बलात्कार जैसे संगीन जुर्म के फांसी जैसे कड़े प्रावधान की आवाज और गुस्से
से दबाव में सियासी जगत में हलचल शुरू हो चुकी है। सत्तारूढ़ कांग्रेस
पार्टी ने एक ड्राफ्ट बिल बनाया है जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए
30 साल तक की जेल और केमिकल केस्ट्रेशन यानि नपुंसकता की सजा तक के
प्रावधान हैं। वहीं मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने
की मांग को दोहराया है।
रविवार सुबह देश की एक बहादुर बेटी को सपुर्द-ए-खाक किया गया। मगर उसकी मौत
ने समाज और सियासत को सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया। देश का मूड भांपते हुए
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अपनी तरफ से एक ड्राफ्ट बिल तैयार किया है। जिसके
मुताबिक बलात्कार जैसे मामले में 30 साल तक की जेल का प्रावधान हो, इसके
अलावा केमिकल कैस्ट्रेशन यानि दोषी को नपुंसक बनाने तक का प्रावधान हो।
फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें जो 3 महीने के अंदर मामले को निपटाएं। वहीं 18 साल
की बजाय 15 साल तक के आरोपी को ही नाबालिग माना जाए।
सूत्रों के मुताबिक इस ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी सोनिया
गांधी के नेतृत्व वाली नेशनल एडवाइजरी काउंसिल को दी गई है और ये ड्राफ्ट
बिल जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई 3 सदस्यीय कमेटी को सौंपा
जाएगा। जिसे दिल्ली गैंगरेप के बाद मौजूदा कानून की समीक्षा के लिए बनाया
गया था।
वहीं बीजेपी ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को दोहराते हुए ऐसे
घृणित अपराध के लिए सख्त कानून की वकालत की है तो वहीं लेफ्ट ने भी मौजूदा
कानून में संशोधन की मांग की है। लेकिन देश के मिजाज से अलग खाप पंचायतें
सख्त कानून के खिलाफ हैं। दलील दी जा रही है कि इसका गलत इस्तेमाल हो सकता
है।
गौरतलब है कि ये वही पंचायतें हैं जो वक्त-वक्त पर प्रेमी जोड़ों को ऐसे
फरमान सुनाने के लिए बदनाम हैं जिसका अंजाम मौत तक होता है। सवाल ये कि
क्या नेता वोट बैंक के लिहाज से मजबूत इन पंचायतों की आवाज सुनेंगे या फिर
सड़क पर उतरी जनता की।
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