एकदिवसीय क्रिकेट के बेताज बादशाह
सचिन तेंदुलकर के संन्यास की घोषणा से दुनिया भर में उनके फैंस काफी दुखी
हैं। सचिन के इस तरह संन्यास लेने से उनके प्रशंसकों के मन में एक टीस जरूर
रह गई है। टीस इस बात की कि क्या सचिन ऐसी ही विदाई के हकदार थे।
क्या
क्रिकेट के इस भगवान को अपने ‘भक्तों’ को अपना आखिरी मैच खेलते देखने का
मौका नहीं देना चाहिए था। 1989 में गुजरांवाला में पाकिस्तान के खिलाफ अपने
वनडे क्रिकेट की शुरुआत करने वाले सचिन को क्या बीसीसीआई पाकिस्तान के
खिलाफ आखिरी मैच खेलने के लिए नहीं मना सकती थी?
क्या सचिन के फैंस को उनको आखिरी बार वनडे
खेलते देखने का मौका नहीं मिलना चाहिए था? क्या सचिन आलोचनाओं से इतने दुखी
थे कि वो और वनडे नहीं खेलना चाहते थे या सचिन किसी बात से इतने दुखी थे
कि उन्हें न चाहते हुए भी वनडे क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा।
निश्चित
ही सचिन एक जबरदस्त यादगार विदाई के हकदार थे जो उन्हें नहीं मिली। ये बात
खुद उनके रिकॉर्ड्स बताते हैं। 23 साल के अपने शानदार करियर में सचिन ने
रिकॉर्ड का इतना बड़ा अंबार लगाया है जिनके बारे में किसी दूसरे क्रिकेटर
के लिए सोचना भी मुश्किल है।
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