शहरों में आवास की समस्या से निपटने में
सरकार काफी हद तक कामयाब रही है। आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की
एक रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में 2012 तक घरों की कमी सिर्फ 23 फीसदी रह गई
है। वहीं 2007 में ये आंकड़ा 37 फीसदी पर था।
आवास
एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के मुताबिक चुनौतियां अभी बाकी है और आने
वाले 5 सालों में करीब करीब 2 करोड़ घरों की कमी होगी। इस में सबसे ज्यादा घरों
की जरूरत बहुत कम आय वाले लोगों के लिए होगी। रिपोर्ट के मुताबिक अगर
हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर या इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए तो काफी हद तक
इस परेशानी से निपटा जा सकता है। आवास मंत्री कुमारी शैलजा ने इसके लिए
पीपीपी मॉडल की वकालत की है।
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