Thursday, December 6, 2012

माया-मुलायम का मिले साथ या वोटिंग तक पहुंचे ही न बात!

एफडीआई पर बहस के बाद शाम को राज्यसभा में वोटिंग होनी है लेकिन मौजूदा आंकड़ों ने सरकार को चिंता में डाल रखा है। अगर राज्यसभा में माया-मुलायम लोकसभा की तरह वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे तो भी सरकार की हार तकरीबन तय है। ऐसे में सरकार के पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं, या तो वो एसपी-बीएसपी को अपने पक्ष में वोट डालने को मजबूर करे या फिर लोकपाल बिल की तरह ऐसे हालात पैदा कर दे कि वोटिंग हो ही न पाए।
 राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के 9 सांसद हैं। अगर कांग्रेस के रणनीतिकार मुलायम को मनाने में कामयाब रहे तो सरकार के पास 101 वोट हो जाएंगे। इसके बाद राज्यसभा में सरकार का गेम कामयाब बनाने में मायावती सबसे बड़ा रोल अदा कर सकती हैं। बीएसपी के राज्यसभा में 15 सांसद हैं। माया-मुलायम के बिना सरकार की नैया पार नहीं होगी। अगर सरकार को दोनों का साथ मिल जाए तो यूपीए के पास 116 वोट हो जाएंगे यानी सरकार बहुमत के आंकड़े 223 के काफी करीब पहुंच जाएगी। ऐसे में सरकार को अगर मनोनीत 10 सदस्यों का समर्थन मिल जाता है तो उसके कुल वोट 126 हो जाएंगे। इसके अलावा सात निर्दलीय वोटों में से भी वो कुछ को अपने पाले में कर इज्जत बचाने में कामयाब रहेगी।
वोटिंग तक न पहुंचने दे बात
सरकार के पास दूसरा विकल्प ये है कि राज्यसभा में ऐसी स्थिति पैदा हो जाए कि यहां वोटिंग हो ही ना पाए। ठीक उसी तरह जिस तरह लोकपाल बिल को लेकर आरजेडी सांसद राजनीति प्रसाद ने सदन में बिल को ही फाड़ डाला जिससे हंगामे की स्थिति पैदा हो गई और वोटिंग नहीं हो पाई। विपक्ष को भी ऐसा ही कुछ होने का अंदेशा है। यही वजह है कि उसे राज्यसभा में लगातार हो रहे हंगामे में साजिश नजर आ रही है। बीजेपी नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने आरोप लगाया है कि सरकार राज्यसभा में जानबूझकर हंगामा करवा रही है ताकि वोटिंग से बचा जा सके। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि ये बात सही लगती है कि सरकार सदन न चलने देने की साजिश कर रही है।
साफ है कि सरकार के सामने इन दो विकल्पों के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। कौन सा विकल्प उसके काम आता है ये शुक्रवार को वोटिंग के दौरान साफ हो जाएगा। क्या सदन में हंगामा मचेगा या माया-मुलायम सरकार का खुलकर साथ देंगे, इसका जवाब जल्द मिल जाएगा।

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