Thursday, November 8, 2012

'ट्रैफिक' की अपील, दीवाली पर मत दो उल्लुओं की बलि

दीवाली से पहले उल्लुओं की अवैध खरीद-फरोख्त और इसका बलिदान दिए जाने के खिलाफ वन्यजीवों के व्यापार का अध्ययन करने वाले संगठन 'ट्रैफिक' ने मुहिम की शुरूआत की है। 'ट्रैफिक' ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस पर रोक लगाने के लिए कोशिशें तेज करने की अपील की है।
देशभर में दीवाली का त्योहार 13 नवंबर को मनाया जा रहा है। दीवाली पर उल्लुओं का बलिदान दिया जाता है और तांत्रिक उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल 'पूजा' और काला जादू के अनुष्ठानों के लिए करते हैं। 
ट्रैफिक, इंडिया वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर का संयुक्त उपक्रम है। देश में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत उल्लुओं का व्यापार बंद है। फिर भी हर साल दीवाली पर सैकड़ों उल्लुओं को फंसाया और उनका गैर-कानूनी व्यापार किया जाता है। क्योंकि लोग इसे धन की देवी लक्ष्मी से जोड़कर देखते हैं।
भारतीय पक्षियों के व्यापार पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ और ट्रैफिक इंडिया से जुड़े अबरार अहमद का कहना है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में उल्लुओं की भूमिका को समझा जाना चाहिए और उनका संरक्षण किया जाना चाहिए। क्योंकि चूहों और कीटों को नियंत्रित करने में पारिस्थितिकी की दृष्टि से वह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


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