यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना पर
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। एक जनहित याचिका
में आधार योजना को बंद करने की मांग की गई है। उधर, प्रधानमंत्री कार्यालय
ने आज कई मंत्रालयों से कहा है कि वो नकद सब्सिडी योजना को जल्द लागू करने
के लिए तेजी दिखाएं। ये योजना आधार कार्ड पर ही आधारित है।
आधार
कार्ड, एक ऐसा कार्ड है जिसमें किसी नागरिक का सारा लेखा-जोखा होता है-
नाम, पता से लेकर फिंगर प्रिंट तक। सरकार इस आधार कार्ड को गरीबों के लिए
बनाई जाने वाली तमाम योजनाओं पर अमल का आधार बनाना चाहती है लेकिन शुक्रवार
को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना
आधार योजना को बंद कर दिया जाए।
दरअसल, एक जनहित याचिका में कहा गया है कि
आधार कार्ड भारत में अवैध ढंग से रह रहे विदेशियों को भी दिया जा रहा है।
आधार से जुड़ा नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल संसद में लंबित
है। इस बिल को वित्तीय मामलों के लिए बनी संसद की स्थायी समिति ने भी खारिज
कर दिया है।
उधर शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री कार्यालय
ने कई मंत्रालयों को चिट्ठी लिख कर आधार योजना में तेजी लाने को कहा है।
पीएमओ में प्रधान सचिव पुलक चटर्जी ने लिखा है कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं
कि नकद योजना पर जल्द काम किया जाए। इसके लिए जरूरी है कि आपके पास योजना
का फायदा पाने वालों का आधार नंबर हो।
गौरतलब
है कि सरकार सब्सिडी की जगह उसका पैसा सीधे लोगों के खाते में भेजना चाहती
है। इसके लिए आधार जरूरी है लेकिन विपक्ष इसे मतदाताओं को लालच देने की
योजना बता रहा है। बीजेपी ने शुक्रवार को इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की।
हालांकि कांग्रेस आरोप को खारिज कर रही है।
बीजेपी
नेता सुषमा स्वराज और लालकृष्ण अडवाणी चुनाव आयोग से मिले। आडवाणी ने कहा
कि कैश ट्रांसफर का क्रियान्वयन एक जनवरी से होना है लेकिन पहले से इसकी
घोषणा चुनाव वाले राज्यों में केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचा
सकती है। चुनाव आयुक्त ने हमें भरोसा दिया है कि वो मामले को देखेंगे।
बीजेपी
के आरोपों पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वो लोग जानते हैं
कि हार जाएंगे इसलिए इस तरह के मुद्दे उठा रहे हैं। उनके हिसाब से चलें तो
पूरे पांच साल हमें किसी नीति का ऐलान करना ही नहीं चाहिए।
जाहिर
है, आधार पर राजनीति का कोई आधार हो या नहीं, लेकिन अब ये सुप्रीम कोर्ट
तय करेगा कि योजना का भविष्य क्या होगा। यूपीए इसे 2014 का गेम चेंजर बता
रही है। पर अगर कानूनी अड़चनों में पड़ गया तो सीधा असर देश की राजनीति पर
पड़ेगा।
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