लखनऊ। आरक्षण को लेकर मचे बवाल के
बीच भारतीय जनता पार्टी का बुरा हाल है। आरक्षण समर्थक तो पहले ही उसके
खिलाफ थे, आरक्षण विरोधियों में भी बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है।
शुक्रवार को आरक्षण विरोधियों के हमले के बाद बीजेपी के प्रदेश कार्यालय की
सुरक्षा बढ़ा दी गई। बीजेपी ने अब तक इस मसले पर अपनी स्थिति नहीं साफ की
है।
आरक्षण
विरोधी मोर्चा प्रमोशन में रिजर्वेशन को लेकर बीजेपी की भूमिका से नाराज
है। अपने आंदोलन के दौरान इस मोर्चे के लोगों ने दो बार बीजेपी दफ्तर में
घुसने की कोशिश की। इस दौरान बाहर लगे नेताओं के पोस्टर भी फाड़ दिए गए।
गुस्साए बीजेपी समर्थक बाहर आए तो उनकी आरक्षण विरोधियों से भिड़ंत
होते-होते बची। अब आरक्षण विरोधी खुलकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके
हैं।
सर्वजन हिताय समिति अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि लोगों का गुस्सा
सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी पर है। बीजेपी के प्रति इसलिये गु्स्सा है
क्योंकि बीजेपी के बिना पदोन्नति के कांग्रेस ये बिल पास नहीं करा सकती है।
बीएसपी प्रमोशन में कोटे को लेकर आक्रामक है। कांग्रेस ने भी इस बिल पर
बहस कराकर आरक्षण समर्थकों का मुंह बंद करा दिया है।
समाजवादी पार्टी इस बिल के खिलाफ खुले तौर
पर सामने आ चुकी है और उसने साफ कर दिया है कि अब वो अगड़ों और पिछड़ों
दोनों की राजनीति करेगी। लेकिन बीजेपी अभी भी भ्रम की हालत में है। पार्टी
का एक धड़ा जहां चाहता है कि प्रमोशन में कोटे का विरोध हो, वहीं दूसरा
धड़ा प्रमोशन में कोटे का समर्थक है। बीजेपी का असमंजस देख कांग्रेस ने
अपने पत्ते चलने शुरू कर दिए हैं। एससी-एसटी आयोग के चेयरमैन पीएल पूनिया
कहते हैं कि जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें सुरक्षा दिलाने के लिए राज्य
सरकार से बात करेंगे।
आरक्षण
विरोधियों और समर्थकों की ये लड़ाई सियासी दलों की किस्मत भी तय करेगी।
आरक्षण विरोधी ये साफ कर चुके हैं कि जो इस बिल का समर्थन करेगा उसे वो
चुनावों में सबक सिखाएंगे, तो वहीं आरक्षण समर्थक खामोशी से अपने मददगारों
की पहचान करने में जुटे हैं। जाहिर है 2014 के चुनावों में अगर परंपरागत
समीकरण बदलें और मुद्दे का बड़ा असर चुनावों में देखने को मिले तो ये
हैरानी की बात नहीं होगी।
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