Wednesday, November 21, 2012

पढ़ें: कसाब को फांसी से पहले उन आखिरी घंटों का सच

आखिर क्या हुआ था उन दो दिनों में? किस तरह दी गई कसाब को फांसी? क्यों ले जाया गया कसाब को यरवडा जेल? क्यों रखी गई कसाब को फांसी की खबर गुप्त? क्या था इस ऑपरेशन का नाम? ये कहानी बेहद दिलचस्प है।
दरअसल, किसी भी झंझट से बचने के लिए कसाब को फांसी पर चढ़ाए जाने की खबर आखिरी समय तक बेहद गोपनीय रखी गई। सरकार ने इसे ऑपरेशन एक्स का सीक्रेट नाम दिया था। जेल सूत्रों के मुताबिक फांसी की तारीख मुकर्रर होने के बाद ऑपरेशन एक्स के तहत कसाब को बेहद गुप्त तरीके से 19 नवंबर को मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल लाया गया। इस दौरान सुरक्षा के बेहद कड़े मानकों का पालन किया गया। आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं होने के कारण उसे यरवडा जेल लाया गया था।
इस पूरे ऑपरेशन को सीक्रेट कोड X नाम दिया गया था। ऑपरेशन X में 17 अफसरों को लगाया गया था। इनमें से सिर्फ दो अफसरों को कसाब के सेल तक जाने की इजाजत थी। दिलचस्प ये भी है कि कसाब को डेंगू होने की बात की जा रही थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। दरअसल, डेंगू के नाम पर फांसी से पहले उसका मेडिकल चेकअप करने की खातिर ये बात फैलाई गई थी। आर्थर रोड जेल में उसका रोज चेकअप हो रहा था। 5 डॉक्टरों की टीम 8 नवंबर से लगातार उस पर निगाह रख रही थी।
पिछले दो दिनों से कसाब को बेहद कड़ी सुरक्षा वाली सेल में रखा गया था। पल-पल उस पर निगाह रखी जा रही थी। उसके सेल में कोई भी ऐसी चीज नहीं रखी गई थी, जिससे वो खुद को चोट पहुंचा सके। फांसी दिए जाने से दो दिन पहले कसाब को फांसी को लेकर सभी प्रक्रियाएं बता दी गई थीं। कसाब को ये भी बता दिया गया था कि उसकी ओर से की गई सभी अपीलें पूरी हो चुकी हैं और अब उसकी फांसी का वक्त तय हो गया है।
फांसी के तख्ते तक ले जाने से पहले उसके चेहरे को ढक दिया गया था और नियमों के तहत उसे फांसी का तख्ता देखने नहीं दिया गया। कसाब को फांसी दिए जाने को लेकर खासी सावधानियां बरती गईं। चूंकि उसका वजह 60 किलो से ज्यादा था, इसलिए गहराई 7 फीट यानि 2.2 मीटर रखी गई थी। फंदे को दो दिन पहले ही तैयार किया गया था। इसके अलावा लीवर को भी इन दो दिनों में कई बार जांचा गया ताकि कहीं कोई कमी ना रह जाए।
फांसी का फंदा ज्यादा कड़ा नहीं था। लीवर को भी खींचते वक्त सावधानी बरती गई। ध्यान रखा गया कि कहीं ये इतनी तेजी से ना खिंच जाए कि कसाब के सिर को नुकसान पहुंचे। फंदे को तैयार करने में भी बेहद सावधानी बरती गई थी। कॉटन के घागे से बने फंदे पर घी, साबुन और केले की मालिश की गई थी ताकि ये आसानी से अपना काम कर सके।
कसाब को फांसी की बात को जिस तरह गुप्त रखा गया वैसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। चंद लोगों को अलावा किसी को भी पता नहीं था कि कसाब को फांसी दी जा रही है। जब सुबह खबर आई कि कसाब को फांसी दे दी गई है तो हर कोई हैरत में पड़ गया।


No comments:

Post a Comment