Thursday, November 22, 2012

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संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। जैसा कि अंदेशा था, सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भारी हंगामा मच गया। सदन को सुचारू रूप से चलाने की सरकार की अपील बेअसर साबित हुईं। संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के सामने कई संकट हैं। ना सिर्फ विपक्ष बल्कि उसके अपने सहयोगी भी उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। आइए जानते हैं किन 5 बड़े संकटों से घिरी हुई है सरकार।
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी सरकार के लिए सबसे बड़ा संकट बनी हुई हैं। हालांकि एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ संसद में उनका अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर हो गया है, लेकिन उन्होने साफ तौर पर बता दिया है कि आने वाले वक्त में वो सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित होंगी। आज भले ही उन्हें समर्थन ना मिला हो, लेकिन भविष्य में ममता विपक्षी दलों को अपने साथ कर सकती हैं। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर ममता ने अपने धुर विरोधी लेफ्ट से भी समर्थन मांगा था। जाहिर है कि ममता यूपीए सरकार को आसानी से छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
2. बीजेपी के आक्रामक तेवर
एफडीआई के मुद्दे पर बीजेपी ने भी सरकार को घेरने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। हालांकि बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव पर ममता का खुलकर साथ नहीं दिया है। लेकिन बीजेपी का कहना है कि पिछले साल शीतकालीन सत्र में सदन के तत्कालीन नेता प्रणब मुखर्जी ने भरोसा दिया था कि एफडीआई मामले में सभी दलों से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। लेकिन सरकार ने वादा नहीं निभाया। लिहाजा संसद में नियम 184 के तहत एफडीआई के मुद्दे पर चर्चा हो। जिसमें वोटिंग का प्रावधान है। लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि ये शर्त है कि एफडीआई पर वोटिंग के लिए सरकार तैयार हो। ये पूरी नहीं हुई तो सदन नहीं चल पाएगा।
3. लेफ्ट ने भी खोला मोर्चा
एफडीआई, महंगाई के मुद्दे पर लेफ्ट ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। एफडीआई पर लेफ्ट का रुख बेहद आक्रामक है। बीजेपी की ही तरह सीपीएम ने भी इस मसले पर बहस के बाद वोटिंग की मांग की है। नेता वासुदेव आचार्य ने कहा है कि उनकी पार्टी ने प्रश्नकाल सस्पेंड कर एफडीआई पर चर्चा और बाद में वोटिंग कराने की अपील की है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है।
4. कोल ब्लॉक आवंटन मामला
कोल ब्लॉक आवंटन का मामला भी सरकार के लिए संकट का सबब बना हुआ है। कोल ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट के बाद सरकार बैकफुट पर है। इसे लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमले कर रहा है। हालांकि मामले की जांच सीबीआई कर रही है, लेकिन विपक्ष के तेवरों में नरमी नहीं आई है। एफडीआई को लेकर भले ही कोल ब्लॉक का मामला थोड़ नरम पड़ता दिख रहा हो, लेकिन शीतकालीन सत्र के दौरान इस मसले पर जोरदार हंगामे के पूरे आसार हैं। यानी एफडीआई के मुद्दे से निपटने के बाद सरकार को कोल ब्लॉक पर हमले का सामना करना होगा।
5. माया-मुलायम की चुनौती
भले ही यूपीए सरकार को एसपी और बीएसपी का साथ मिल रहा हो, लेकिन वो निश्चिंत नहीं रह सकती। मनमोहन सिंह के लिए दोनों को मैनेज करना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। मौजूदा राजनीतिक हालातों की वजह से ही सरकार को मुलायम और माया का साथ मिला हुआ है। मुलायम ने जहां रसोई गैस की कीमत कम करने को लेकर सरकार पर हमला बोल रखा है, वहीं माया ने यूपी में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाया है। सरकार के लिए दोनों को मैनेज करना भारी पड़ रहा

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