Wednesday, November 21, 2012

अंतिम समय में बोला कसाब, अल्लाह मुझे माफ करे

मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी आमिर अजमल कसाब को आज सुबह सात बजकर 36 मिनट पर फांसी दे दी गई। कसाब को फांसी पुणे की यरवडा जेल में दी गई। लेकिन फांसी से ठीक पहले कसाब अपने गुनाह पर शर्मिंदा हुआ और यरवडा जेल के जेलर से कहा कि अल्लाह मुझे माफ करे। कसाब ने यरवडा जेल के जेलर से कहा कि अल्लाह कसम, अल्लाह कसम ऐसी गलती गवारा नहीं होगी। अल्लाह माफ करे मुझे।
2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमले के एक मात्र जिंदा आतंकी आमिर अजमल कसाब को गुपचुप तरीके से पुणे की यरवडा जेल में मौत के घाट उतार दिया गया। इससे पहले कसाब को आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल लाया गया क्योंकि आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर जेल में ही है। लिहाजा कसाब को गुपचुप तरीके से यरवडा जेल शिफ्ट कर दिया गया। जहा बुधवार सुबह साढ़े सात बजे कसाब को फांसी पर लटका दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट से भी फांसी की सजा मिलने के बाद कसाब ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास दया याचिका दायर की थी। गृहमंत्रालय ने कसाब की दया याचिका की फाइल 18 अक्टूबर को राष्ट्रपति के पास भेजी थी। 5 नवंबर को राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज करते हुए उसे फांसी देने के परवाने पर दस्तखत कर दिए 7 नवंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद फाइल गृह मंत्रालय वापस भेज दी गई और गृहमंत्री ने रोम में इंटरपोल की बैठक से वापस आते ही 7 नवंबर को इस फाइल पर फांसी की मंजूरी दे दी। 8 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार को ये फाइल इस आदेश के साथ भेज दी गयी कि कसाब को 21 नवंबर को फांसी दे दी जाए।
कसाब की फांसी के पूरे ऑपरेशन को काफी गोपनीय रखा गया और बातचीत में इसका जिक्र न हो इसके सुनिश्चित करने के लिए इस पूरी कार्रवाई को आपरेशन एक्स का नाम दिया गया। कसाब को मुंबई पर हमले की रात 2008 को गिरफ्तार किया गया था। मुबंई की अदालत से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कसाब ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी 29 अगस्त 2012 को फांसी की सजा कायम रखी थी। जिसके बाद कसाब ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी। जिसे खारिज कर दिया गया।
हालांकि ये बात साबित हो चुकी है कि कसाब पाकिस्तानी नागरिक था लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक कसाब के शव की मांग नहीं की और शव को पुणे के यरवडा जेल में ही दफना दिया गया।


No comments:

Post a Comment