Monday, December 24, 2012

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक दिनी भारत दौरे में दोनों देशों के बीच 42 नए सुखोई-30 लड़ाकू विमान और 71 एमआइ-17 वी5 हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति समेत आपसी सहयोग के 22 हजार करोड़ के दस समझौतों पर दस्तखत हुए। वार्षिक शिखर वार्ता के लिए भारत आए पुतिन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में भारत और रूस ने निवेश, व्यापार और अधिक सक्रियता से उच्चस्तरीय विचार-विमर्श पर करार किए। वहीं, संयुक्त बयान में दोनों देशों ने विवादास्पद मुद्दों को टाल 40 से अधिक मसलों पर सहयोग की सहमति जताई।
दोनों देशों के रिश्तों में कुछ खटास का सबब बने सिस्टेमा के मुद्दे का जहां संयुक्त बयान में हवाला तक नहीं दिया गया, वहीं कुडानकुलम नाभिकीय परियोजना के विस्तार पर मतभेद दूर करने को लेकर जारी बातचीत पर सकारात्मक नतीजों की ओर इशारा किया। मनमोहन सिंह ने व्लादिमीर पुतिन को दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी का मूल वास्तुकार बताते हुए कहा कि रूस ने भारतीय सेनाओं के आधुनिकीकरण में अहम भूमिका निभाई है।
रविवार देर रात आए पुतिन वार्ता के बाद सोमवार शाम लौट गए। हालांकि राजधानी दिल्ली में गैंगरेप की घटना को लेकर जारी प्रदर्शनों के मद्देनजर ऐन मौके पर दोनों नेताओं की मुलाकात का स्थान हैदराबाद हाउस से बदलकर प्रधानमंत्री निवास कर दिया गया। द्विपक्षीय बातचीत के बाद रूस से 71 उन्नत एमआइ-17 वी5 हेलीकॉप्टर और 42 सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान आपूर्ति के समझौतों पर भी दस्तखत हुए। करीब 22 हजार करोड़ रुपये के इन समझौतों से दोनों देशों के रक्षा सहयोग को नई जान मिली है। महत्वपूर्ण है कि भारत ने 59 एमआइ-17 वी5 हेलीकॉप्टर की खरीद के समझौते पर फरवरी 2010 में सहमति बनी थी, जिसे अब बढ़ाकर 71 करते हुए करार किया गया है। पुतिन का कहना था कि रूस और भारत के बीच व्यापार-विनिमय अगले कुछ वर्षो में दोगुना हो जाएगा। दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा का दायरा बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
संयुक्त बयान के मुताबिक भारतीय तेल कंपनियां रूस के तेल व गैस भंडार में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए प्रयास करेंगी। भारत ने साइबेरिया, आर्कटिक व रूस के सुदूर पूर्व हिस्से में तेल व गैस खोज और खनन के लिए अपनी कंपनियों को मौका दिए जाने का मामला उठाया। अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने विदेश मंत्रालय स्तर पर नियमित विचार-विमर्श के लिए व्यवस्था बनाने पर भी रजामंदी जताई है। इसके तहत दोनों देश साल में दो बार विदेश मंत्रालय स्तरीय विचार- विमर्श करेंगे। मनमोहन और पुतिन ने ईरान के नाभिकीय कार्यक्त्रम और उसके कारण उपजे तनाव पर भी बात की। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार और अफगानिस्तान से 2014 में अंतराष्ट्रीय फौजों की वापसी के बाद की स्थिति समेत अनेक क्षेत्रीय व द्विपक्षीय हितों से जुड़े मसलों पर बात की।

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