Thursday, December 20, 2012

खत्म हुआ संसद में हंगामा, इन विधेयकों का होगा बेड़ा पार?

मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई पर पिछले कुछ दिनों से संसद में मचा हंगामा खत्म होने के आसार हैं। सरकार नियम 184 के तहत बहस के लिए राजी हो गई है। इससे उम्मीद बंधी है कि शायद इस सत्र में पेश होने वाले दूसरे कई महत्वपूर्ण विधेयक पास हो जाएं। मानसून सत्र में कई विधेयक हंगामे की भेंट चढ़ गए थे। खासतौर पर सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सपा-बसपा के हंगामे ने कई दिन बेकार चले गए।
इसके अलावा एफडीआई को लेकर शीतकालीन सत्र के 5 दिन भी हंगामे के कारण बर्बाद हो गए
लेकिन सरकार के सामने चुनौतियों और भी हैं। कई महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में पेश किए जाने हैं। इनमें प्रमुख रूप से लोकपाल बिल, पेंशन बिल, सरकारी नौकरियों में आरक्षण बिल, बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश बिल, महिला आरक्षण बिल, बैंकिंग कानून संशोधन, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग बिल शामिल हैं। इसके अलावा कार्यस्थल पर महिलाकर्मियों को यौन उत्पीड़न से बचाने से संबंधित बिल, व्हीसल ब्लोअर बिल, विदेशी लोक अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लोक अधिकारियों की रिश्वतखोरी रोकने संबंधी बिल, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुर्नस्थापन बिल और रसायनिक हथियार (संशोधन) बिल भी अटके पड़े हैं।
सरकार के लिए इन्हें पास कराना बड़ी चुनौती है। ऐसे वक्त पर जब सरकार आर्थिक सुधारों का पहिया तेजी से घुमाना चाहती है, उसके लिेए आर्थिक सुधारों से जुड़े बिलों को पास कराना बेहद जरूरी है। लेकिन मुश्किल ये है कि कई बिलों पर विपक्षी ही नहीं, उसके अपने सहयोगी भी राजी नहीं हैं। इनमें से कई विधेयक तो 2010 और 2011 से ही लंबित पड़े हुए हैं। इसके लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए संसद में गतिरोध के लिए जहां बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहा है। वहीं बीजेपी का कहना है कि गतिरोध इसलिए है, क्योंकि सरकार अपने कुछ घटक दलों को राजी करने में विफल रही है।
इनमें से कुछ बिल तो लोकसभा में पेश हो चुके हैं लेकिन पास नहीं हुए हैं। जबकि कुछ बिल राज्यसभा में अटके पड़े हैं। कौन-कौन से प्रमुख बिल हैं और संसद में इनकी क्या स्थिति है जरा देखें:
1.बैंकिंग कानून संशोधन बिल: मार्च 2011 में लोकसभा में पेश।
2.पेंशन बिल: मार्च 2011 में लोकसभा में पेश।
3.इंश्योरेंस कानून संशोधन बिल: दिसंबर 2008 में लोकसभा में पेश।
4.प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग बिल: 27 दिसंबर 2011 को लोकसभा में पेश।
5.लोकपाल बिल: दिसंबर 2011 को लोकसभा में पेश और पारित।
6.व्हीसल ब्लोअर बिल: अगस्त 2011 में लोकसभा में पेश और पारित।
7.महिला आरक्षण बिल: मई 2008 में राज्यसभा में पेश मार्च 2010 में पारित। लोकसभा में अटका।
8.एससी-एसटी प्रमोशन बिल: सितंबर 2012 में राज्यसभा में पेश।
दरअसल, विपक्ष और सरकार के बीच एकराय ना होने के चलते अब तक ये विधेयक अटके पड़े हैं। लोकपाल बिल पर जहां सरकार और विपक्ष में गहरे मतभेद हैं, वहीं महिला आरक्षण बिल और एससी-एसटी बिल पर सरकार को समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी का रुख सख्त है। एफडीआई, पेंशन बिल और इंश्योरेंस बिल पर लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के तेवर तीखे हैं। लेकिन एफडीआई पर सरकार को मिली राहत के बाद कहा जा सकता है कि इन विधेयकों पर गतिरोध टूटेगा और सरकार और विपक्ष मिलकर नए सुधारों की तरफ कदम बढ़ाएंगे।

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