महाराष्ट्र में पुलिस को आईटी एक्ट
के तहत एफआईआर दर्ज करने से पहले लॉ अफसर की इजाजत लेनी होगी। फेसबुक पर
कमेंट करने वाली लड़कियों की गिरफ्तारी से मचे हंगामे के बाद गृहमंत्री
आरआर पाटिल ने ये एलान किया। वैसे इस मामले पर एनसीपी पाटिल के खिलाफ
हमलावर मूड में है।
सूबे
के गृहमंत्री आर.आर.पाटिल ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिससे नेटतंत्र पर
टिप्पणियों को लोकतंत्र का पूरक बताने वाले राहत की सांस लेंगे।अब पुलिस को
आईटी एक्ट के तहत सीधे एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं होगा।
पाटिल के मुताबिक अब से आईटी एक्ट के तहत महाराष्ट्र पुलिस सीधे आईटी एक्ट
के मामले में कोई केस नहीं दर्ज कर पाएगी। कोई भी केस किसी के खिलाफ दर्ज
करने से पहले सरकार के लॉ ऑफिसर से परमिशन लेनी होगी।
जाहिर
है, सरकार मान रही है कि पुलिस की कार्रवाई ठीक नहीं थी। शिवसेना सुप्रीमो
बाल ठाकरे के निधन के बाद आयोजित बंद को गलत बताते हुए पालघर की शाहीन ने
फेसबुक पर कमेंट किया था। उसकी एक दोस्त ने इस कमेंट को लाइक कर दिया था।
इसे लेकर शिव सैनिक भड़क उठे थे और उन्होंने शाहीन के चाचा के क्लीनिक में
तोड़-फोड़ कर दी थी। उधर पुलिस ने भावनाएं भड़काने के आरोप में दोनों
लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया था। धीरे-धीरे ये मुद्दा कांग्रेस बनाम
एनसीपी का भी बनने लगा था। आर.आर.पाटिल एनसीपी कोटे के मंत्री हैं और
कांग्रेस पुलिसिया कार्रावाई के बहाने उन पर निशाना साध रही थी। यहां तक कि
कैबिनेट मंत्री भी खुलकर आलोचना कर रहे थे।
साफ
है कि महाराष्ट्र में मिलकर सरकार चला रहीं कांग्रेस और एनसीपी में इस
मुद्दे पर तीखा मतभेद रहा। बहरहाल, लड़कियों के खिलाफ हुई पुलिसिया
कार्रवाई की जांच भी जारी है। कोंकण के आईजी सुखविंदर सिंह इस मामले की
जांच कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक वे शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट पेश कर
सकते हैं।
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