समूचा देश बेटी की मौत से दुखी है।
आरोपियों को सजा देने की मांग कर रहा है। सरकार खुद कह रही है कि आरोपियों
को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। लेकिन इसी सरकार का एक मंत्रालय पिछले कुछ
साल में कुछ बलात्कारियों को फांसी की सजा से बचाने की सिफारिश कर चुका है।
ये बयान है देश की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का।
भले
ही आप मोमबत्तियां जलाएं, प्रदर्शन करें और करें गुस्से का इजहार, लेकिन
देश में सत्ता चलाने वाले क्या सोचते हैं। ये अब छुपा नहीं है। इसी सरकार
के रहते बलात्कारियों को जिंदगी नसीब हुई। इसी सरकार के रहते कोर्ट के
फैसले को पलटा गया। सरकार के फैसले के बाद ही बलात्कारियों की फांसी की सजा
उम्र कैद में बदली गई। ऐसा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के जमाने में हुआ था।
दिल्ली में गैंगरेप के मामले के तूल पकड़ने
के बाद जब पूर्व राष्ट्रपति से इस बारे में पूछा गया तो उनके जवाब में
बेबसी छुपी थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के मुताबिक पहली बात ये कि
मैंने उन्हें माफी नहीं दी। सवाल ये है कि जो भी केस राष्ट्रपति के पास आता
है वो पहले गृह मंत्रालय द्वारा पूरी तरह से परखा जाता है।
पूर्व
राष्ट्रपति का ये बयान सीधे-सीधे गृहमंत्रालय पर चोट करता है। देश के किसी
हिस्से में एक बेटी का बलात्कार होता है। इसके बाद उसका परिवार इंसाफ की
गुहार लगाता है। पुलिस आरोपी को पकड़कर कोर्ट में पेश करती है। अदालत आरोपी
की दरिंदगी के लिए उसे फांसी की सजा देती है। इस पूरी कार्रवाई में लंबा
वक्त लगता है, लेकिन आखिर में मानवता की दुहाई देकर आरोपी अपनी सजा माफ
करने की गुहार लगा देता है और देश का गृहमंत्रालय उसकी सजा को कम करने की
सिफारिश भी कर देता है।
यानि
यहीं देश का गृह मंत्रालय इंसाफ की उम्मीद पर पानी फेरने का काम करता है।
अगर कोई सजायाफ्ता बलात्कारी मानवता के नाम पर फांसी से बचने की गुहार
लगाता है तो गृहमंत्रालय मानवीय पहलू देखने लगता है। लेकिन जो अपराधी
मानवता से परे होकर अपराध करे। उसके लिए कैसा मानवीय पहलू। पूर्व
राष्ट्रपति का ये बयान साफ करता है कि गृहमंत्रालय पुलिस की मेहनत, एक
पीड़ित की उम्मीद को कैसे धूल में मिला देता है।
सवाल
ये कि क्या गृह मंत्रालय अपराधी को माफी देने से पहले पीड़ित के बारे में
नहीं सोचता? क्या गृह मंत्रालय को बलात्कार पीड़ित से इस बारे में सलाह
नहीं लेनी चाहिए कि बलात्कारी को माफ किया जाए या नहीं? आखिर गृह मंत्रालय
ऐसे बर्बर अपराध के लिए किसी बलात्कारी की सजा कम करने या माफ करने की सलाह
कैसे दे सकता है?
अब
सरकार को सोचना होगा, उसे गृह मंत्रालय की सीमाएं भी तय करनी होंगी। ये तय
करना होगा कि बलात्कारी की सजा कम करवाने की सिफारिश करने से पहले उस
पीड़ित लड़की के बारे में भी सोचा जाए। उससे भी पूछा जाए जो रोज, तिल-तिलकर
मरती है। जो हर दिन एक जख्म लेकर जागती है और रात को उसी जख्म के अहसास
तले सोती है।
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