संख्या उन लोगों की है जो ऐसी हरकतों को गलत मानते हैं। ये गलत हरकतें मेट्रो के सीसीटीवी में कैद हुईं। लेकिन इन अश्लील तस्वीरों से ज्यादा चौंकाने वाली और अफसोसजनक बात ये है कि अब ये तस्वीरें इंटरनेट पर हैं। जाहिर है ये तस्वीरें चाहे जिसने भी इंटरनेट पर अपलोड की हों उसने सुरक्षा से गंभीर खिलवाड़ किया है।
जानकारों की मानें तो इन तस्वीरों को दो साल से इंटरनेट की अलग-अलग वेबसाइटों पर अपलोड किया जा रहा है। मई 2013 में एक वेबसाइट पर अपलोड वीडियो में कुछ लोगों की आवाज भी सुनाई दे रही है। ये आवाज इसे स्क्रीन से रिकॉर्ड करते वक्त एक शख्स की है। यानि वो अपने मोबाइल में सीसीटीवी की ये फुटेज रिकॉर्ड कर रहा है और अपने साथियों से रिकॉर्ड करने का एंगल भी पूछ रहा है। ये वीडियो क्लिप तकरीबन पांच मिनट की है।
दिल्ली में मेट्रो की सुरक्षा में लगी है सीआईएसएफ, स्टेशन से लेकर मेट्रो ट्रेन के भीतर तक हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं। इन कैमरों का वीडियो देखने और उन्हें सुरक्षित रखने के अधिकार सीआईएसएफ और डीएमआरसी दोनों के पास है। अब डीएमआरसी और सीआईएसएफ दोनों एक-दूसरे पर सुरक्षा के इस खिलवाड़ का ठीकरा फोड़ने में जुटी हैं। डीएमआरसी जांच का भरोसा भी दे रही है।
दरअसल डीएमआरसी अपने सभी सीसीटीवी कैमरों की तस्वीर अपने दो कंट्रोल रूम में रिकॉर्ड करती है। इन्हीं दोनों कंट्रोल रूम से यात्रियों पर लगातार नजर रखी जाती है। इस कंट्रोल रूम को ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर कहा जाता है। स्टेशन, प्लेटफॉर्म या बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की तस्वीरों को दिल्ली के शास्त्री पार्क में मौजूद कंट्रोल सेंटर में देखा और रिकॉर्ड किया जाता है। जबकि ट्रेन के अंदर लगी सीसीटीवी कैमरों की तस्वीरों को मेट्रो भवन में बने ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर में देखा और रिकॉर्ड किया जाता है।
डीएमआरसी का ये मानना है कि इंटरनेट पर जो भी अश्लील वीडियो अपलोड हुआ है उसे मोबाइल से बनाया गया है। यानि किसी शख्स ने कंट्रोल सेंटर में बैठकर सीसीटीवी फुटेज को देखने के लिए लगे टीवी स्क्रीन से इसे अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इसे किया किसने। सीआईएसएफ के पीआरओ हेमेंद्र सिंह कहते हैं कि जितने भी फुटेज सामने आए हैं वो मेट्रो कोच के अंदर के हैं और इसकी मॉनिटरिंग खुद डीएमआरसी करती है तो फुटेज उन्हीं की तरफ से लीक हुई हो सकती हैं।
लेकिन डीएमआरसी का कहना ये भी है कि सीआईएसएफ के लोगों की भी इन सीसीटीवी फुटेज तक पहुंच है क्योंकि सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी है इसलिए वो कभी भी उनके ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर में आ-जा सकते हैं। वो सेंटर में बैठ सकते हैं। हर रिकॉर्डिंग और तस्वीर को देख सकते हैं। मेट्रो प्रशासन का तर्क है कि वो अश्लील फुटेज को इंटरनेट पर डालने वाला डीएमआरसी का भी हो सकता है और सीआईएसएफ का भी। बहरहाल दोषी की तलाश हो रही है।
गौरतलब है कि इस मामले में दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है। जानकारों के मुताबिक इस पर आईटी एक्ट के सेक्शन 66ई, 67 और आईपीसी की धारा 425 और 509 में मामला बनता है। आईटी एक्ट के दोनों मामलों में पांच साल तक सजा हो सकती है। दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है।
डीएमआरसी ने जांच शुरू कर दी है लेकिन ये मामला सिर्फ आईटी एक्ट के उल्लंघन का नहीं है। ये सुरक्षा इंतजामों को सरेआम करने का मामला भी है। ये मामला सुरक्षा में गंभीर चूक का भी है। मेट्रो ट्रेन के अंदर की जिन अश्लील तस्वीरों को इंटरनेट पर डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने देखा भला उसके बारे में अधिकारियों को इतनी देर से जानकारी क्यों हुई?
क्या कोई अफसर इस चूक की जिम्मेदारी लेगा? अति सुरक्षित मेट्रो की सीसीटीवी फुटेज कैसे पोर्न साइट पर जा रही हैं? क्या किसी अधिकारी को इस बात की भनक नहीं थी? सीआईएसएफ और डीएमआरसी में से किसकी जिम्मेदारी है? क्या फुटेज लीक होने की कभी जांच करवाई गई? वीडियो लीक के जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं मिलनी चाहिए?

बीवी-भतीजे के साथ बंद फ्लैट में छुपे थे राघव जी


नौकर के यौन शोषण में फंसे मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को भोपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। राघवजी की जमानत याचिका पर कल भोपाल की सेशन कोर्ट में सुनवाई होगी। आज जिला अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्याययिक हिरासत में भेज दिया है।
दरअसल भोपाल के हबीबगंज थाने की पुलिस उन्हें सोमवार से ही तलाश कर रही थी लेकिन वो गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गए थे। इस मामले में कथित रूप से नौकर के साथ अप्राकृतिक यौनाचार की उनकी सीडी भी सामने आई थी।
जिस थाने की नींव वित्त मंत्री रहते हुए राघवजी ने रखी थी, उसी थाने में जब उन्हें गिरफ्तार कर लाया गया तो थाने के बाहर उनकी एक झलक कैद करने के लिए मीडिया का हुजूम खड़ा था। जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम के बीच राघवजी को हबीबगंज थाने से मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।
नौकर से अप्राकृतिक यौनाचार का मामला दर्ज होने के बाद से ही भोपाल पुलिस को राघवजी की तलाश थी। बीते 24 घंटे से पुलिस उनकी तलाश कर रही थी लेकिन उनका कोई अता-पता नहीं था। सोमवार को पुलिस सुबह 5 बजे ही चार इमली स्थित उनके बंगले पर पहुंची लेकिन वो नहीं मिले। इसके बाद विधानसभा के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया लेकिन वो वहां भी नहीं पहुंचे। रात 12 बजे के बाद शहर की नाकेबंदी कर दी गई। इसके बाद उनके ओएसडी से पूछताछ की गई।
जिसके बाद पुलिस ने राघवजी के फोन को सर्विलांस पर रखा। मोबाइल सर्विलांस में उनकी लोकेशन कोहे फिजा इलाके में मिली। कोहे फिजा इलाके में उनकी भतीजी का आश्रम है। उसी आश्रम के बगल की बहुमंजिली इमारत के फ्लैट नंबर 102 में राघवजी अपनी पत्नी और भतीजे के साथ बंद थे। फ्लैट के बाहर ताला लटका था। पुलिस ने ताला तोड़कर राघवजी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस का दावा है कि राघवजी किसी शातिर अपराधी की तरह अपने ठिकाने बदल रहे थे। हाई प्रोफाइल केस होने की वजह से पुलिस पर काफी दबाव था। पुलिस को पूरे मामले की जांच में करीब 40 घंटे लगे और राघवजी को पकड़ने में करीब 24 घंटे। इस दौरान पुलिस ने कई ठिकानों पर छापे भी मारे हालांकि बीजेपी ने पूरे मामले के सामने आने के बाद राघव जी को पार्टी से निकाल दिया है। लेकिन कभी बीजेपी के कद्दावर नेता रहे राघवजी ने कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले हमले का मौका दे ही दिया है।
कथित सेक्स सीडी विवाद सामने आने के बाद राज्य सरकार फौरन हरकत में आई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राघवजी का इस्तीफा लेने के साथ ही कथित सेक्स सीडी बनवाकर पोल खोलने के दावे करने वाले शिव शंकर पटेरिया को भी पार्टी से सस्पेंड करा दिया था लेकिन तमाम तरीके अपनाने के बावजूद आने वाले चुनाव में बीजेपी पर ये मामला भारी पड़ सकता है।
क्या था मामला?
विदिशा जिले के एक युवक ने भोपाल के हबीबगंज थाने में एक चौंकाने वाली शिकायत दर्ज कराई थी। उसने शपथपत्र देकर कहा था कि वो राघवजी के यहां 2010 से रहता है। नौकरी दिलाने के नाम पर राघवजी पहले तो मालिश कराते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अश्लील हरकतें करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद उन्होंने यौन शोषण करना शुरू कर दिया। ये सिलसिला मई 2013 तक चलता रहा। मंत्री के बंगले में रहने वाले दो और लोगों को जब इसका पता चला तो उन्होंने भी युवक का यौन शोषण किया।
अपने आरोप के सबूत में युवक ने सीडी भी पेश की, जो उसके एक दोस्त ने शूट की थी। उस वक्त पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान औऱ पार्टी अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने आनन-फानन में राघव जी का वित्तमंत्री पद से इस्तीफा ले लिया।
राघवजी 1958 से भारतीय जनसंघ से जुड़े हैं। दो बार लोकसभा और दो बार राज्य सभा में सांसद रह चुके हैं। विधानसभा में हैट्रिक बना चुके हैं। बीजेपी के इतने कद्दावर मंत्री के ऊपर एक लड़के की तरफ से लगाए गए आरोप आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मसालेदार मुद्दा तो बनेंगे ही जिनका जवाब देना शिवराज सरकार के लिए मुश्किल होगा।

Monday, July 8, 2013

महाऱाष्ट्र के कॉलेज में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध

लड़के और लड़कियों के बीच मोबाइल फोन के बढते इस्तेमाल को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार के कॉलेजों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिय है। सरकार के आदेश के मुताबिक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्र मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पाएगे। मोबाइल फोन बैन पर सरकार की दलील है कि मोबाइल कैमरा से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के इस सर्कुलर के मुताबिक मोबाइल पर प्रस्तावित बैन पर सरकार ने प्रिंसिपल और शिक्षकों से राय मांगी है। सरकार का मानना है कि कॉलेज में छात्रों के हाथ में मोबाइल होने से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। प्रस्ताव में स्कूल, कॉलेजों में अनिवार्य रूप से जैमर औऱ डीकोडर लगाने की बात कही गई है। अभी तो फिलहाल ये मात्र प्रस्ताव है, कॉलेज के टीचरों और प्रिसिंपल से राय लेने के बाद सरकार इसे कानून बवाकर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू कर देगी। ऐसे में छात्र संगठनों में इसका विरोद अभी से शुरु हो गया है। चात्र इसे अपनी आजादी का हनन मान रहे है।

अश्लील डांस के कारण मल्लिका के खिलाफ गैर जमानती वारंट

एक बार फिर से अभिनेत्री मल्लिका शेरावत विवादों में घिर गयी हैं। उनके ऊपर एक बार फिर से अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा है। जिसके चलते वडोदरा की एक स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। जिसके चलते अब मल्लिका को वडोदरा की जिला अदालत में 19 अगस्त को हाजिर होना होगा। मालूम हो कि यह बात साल 2006 की है, जब मल्लिका ने मुंबई में न्यूईयर नाइट के लिए आयोजित पार्टी में ‘अश्लील' डांस किया था। मल्लिका के खिलाफ यह मुकदमा बड़ौदा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी ने किया है। अश्लील डांस के कारण मल्लिका के खिलाफ गैर जमानती वारंट मल्लिका शेरावत मालूम हो कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब मल्लिका के खिलाफ इस तरह की शिकायत आयी है। मल्लिका पर पहले भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं लेकिन मल्लिका का सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। हाल ही में हुए कान समारोह में भी मल्लिका का अश्लील प्रदर्शन जारी था तो वहीं उन्होंने भारत देश पर विवादित टिप्पणी करके एक बहस को जन्म दे दिया था। कान फिल्म समारोह में सेक्स बम मल्लिका शेरावत ने कहा था कि भारत की सोच अप्रगतिशील है, यहां के लोग किसी भी महिला की तरक्की नहीं देख सकते हैं। यहां के लोग रूढिवादी परंपरा के हैं। मैंने महिलाओं की दशा बदलने की कोशिश की तो मुझे ही बुरा और गलत ठहरा दिया गया। भारत की इस गलत और गंदी मानसिकता के ही कारण मैं आधे दिन भारत में और आधे दिन अमेरिका में रहती हूं।

काहिरा: सेना के बैरक के बाहर झड़प, 42 मरे


मिस्र की राजधानी काहिरा में सेना के एक बैरक के बाहर हुई झड़प में सोमवार को कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी देश के स्वास्थ्य मंत्री ने दी। इस बीच, सेना ने इसे राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी की बेदखली के विरोध में उनके समर्थकों द्वारा किया गया हमला करार दिया है। मुरसी की मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी ने एक वक्तव्य जारी कर इस हत्या के लिए सेना को दोषी ठहराया है। साथ ही यह भी दावा किया है कि मारे गए लोग मुरसी समर्थक थे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक पार्टी का कहना है कि सुरक्षा बलों ने काहिरा के नस्र सिटी इलाके में स्थित रिपब्लिकन गार्ड के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई। वक्तव्य के मुताबिक मुरसी के समर्थक प्रदर्शन कर रहे थे और तभी पुलिस और सुरक्षाबलों ने उन पर गोली चलाई और उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े। मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक इकाई फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी ने इसे सेना के तख्तापलट के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों का जनसंहार करार दिया है। मुरसी के खिलाफ लाखों लोगों के सड़कों पर उतर आने के बाद सेना ने पिछले हफ्ते उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था।

कश्मीर का प्रवेशद्वार बनी पीर पंजाल रेल सुरंग


कश्मीर घाटी को जम्मू क्षेत्र से जोड़कर भारतीय रेलवे ने एक और महान उपलब्धि हासिल कर ली है। जम्मू और कश्मीर घाटी को जोड़ने वाली यह पहली रेल लाइन है और इसके लिए पीर पंजाल पहाड़ियों के नीचे से होकर रेल संपर्क मार्ग बनाया गया है, जो हर मौसम में खुला रहेगा। इस रेल लाइन के चालू हो जाने से दोनों क्षेत्रों के बीच की दूरी 35 किलोमीटर से घटकर 17.7 किलोमीटर रह गई है।
प्रधानमंत्री ने बनिहाल (जम्मू क्षेत्र) को काजीगुंड (कश्मीर घाटी) के बीच नई बनाई गई रेलवे लाइन का पीर पंजाल सुरंग से होकर जाने वाली एक प्रायोगिक रेलगाड़ी को बनिहाल में हरी झंडी दिखाकर पिछले दिनों रवाना किया। रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 'इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड' ने इस परियोजना के सभी निर्माण कार्यो को ठेके पर लेकर पूरा करवाया है।
कश्मीर घाटी रेलवे कुल 119 किलोमीटर लंबी है, जो अक्टूबर 2009 में तैयार हो गई थी। घाटी के दूसरे सिरे पर काजीगुंड है, जो पश्चिमी कश्मीर स्थित बारामूला को काजीगुंड से जोड़ता है। इस रेल लाइन को पीर पंजाल पहाड़ियों से होकर बढ़ा देने से जम्मू क्षेत्र काजीगुंड बनिहाल से जुड़ गया है। 28 दिसंबर 2012 को इस रेलखंड पर पहली बार परीक्षण के तौर पर ट्रेन चलाई गई। इस खंड की लंबाई 17.7 किलोमीटर है। यह रेल खंड 11.2 किलोमीटर लंबा है। इसके अंतर्गत पीर पंजाल पहाड़ियों से होकर टी-80 सुरंग बनाई गई है।
इस रेल खंड को बनाने के लिए लगभग 11.78, 500 घन मीटर मिट्टी काटनी और हटानी पड़ी। खंड पर सुरंग की अधिकतम गहराई 15.20 मीटर है, जबकि तटबंध 16.70 मीटर के हैं। इस खंड पर 39 पुल बनाए गए हैं, जिनमें दो बड़े पुल हैं, 30 मामूली, सात सड़के के ऊपर तथा नीचे बने अंडरब्रिज हैं। इस रेल खंड के निर्माण कार्य में कुल 1691.00 करोड़ रुपयों लगे। हर 62 मीटर की दूरी पर लायनीयर फायर दिशा में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो अत्याधुनिक तकनिक वाले हैं। रेलखंड पर हर 125 मीटर की दूरी पर आग बुझाने की व्यवस्था है और इसके लिए फायर हाइड्रेंट लगाए गए हैं।
इसके अलावा प्रत्येक 250 मीटर की दूरी पर आपातकालीन टेलीफोन केंद्र, आग बुझाने के यंत्र और आग की चेतावनी देने के यंत्र लगाए गए हैं। प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर वायु की गुणवत्ता की जांच करने की व्यवस्था है। प्रत्येक 50 मीटर की दूरी पर आपातकालीन बचाव द्वार की तरफ जाने के संकेत दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त आपातकालीन प्रकाश एवं सामान्य प्रकाश की व्यवस्था के साथ-साथ पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगाया गया है।
बचाव और रखरखाव के लिए तीन मीटर चौड़ी एक सड़क बनाई गई है, जिसकी लंबाई 772 मीटर है। प्रदूषित हवा निकालने के लिए सुरंग में 25 पंखे लगाए गए हैं। यह रेलखंड जम्मू और कश्मीर राज्य के पहाड़ी इलाके में पड़ता है। यहां से होकर गुजरना परिवहन प्रदान करने वालों के लिए हमेशा चुनौती रहा है। अन्य जो कारक इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवहन में मुश्किलें पैदा करते हैं, वे हैं भौगोलिक अस्थिरता, भूकंप का खतरा और दो पहाड़ियों के बीच गहरी खाई। ये किसी भी निर्माण प्रक्रिया को बहुत मुश्किल बना देती हैं।
भारी बारिश और लगातार होने वाली बर्फबारी के कारण अत्यंत कठिन भौगोलिक परिस्थिति में भी उत्तर रेलवे ने इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरा कर कश्मीर घाटी के लिए हर मौसम में परिवहन की सुविधा प्रदान करने वाली अत्याधुनिक रेल लाइन की सौगात दी है। यही कारण है कि क्षेत्र के निवासियों ने भी इस रेल खंड की सराहना की है। इस रेल खंड के चालू हो जाने से जम्मू क्षेत्र को कश्मीर घाटी से जोड़ने का 114 साल पुराना सपना पूरा हो गया है। सबसे पहले 1898 में महाराजा प्रताप सिंह ने जम्मू को कश्मीर घाटी से रेल लाइन के जरिए जोड़ने के बारे में छानबीन कराई थी।

रुपये को सहारा, डॉलर के मुकाबले खुला मजबूत

अंतरबैकिंग विदेशी मुद्रा बाजार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में 81 पैसे की जोरदार मजबूती के साथ खुला। सोमवार को कारोबार की समाप्ति पर एक डॉलर की कीमत 60.60 रुपये थी और इसके मुकबले एक डॉलर आज 59.80 रुपये पर खुला।
कल डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। कारोबार के दौरान एक डॉलर की कीमत 61.21 रुपये तक पहुंच गई थी। इसके बाद रिजर्व बैंक के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से डॉलर की बिकवाली किए जाने के समाचारों से रुपये को कुछ सहारा मिला।

उत्तराखंड: फिर मंडराया खतरा, उफान पर नदियां


पहाड़ों पर एक बार खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड में बीते तीन दिनों से हो रही बारिश के बाद ज्यादातर नदियां उफान पर हैं। कई गांवों से संपर्क टूट गया है। सैकड़ों लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं। गांवों तक राशन और दूसरी जरूरी चीजें नहीं पहुंच पा रही हैं। उत्तराखंड सरकार खुद मान रही है कि लगातार हो रही बारिश ने राहत और बचाव का काम ठप कर दिया है। ऐसे में लोगों को एक बार फिर 16 जून जैसी तबाही का डर सताने लगा है।
उत्तराखंड में बीते 2-3 दिनों से हो रही भारी बारिश के चलते भागीरथी, अलकनंदा, असीगंगा और गंगा जैसी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। लगातार हो रही बारिश से भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। 16 जून की तबाही देख चुके लोग बारिश से खौफजदा हैं और सुरक्षित जगहों की ओर जाने लगे हैं। इस बारिश ने राज्य सरकार की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
वहीं भारी बारिश की वजह से जगह-जगह चल रहे राहत के काम ठप पड़ गए हैं।राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं। राहत के काम में लगे हेलीकॉप्टर बीते तीन दिन से उड़ान नहीं भर पाए हैं। केदारनाथ धाम में शवों के अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है। राहत के काम में जुटे अधिकारी और कर्मचारी भी जहां-तहां फंसे हैं। दूसरी तरफ हालात बेकाबू होते देख मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और हालात से निपटने के उपायों पर चर्चा की। काफी देर चली इस माथापच्ची के बाद भी ये फैसला नहीं हो पाया कि पीड़ित लोगों तक मदद कैसे पहुंचाई जाए। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, ‘मेरी अधिकारियों से बात-चीत हुई है। फ्लड कंट्रोल व फ्लड रिलीफ के लिए पीएम से पांच सौ करोड़ रुपये मांगेंगे।
वहीं बारिश ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। देहरादून में मकान गिरने से दो महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई। चमोली के उरगम घाटी में 8 मकान बारिश में ध्वस्त हो गए। गनीमत ये रही कि इन मकानों में रहने वाले लोग वक्त रहते बाहर निकल गए थे।
भागीरथी के बढ़ते जलस्तर से उत्तरकाशी के तिलोथ और जोशियारा गांवों से संपर्क कटने जैसे हालात बन गए हैं।
जबकि उत्तराखंड सरकार का कहना है खराब मौसम के चलते जगह-जगह फंसे स्थानीय लोगों को सुरक्षित निकालने का काम भी ठप पड़ा है। पिथौरागढ़ और बद्रीनाथ में अभी भी करीब 550 लोग फंसे हुए हैं। इनमें सरकारी अफसर, कर्मचारी, पुलिसकर्मी और मंदिर समिति के लोग शामिल हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 16 जून की त्रासदी के बाद लापता लोगों का नया आंकड़ा पेश किया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक त्रासदी के बाद 4000 से 4500 लोग लापता हैं। इनमें उत्तराखंड के 795 लोग शामिल हैं। सबसे ज्यादा 653 लोग रुद्रप्रयाग से लापता हैं। आपको बता दें कि केदारनाथ, गौरीकुंड और रामबाड़ा रुद्रप्रयाग जिले में ही पड़ते हैं। इन्हीं जगहों पर जल प्रलय ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी।

असम में ब्रह्मपुत्र का कोहराम, बंगाल में तबाही

उत्तराखंड के अलावा देश के कई हिस्से इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। असम में ब्रह्मपुत्र ने कोहराम मचा रखा है तो गंगा और महानंदा जैसी नदियों ने पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बना दिए हैं। असम के 10 से ज्यादा शहर इस वक्त बाढ़ की चपेट में हैं। सैकड़ों गांवों से संपर्क कट गया है। काजीरंगा नेशनल पार्क के निचले इलाके में बाढ़ का पानी घुस गया है।
पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बाढ़ ने जमकर तबाही मचा रखी है। जलपाई गुड़ी में भारी बारिश के चलते तीस्ता नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। हालत ये है कि कस्बों में 3-4 फुट तक पानी जमा है। घरों में पानी घुसने से लोग परेशान हैं। मालदा में भी बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है। उफनती गंगा ने किनारे पर बसे गावों को जमकर नुकसान पहुंचाया है। तेज बहाव के चलते बड़ी तादाद में नदी किनारे के खेत कट चुके हैं।
कूचबिहार में भी बाढ़ का कमोबेश यही आलम है।
असम में ब्रह्मपुत्र नदी का कहर हर बार की तरह इस बार भी लोगों पर कहर बन कर टूट रहा है। चिरांग, मोरीगांव, धेमाजी, गोलाघाट, कामरूप, करीमगंज, जोरहाट, लखीमपुर, नगांव, शिबसागर और तिनसुकिया जिले बाढ़ की चपेट में हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 300 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है और 2 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। गांवों में पानी घुसने के चलते लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर शरण ले रखी है, लेकिन कई इलाकों में बाढ़ का पानी सड़क तक आ पहुंचा है। सबसे बुरा हाल उन किसानों का है जिनकी हजारों हेक्टेअर फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो गई है।
वहीं इंसानों के अलावा जानवर भी इस बाढ़ के सताए हुए हैं। असम के मशहूर काजीरंगा नेशनल पार्क में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। जानवर अपनी जान बचाकर सुरक्षित जगहों की ओर जा रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि मुश्किल की इस घड़ी में सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है। निराश लोग अब ऊपरवाले से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

सोना पर सख्ती का असर, ज्वेलर्स नहीं मंगा रहे

सोने पर सरकारी सख्ती का असर दिखने लगा है। अपफ्रंट पेमेंट के नियम के चलते बुलियन कारोबारी उतना ही सोना मंगा रहे हैं जिसकी डिमांड आती है। लेकिन इसके चलते मौके पर ग्राहकों को गहने मिलने में मुश्किल हो सकती है। सोने के लिए ऊंची कीमत तो देनी ही पड़ती है लेकिन अब इसके लिए बुकिंग भी कराना पड़ेगा।
सरकारी रोक के चलते अब बुलियन कारोबारियों को शुरू में ही 20 फीसदी मार्जिन देना पड़ता है। इसके बावजूद सोना मिलने में 8 से 10 दिनों का समय लग रहा हैं। पहले कई नेशनल और निजी बैंक सोना इंपोर्ट करते थे लेकिन अब गिने चुने अंतरराष्ट्रीय बैंक के अलावा एमएमटीसी, एसटीसी जैसी कुछ एजेंसीज़ ही सोना इंपोर्ट कर रही हैं। ऐसे में अब ज्वेलर्स के लिए भी सोना पाना मुश्किल हो गया है और वो अभी इसकी खरीदारी से बच रहे हैं।
अभी ज्वेलर सोना नहीं खरीद रहें हैं, लेकिन ग्राहकों के लिए यह अच्छा समय है। अभी उनकी पसंद के डिजाइन भी मिल जाऐंगे और कीमतें भी कम हैं, ऐसे में अभी से बुकिंग करवा लें तो भी अच्छा हैं। अगर आप सोने की कीमतें गिरने का इंतज़ार कर रहें हैं तो ज़रूर करें लेकिन अगर आपको शादी जैसे बड़े मौके के लिए ज्वैलरी खरीदनी है तो अभी से बुकिंग करवा लें, क्योंकि सोने की इंपोर्ट के लिए अगर सरकार और सख्त कदम उठाती है तो हो सकता है कि आप को समय पर सोना न भी मिले। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि आप को डिलिवरी वाले दिन के हिसाब से सोने की कीमत चुकानी होगी।

महाबोधि ब्लास्ट: सुराग नहीं, NIA खाली हाथ

भगवान बुद्ध के शहर बोधगया के महाबोधि मंदिर में 10 बम विस्फोट हुए लेकिन सिवाय सीसीटीवी और बम पर लगी कागज की पर्चियों के जांच एजेंसियों के हाथ अबतक खाली हैँ। एनआईए और एनएसजी की टीम जांच में जुटी हैं। एक शख्स को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ हो रही है।
सीरियल ब्लास्ट में गैस के छोटे सिलेंडरों का इस्तेमाल किया गया। हर सिलेंडर पर कागज की पर्ची चिपकी मिली है, जिसमें अंग्रेजी और उर्दू में ये लिखा है कि इस बम को रखना कहां है। जांच एजेंसियां ये पहेली सुलझाने में लगी हैं कि आखिर 13 गैस सिलेंडर मंदिर और आसपास के इलाके में कैसे रखे गए और किसी को भनक तक नहीं लगी। वहीं गया के महाबोधि मंदिर में प्रार्थना एक बार फिर शुरू हो गई है। आम लोगों को आनाजाना भी शुरू हो गया है।
एनआईए और एनएसजी की टीम ने सोमवार को भी धमाके की जगह पर जाकर कुछ सैंपल उठाए। शुरुआती जांच के बाद एनएसजी ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है। सूत्रों की मानें तो बम बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट को सल्फर में मिलाया गया था। इसके बाद बम को 2 से 3 किलो के गैस सिलेंडर में रख दिया गया था। एजेंसियों के मुताबिक धमाके के लिए टाइमर में सुईयों वाली घड़ी का इस्तेमाल किया गया।
एजेंसियों के मुताबिक जांच के दौरान धमाके के लिए टीएनटी या और किसी विस्फोटक के इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई है। एजेंसियों को शक है कि मंदिर परिसर में धमाके के बाद ज्यादा नुकसान इसलिए नहीं हुआ क्योंकि सभी 4 बम एक दूसरे के बहुत पास रखे हुए थे। पहला बम फटा तो उसने दूसरे बम के असर को कम कर दिया। यही नहीं जिंदा बमों की पड़ताल के बाद ये भी पता चला है कि हर बम पर कागज की एक पर्ची लगी हुई थी। पर्ची पर ये लिखा था कि कौन सा बम कहां रखा जाना है। पुलिस के मुताबिक कुछ पर्चियों पर अंग्रेजी में लिखा गया और कुछ पर उर्दू में।
गौरतलब है कि जिंदा बमों और सीसीटीवी तस्वीरों से मिले सुराग के बाद बिहार पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के सामने कई अहम सवालों के जवाब तलाशने की चुनौती है। 10 एकड़ में फैले मंदिर परिसर में क्या इतनी आसानी से बम रखे जा सकते थे? सवाल ये कि
कैसे 13 सिलेंडर बम मंदिर परिसर तक पहुंचाए गए? क्या ये काम सिर्फ एक आदमी कर सकता है? सीसीटीवी में क्या बम रखने वाला कैद हुआ है? क्यों मंदिर की सुरक्षा में लगे लोगों ने ये नहीं देखा कि गैस सिलेंडर रखे जा रहे हैं?
जांच से जूझ रही एजेंसियों के रडार पर अब तक दो संदिग्ध आए हैं। एक शख्स को धमाके के बाद गया से बाराचट्टी इलाके से पकड़ा गया था। मंदिर में गाइड के तौर पर काम करने वाले इस आदमी से अब भी पूछताछ की जा रही है। दरअसल धमाके के बाद मंदिर परिसर की तलाशी के दौरान पुलिस को एक बैग मिला था। इस बैग में उस शख्स का वोटर आईडी कार्ड रखा हुआ था। वोटर आईडी कार्ड मिलने के बाद पुलिस तुरंत ही उस आदमी तक पहुंच गई। इसके अलावा NIA की टीम पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले में गिरफ्तार किए गए इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी अनवर हुसैन से भी पूछताछ की तैयारी में है।