नैटवेस्ट ट्रॉफी, 2007 टी-20 वर्ल्ड कप से
लेकर वर्ल्ड कप 2011, युवराज सिंह न जाने कितने हारे हुए मैचों को जीतकर
टीम को मंजिल तक पहुंचाने में कामयाब रहे लेकिन इस बार तो वो मौत को हराकर
आए थे। नीली जर्सी में क्रिकेट का ये फाइटर दोबारा कैसे दिखेगा, इसको लेकर
सारे संशय 40 ओवर के खेल में पूरी तरह से खत्म हो गए।
युवराज प्लेइंग 11 में शामिल हुए, फील्ड में वही चुस्ती दिखी। आखिरकार
कप्तान का भरोसा बढ़ा और बाएं हाथ के इस ऑलराउंडर को गेंद भी थमा दिया।
युवराज ने 2 ओवर की गेंदबाजी में 14 रन दिए, हालांकि विकेट का कॉलम खाली
रहा।
युवी की पहचान फील्ड में चुस्त टाइगर की रही है। बालाजी की गेंद में
फ्रैंकलीन का कैच हालांकि युवराज के स्टैंडर्ड से आसान माना जाएगा लेकिन
क्रिकेट मैदान पर पुनर्जन्म के बाद ये उनका पहला कैच था। प्रशंसकों को ना
जाने इस जबरदस्त फील्डर के कितने यादगार कैचों की दोबारा याद आ गई।
विराट कोहली और सुरेश रैना जब बल्लेबाजी कर रहा था, तो कैमरा बार बार
पवेलियन में बैठे युवराज को दिखा रहा था। हर किसी की एक ही चाहत थी कि युवी
कब मैदान में उतरें। पहली बार टीम इंडिया की जीत के बजाए युवराज के मैदान
पर उतरने की बेताबी साफ नजर आ रही थी।
दर्शक टाइगर को मैदान पर देखने के लिए
बेसब्र हो रहे थे। आखिरकार रैना आउट हुए और युवराज बल्लेबाजी करने के लिए
मैदान पर उतरे। युवी के पहले रन ने हर किसी को राहत दी, तो पहले चौके ने
खुशी। जैसे ही बल्ले से छक्का लगा, ये साफ संदेश गया कि पंजाब के पुत्तर
में वही माद्दा है, वही दमखम है।
उनके
लय में कहीं कोई कमी नहीं आई है। आखिरकार युवराज ने 26 गेंदों में 34 रन
बनाए जिसमें एक चौका और दो छक्का शामिल था। युवराज ने वापसी कर टीम को मैच
तो नहीं जिता सके, लेकिन टी-20 वर्ल्ड कप से पहले साफ संदेश दे गए कि वो
करियर में तीसरे T-20 वर्ल्ड कप में हीरो बनने के लिए पूरी तरह से तैयार
हैं।
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