मुंबई हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब को आखिरकार फांसी दे ही दी गई। चंद
लोगों को ही पता चला कि किस तरह कसाब को फांसी दी गई। कैसे दो दिन पहले
कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल ले जाया गया, कैसे
उसे फांसी दी गई और कैसे दफन किया गया। पूरी कहानी हम आपको बता रहे हैं।
कसाब को आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा ले जाया गया।
26/11 की जांच में जुटी क्राइम ब्रांच के 7 अफसरों के साथ कुल 9 गाडियों में आईटीबीपी के सुरक्षा में कसाब को निकाला गया।
मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के 7 अफसरों के साथ 20 कमांडो और आईटीबीपी के 25 जवान लगाए गए।
20 नवंबर सुबह 4.10 बजे
पुलिस टीम कसाब को लेकर सुबह 4.10 पर यरवडा जेल पहुंची।
यहां पहुंचते ही जेल में मौजूद 3 डाक्टरों की टीम ने कसाब की मेडिकल जांच की।
जांच में सब कुछ नॉर्मल पाया गया, कसाब का वजन था 53 किलो और बीपी 120/80
कसाब ने डाक्टरों को अपने पेट दर्द के बारे में बताया।
उसने कहा रूक-रूक कर उसे कमर के उपर दर्द होता रहता है। फिर खुद ही कहा कि अब सबसे निजात मिलने वाली है।
कसाब की मेडिकल जांच करीब 24 मिनट चली।
जेल अधिकारियों ने उसे बताया कि उसे 21 नवंबर को फांसी दी जाएगी और ये पूरी प्रक्रिया सुबह 3.30 बजे शुरू होगी।
इसके बाद कसाब सोने चला गया। इस दौरान उसके लिए बने खास कमरे के पास भारी सुरक्षा रही।
कमरा फांसी वार्ड के तीन कमरे बाद ही था।
कसाब ने सोने की कोशिश की लेकिन उसे नींद नहीं आई।
कसाब पूरे वक्त परेशान और पसीने से भीगा रहा।
दोपहर
1.43 बजे जब उसे खाना देने जेल अधिकारी पहुंचे तो उसने पूछा कि क्या उसके
घर या कहीं से उसकी खैरियत पूछी गई। जवाब में उसे ना मिला।
21 नवंबर सुबह 3.45 बजे
6 अधिकारियों की सुरक्षा में उसने नहाया फिर अपने कपड़े पहन कर अपनी उंगलियों पर तिलावत की।
करीब 4.15 बजे पर नमाज़ पढ़ी और चाय की ख्वाहिश बताई।
सुबह 4.45 बजे डॉक्टरों की टीम ने दोबारा उसकी मेडिकल जांच की।
जांच के दौरान कसाब ने कहा कि वह अपने घरवालों से मिलना चाहता है।
जवाब में उसे बताया गया कि उन्हें इत्तला किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
नाश्ते के तौर पर कसाब ने 2 टमाटर और एक बिस्किट खाया फिर लेट गया।
सुबह करीब 7.15 बजे जेल अधिकारी कसाब के कमरे में पहुंचे और उसे 7.20 बजे ही फांसी वाले कमरे में ले जाया गया।
कमरे से निकलते वक्त कसाब कैदियों के कमरे में था और उसके चेहरे पर काला कपड़ा लपेट दिया गया था।
करीब 7.30 बजे कसाब को फांसी के तख्ते पर लाया गया जहां उसे बताया गया कि अब उसे फांसी दी जा रही है।
गले में फंदा डालने से पहले कसाब ने अपने गुनाहों की माफी मांगी। उसने कहा, ‘अल्लाह माफ करे, दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी’।
कसाब के हाथ पीछे की तरफ और पैर बांध दिए गए।
इसके बाद ठीक 7.36 बजे पर उसे फांसी दे दी गई।
कुछ मिनटों तक फंदे पर झूलने के बाद उसे 4 लोगों की मदद से उतारा गया। डाक्टरों की टीम ने उसकी जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।
सुबह 7.40 बजे गृह मंत्रालय को सूचित किया गया कि कसाब की फांसी पूरी हो गई है।
कसाब को दफनाने में भी जेल प्रशासन को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
पहले एक हाई सीक्रेट मीटिंग में ये चर्चा की गई कि कैसे कसाब को दफन किया जाए।
फिर
तय हुआ का कुछ कब्रिस्तान कमिटी से बात की जाए। लेकिन सुरक्षा की बात कर
इसे खारिज कर दिया गया। तय हुआ कि कसाब को जेल में ही दफनाया जाए।
इसके बाद एक साइज के 6 कब्र तैयार किए गए।
सुबह 9.39 बजे कसाब को दफन कर दिया गया।