Thursday, September 13, 2012

पाकिस्तानी हिंदुओं को शरण मिली, नागरिकता नहीं

पाकिस्तान से करीब बीस साल पहले अपना घर-परिवार और सब कुछ छोड़कर भारत आए हिंदुओं को यहां शरण तो मिल गई लेकिन उन्हें नागरिकता अब तक नहीं मिली है। किसी तरह मजदूरी करके अपने पेट पाल रहे इन लोगों ने अपने बच्चों की शादी यही पर कर दी। कई बच्चे यही पर पढा़ई कर रहे है लेकिन उन्हें भी पता नहीं कि भारत की नागरिकता उन्हें कैसे और कहां मिलेगी।
हरियाणा के ऐलनाबाद में रह रहे यह लोग भारतीय नागरिकता की आस में गंगानगर पहुंचे लेकिन उनकी उम्मीद अभी भी पूरी होती नहीं दिखाई दे रही। हरियाणा के सिरसा जिले में ऐलनाबाद, नीमला और हरीपुरा में रहने वाले पाकिस्तानी हिंदू 1992 से 1994 के दौरान पासपोर्ट और वीजा लेकर भारत आए थे। पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों से भयभीत यह लोग वापस वहां जाने का साहस नहीं कर पाए और यहीं के होकर रह गए। 
कुछ परिवार गंगानगर जिले के अलग अलग गांवों में रहने लगे तो कुछ लोग हरियाणा चले गए। गुजारे के लिए छोटे-मोटे धंधे शुरू किए। बच्चों को किसी तरह से पढ़ाया और फिर बच्चों की शादी भी की। भारतीय नागरिकता नहीं मिलने की वजह से ना तो वो घर, दुकान खरीद पाए और न ही राशन कार्ड तक बना सके।
करीब सात साल पहले फरवरी 2005 में केंन्द्र सरकार ने पाकिस्तानी विस्थापितों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के आदेश दिए तो हरियाणा में रहने वाले इन लोगों ने गंगानगर की पंचायत समिति में डेरा लगा लिया और गंगानगर के जिला कलेक्टर से नागरिकता दिये जाने की मांग की। पाक विस्थापित माणिकराम ने कहा कि गंगानगर के जिला कलेक्टर ने हमारे प्रार्थना पत्र को सिरसा के उपायुक्त के पास भेज दिया।
वहां के उपायुक्त ने एक-एक व्यक्ति की गतिविधियों के बारे में पुलिस और गुप्तचर पुलिस से जांच कराई, पूछा गया कि इनमें से कोई व्यक्ति राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में तो शामिल नहीं रहा। यह सारी रिपोर्ट अनुकूल पाई गई। इसके बाद नागरिकता मिलती तो उससे पहले ही केंन्द्र सरकार ने निचले स्तर पर दी गई शक्तियां वापस ले ली और इन विस्थापितों को नागरिकता देने से संबंधित प्रक्रिया भी लटक गई।
एक अन्य विस्थापित मानाराम ने कहा कि हाल ही में एक बार फिर केंन्द्र सरकार के 31 दिसंबर 2004 से पहले से भारत में बसे पाकिस्तानी हिंदुओं से अपनी पाक नागरिकता त्यागने का शपथ पत्र लेने और यहां की नागरिकता के आवेदन ऑनलाइन लेने के आदेश की जानकारी मिलने के बाद वे फिर गंगानगर पहुंचे है। उन्हें उम्मीद है कि गंगानगर के जिला अधिकारी उनके आवेदन स्वीकार कर कोई न कोई रास्ता निकालेंगे।
इन लोगों ने कहा कि बीस साल से यहां रहने के बावजूद नागरिकता नहीं मिलने की वजह से उन्हें कई तरह की आधारभूत और मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड रहा है। अब भी नागरिकता नहीं मिली तो वे कहीं के भी नही रहेंगे और बच्चों का भी भविष्य चौपट हो जाएगा। इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन अशोक यादव ने कहा कि हरियाणा से आए इन लोगों ने नागरिकता के लिए ज्ञापन दिया है उस पर विचार किया जा रहा है।

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